किसान आंदोलन : किसानों का प्रदर्शन पांचवें दिन भी जारी, मांगें पूरी होने तक होता रहेगा विरोध
गूगल से ली गई छायाचित्र
केंद्र के नए कृषि कानूनों के
खिलाफ किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ने के बीच उत्तर प्रदेश से लगते
दिल्ली-गाज़ियाबाद बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा मजबूत कर दी है और कंक्रीट
के अवरोधक लगा दिए हैं. वहीं, हजारों
किसान सोमवार को दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर पांचवें दिन भी डटे रहे. केंद्र के तीन
नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन पांचवें दिन सोमवार को भी जारी रहा.
प्रदर्शनकारियों ने आज राष्ट्रीय राजधानी को जाने वाले पांच मार्गों को जाम करने
की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि वे सशर्त बातचीत का कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं
करेंगे राष्ट्रीय राजधानी को दूसरे हिस्सों से जोड़ने वाले कई अन्य राजमार्गों को
भी अवरुद्ध करने की किसानों की चेतावनी के बीच सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
किसानों ने कहा कि वे ‘निर्णायक’
लड़ाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. प्रदर्शनकारी
किसानों के एक प्रतिनिधि ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे
चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके ‘मन की बात’ सुनें. उन्होंने कहा, हम अपनी मांगों से समझौता नहीं कर सकते हैं. किसानों
के प्रतिनिधि ने दावा किया कि यदि सत्तारूढ़ पार्टी उनकी चिंता पर विचार नहीं करती
तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी. उन्होंने कहा, हम यहां निर्णायक लड़ाई के लिए आए हैं.
किसानों ने
सरकार के धारा 144 के जवाब लागू किया धारा 288
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों
ने अपने आंदोलन के तीसरे दिन यूपी गेट पर गांव का रूप दे दे दिया. फ्लाईओवर के
नीचे खुले में सर्दी की ठिठुरती रात बिताने के बाद सोमवार को झोपड़ियां बना दी गईं.
साथ ही दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर वर्ष 1988 के बाद दूसरी बार अपनी धारा-288 लगाने का एलान भी कर दिया. किसानों की यह धारा प्रशासन की धारा 144 का जवाब है. इसके तहत पुलिस को किसान की हद में नहीं
आने दिया जाता है. इस बीच शाम तक पंजाब, उत्तराखंड और यूपी से किसानों का जत्था पहुंचता रहा. किसानों की लगातार बढ़
रही संख्या के बीच राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने तीन दिसंबर को सरकार से
वार्ता होने तक यूपी गेट पर ही डटे रहने का एलान किया.
सूत्रों के मुताबिक, सोमवार तड़के से किसानों का अलग-अलग जगहों से जत्था
यूपी गेट पर पहुंचना शुरू हो गया था. दिन चढ़ने के साथ यूपी गेट का नजारा भी बदलता
रहा. पंजाब, गुरदासपुर, उत्तराखंड के हरिद्वार, बाजपुर, रुड़की यूपी के खतौली, मुजफ्फरनगर, अयोध्या, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, बस्ती, सहारनपुर, बदायूं, मेरठ, बागपत, बड़ौत, सिसौली, हापुड, बुलंदशहर, रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, सीतापुर समेत अलग अलग राज्य व जनपदों से किसान आंदोलन
में शामिल होते रहे. दोपहर में नारेबाजी करते हुए किसान ने दो बार बैरिकेडिंग पर
चढ़ गए. यह देख दिल्ली पुलिस के अधिकारी अर्धसैनिक बलों के साथ तैनात हो गए. भाकियू
के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि 3 दिसंबर को केंद्र सरकार से वार्ता होने तक सभी किसान यूपी गेट पर ही डटे
रहेंगे. वहां से बातचीत के बाद किसानों के साथ धरना स्थल पर बैठकर आगे की रणनीति
तैयार की जाएगी.
झोपड़ी में पराली डालकर यूपी गेट को
बना दिया गांव
दोपहर करीब ढाई बजे रजापुर से
भाकियू के जिला प्रभारी जयकुमार मलिक ट्रैक्टर-ट्रॉली में सूखी पराली और तिरपाल व
बड़े-बड़े बांस लेकर पहुंचे. बैरिकेडिंग के पास ट्रैक्टर-ट्रॉली के पहुंचते ही
दिल्ली के पुलिस अधिकारियों में हलचल पैदा हो गई. अर्धसैनिक बलों के साथ सभी
दोबारा से तैनात हो गए. लेकिन किसानों ने बीच सड़क पर ही पराली डाल कर झोपड़ी बनानी
शुरू कर दी. इससे यूपीगेट गांव की शक्ल लेने लगा. देर शाम को किसानों ने झोपड़ी में
बैठकर हुक्का भी गुड़गुड़ाया. इसी तरह किसानों ने यूपी गेट के दूसरी तरफ भी झोपड़ी
बनाने की तैयारी शुरू कर दी.
32 साल बाद देश
में दूसरी बार लगाई धारा 288
भाकियू कार्यकर्ताओं ने यूपी गेट
और दिल्ली बॉर्डर के बीच शासन-प्रशासन की धारा 144 के बाद किसानों की धारा-288 लिखकर अपनी
ताकत दिखाई. भाकियू की ओर से यूपी गेट पर धारा-288 लागू करने का एलान किया गया. साथ ही बैनर लगा दिए कि इस क्षेत्र में भाकियू
की धारा-288 लागू है, यहां गैर किसानों का आना मना है. राकेश टिकैत ने बताया कि यह भाकियू की
अपनी धारा है. चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने सबसे पहले 1988 में इस धारा का इस्तेमाल दिल्ली में वोट क्लब पर किया
था. इस धारा के तहत पुलिस को किसान की हद में नहीं आने दिया जाता है. इससे आंदोलन
को भी उग्र नहीं होने दिया जाता है. कोई असामाजिक तत्व घुस जाए तो भाकियू उसके
खिलाफ भी अपनी धारा-288 के तहत कार्रवाई करती है. यह शांतिप्रिय आंदोलन का
तरीका है. टिकैत ने कहा कि भाकियू ने 32 साल बाद देश में दूसरी बार यह धारा लगाई है. तीन मुख्य मांगों को दोहराते
हुए कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून, वाद-विवाद पर कोर्ट में किसान जा सके और मंडी समितियों को खत्म नहीं होने
दिया जाए. किसानों को कृषि कानून सही से समझने वाले बयान पर उन्होंने कहा कि वे
लोग जिस स्कूल में पढ़े हैं, हमें भी उसी स्कूल में पढ़ा देते, जिससे हमें कृषि कानून समझ आता है. @Nayak 1
Kisan
agitation: Demonstration of farmers continues even on the fifth day, protest
will continue till the demands are met
Photograph
taken from Google
As the
number of farmer protesters against the new agricultural laws of the Center
increases, the Delhi Police has strengthened security and placed concrete
blockers on the Delhi-Ghaziabad border adjoining Uttar Pradesh. At the same
time, thousands of farmers stayed on the Delhi-Haryana border for the fifth day
on Monday. The farmers' protest against the three new agricultural laws of the
Center continued on Monday for the fifth day. The protesters have today warned
of blocking five routes going to the national capital. They say they will not
accept any proposal for conditional negotiations, security has been increased
amidst farmers' warnings of blocking several other highways connecting the
national capital to other parts.
The
farmers said that they have come to the national capital for a 'decisive' fight
and until their demands are met, their performance will continue. A
representative of the protesting farmers told the press conference on the
Singhu border that they want Prime Minister Narendra Modi to listen to their
'Mann ki Baat'. He said, we cannot compromise on our demands. The
representative of the farmers claimed that if the ruling party does not
consider their concern then it will have to pay a heavy price. He said, we have
come here for a decisive battle.
Farmers
implement Section 144 of Government's response Section 288
In
protest against the agricultural laws, the farmers gave a village form at the
UP gate on the third day of their agitation. The huts were built on Monday
after spending a cold winter night under the flyover. Also, for the second time
after the year 1988 on the Delhi-UP border, it was announced to impose its Section-288.
This section of farmers is a response to section 144 of the administration.
Under this, the police are not allowed to come within the limits of the farmer.
Meanwhile, the farmers' batch from Punjab, Uttarakhand and UP continued till
evening. Amid increasing number of farmers, national spokesperson Rakesh Tikait
announced that he would stand at the UP gate till talks with the government on
December 3.
According
to sources, the farmers started arriving at the UP Gate from different places
by early Monday. As the day went on, the view of the UP Gate also changed.
Punjab, Gurdaspur, Haridwar, Bajpur, Uttarakhand, Khatauli, Muzaffarnagar,
Ayodhya, Barabanki, Gonda, Bahraich, Basti, Saharanpur, Badaun, Meerut,
Baghpat, Baraut, Sisauli, Hapur, Bulandshahr, Rampur, Moradabad, Amrohada, U.P.
Farmers from different states and districts including, continued to join the
movement. Raising slogans in the afternoon, the farmer climbed barricades
twice. Seeing this, officers of Delhi Police were deployed with paramilitary
forces. Rakesh Tikait, national spokesperson of BKU, said that till the talks
with the central government on December 3, all the farmers will stay at the UP
gate. After negotiating from there, a further strategy will be prepared by
sitting at the dharna site with the farmers.
Putting
straw in a hut, made UP village a village
Jaikumar
Malik, the district in-charge of Bhakiyu from Rajapur, arrived in a
tractor-trolley with dry straw and tarpaulins and big bamboo. The arrival of
the tractor-trolley near the barricades caused a stir among the police officers
of Delhi. All were re-deployed with paramilitary forces. But the farmers
started building a hut by putting stubble in the middle of the road itself.
This led to the appearance of Uppgate village. In the late evening, the farmers
sitting in the hut also made hookah. Similarly, the farmers started preparing
to build a hut on the other side of the UP gate.
Section 288 imposed for the second time in the
country after 32 years
BKU workers showed their strength by writing
section 288 of farmers after section 144 of governance between UP Gate and
Delhi border. It was announced by Bhakiyu to implement Section-288 at UP Gate.
Also put up banners that section 288 of BKU is applicable in this area, non
farmers are not allowed to come here. Rakesh Tikait told that this is his own
stream of Bhakiyu. Chaudhary Mahendra Singh Tikait first used this stream in
1988 at the Vote Club in Delhi. Under this section, the police are not allowed
to come within the limits of the farmer. With this, the movement is also not
allowed to become fierce. If any anti-social element enters, Bhakyu also takes
action against him under his Section 288. This is the way of peace-loving
movement. Tikait said that after 32 years, Bhakyu has imposed this stream for
the second time in the country. Repeating the three main demands said that the
law on minimum support price, the farmers can go to the court on debate and the
mandi committees should not be allowed to end. On the statement that the farmers
understand the agricultural law properly, he said that the people in the school
where they studied, would have taught us in the same school, so that we
understand the agricultural law. @Nayak 1
Thank you Google