भीमा कोरेगांव विजय स्तम्भ को भारत मुक्ति मोर्चा ने दी सलामी
पेशवाई खत्म करने वाले 500 शूरवीरों को अभिवादन करने भीमा कोरेगांव पहुंचे वामन मेश्राम साहब
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 1 जनवरी 2021 को भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम साहब भीमा कोरेगांव पहुंचकर उन शूरवीरों को सलामी दी, जिन्होंने 1 जनवरी 1818 को महज 500 नागवंशी (एससी, एसटी, ओबीसी और मायनॉरिटी) के लोगों ने 28 हजार पेशवाई ब्राह्मणों को काटकर न केवल पेशवाई राज खत्म किया. बल्कि, छत्रपति शिवाजी महाराज की हत्या का बदला भी ले लिया. हालांकि, मेश्राम साहब के भीमा कोरेगांव पहुंचते ही पहले से मौजूद ब्राह्मणवादी मीडिया के लोग वहां से फरार हो गए.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, वामन मेश्राम साहब के साथ बामसेफ के राष्ट्रीय प्रचारक वीएल मातंग, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी विकास पटेल, बहुजन क्रांति मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी कुमार काले, बामसेफ के राष्ट्रीय महासचिव एवं बामसेफ केन्द्रीय कार्यालय प्रभारी डी आर ओहोल, बहुजन क्रांति मोर्चा महिला प्रकोष्ट की राष्ट्रीय प्रभारी निशा मेश्राम, छत्रपति क्रांति मोर्चा के संरक्षक बाला साहब मिसाल पाटिल, राष्ट्रीय मूलनिवासी घूमंतु जनजाति के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ. अनील माने, गौतम बनसोडे सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे.
सूत्रों ने बताया कि वहां जाने से पहले सभी लोगों को पास बनवाना पड़ा, इसके बाद वहां पहुंचे. हालांकि, लॉकडाउन के नाम पर पुलिस प्रशासन द्वारा वहां पर रोक लगाई गई है. प्रशासन का कहना है कि कोरोना के कारण यहां भीड़ कम करने के लिए ऐसा किया गया है. जबकि, अयोध्या (प्रयागराज) में लाखों लोग इकट्ठा हो रहे हैं. इससे साबित होता है कि प्रशासन के ऊपर सरकार का दबाव है.
मीडिया द्वारा भीमा कोरेगांव के इतिहास पर पूछे गये सवाल के जवाब में वामन मेश्राम साहब ने कहा, भीमा कोरेगांव हम लोगों के लिए गर्व और गौरव की बात है. महाराष्ट्र के बड़े इतिहासकार राजवाड़ा ने नेंशन इंडिया में लिखकर रखा कि महाराष्ट्र की स्थापना नागवंशी लोगों ने की. यहां जो लड़ाई हुई इस लड़ाई में 500 सूरवीरों जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी और मायनॉरिटी के लोग शामिल थे. ये सभी लोग नागवंशी हैं. इन 500 नागवंशी सूरवीरों ने 28 हजार पेशवाओं को पराजय किया. उन नागवंशी सूरवीरों की याद ये विजय स्तंभी बनाया गया है. इसका हिस्टोरिकल डाक्यूमेंट है. इस विजय स्तंभ को लेकर लोगों के मन में बहुत आदर एवं सत्कार है.
वामन मेश्राम साहब ने कहा, इसमें एक दुःखद बात है कि 1965 और 1971 में जो युद्ध हुआ उसमें जो वीर शहीद हुए उन वीर शहीदों के नाम इस विजय स्तम्भ में ज़बरदस्ती खोदा गया, यह दुखद बात है. क्योंकि महाराष्ट्र सरकार या केन्द्र सरकार के द्वारा उन शहीदों के लिए अलग से स्मारक बनाया जाना चाहिए था. अगर सरकार के पास पैसा नहीं है तो हम पैसा देने के लिए तैयार हैं. क्योंकि, ये विजय स्तम्भ हिस्टोरिकल है, ये लड़ाई अलग है, 1965-71 की लड़ाई अलग है. चूंकि, 1965-71 की लड़ाई पाकिस्तान से हुई और भीमा कोरेगांव की लड़ाई ब्राह्मणों से हुई. इसलिए इस विजय स्तंभ से सभी वीर शहीदों के नाम निकाले जाएं. उन्होंने कहा, उनका अपमान करने के लिए नहीं, बल्कि उनका भी यथोचित सम्मान होना चाहिए, उनका भी अलग से स्मारक बनाना चाहिए. उनके लिए हम पैसे भी देने के लिए तैयार हैं, बशर्ते सरकार यह घोषित करे कि हमारे पास पैसे नहीं है, हम नालायक लोग हैं.
आगे वामन मेश्राम साहब ने कहा, यहां पर लोगों को आने के लिए जो पाबंदी लगाई जा रही है यह गलत है. क्योंकि, उनके सारे कार्यक्रम लगाए जा रहे हैं जहां हजारों-लाखों लोग शामिल हो रहे हैं, उनके लिए कोई रूकावट नहीं है. इसलिए यह बात न्याय पूर्ण मैं इसे गलत मानता हूं. यहां कलेक्टर और पुलिस प्रशासन के बीच बातचीत हुई उसमें भी हम लोगों ने कहा था.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, हां ये सही बात है कि जब मैं आता हूं तो ब्राह्मणी
मीडिया यहां से भाग जाती है, क्योंकि
उनको मुझसे डर लगता है. मैने कई प्रेस कांफ्रेंस लिया, उसमें कई सारे ब्राह्मणी मीडिया के लोग आए लेकिन एक
भी खबर नहीं छापी. अंत में वामन मेश्राम ने नये साल पर देशभर के नागवंशी (एससी, एसटी, ओबीसी और इनसे धर्म परिवर्तित अल्पसंख्यांक) को हार्दिक शुभेच्छा देते हुए कहा, नये साल में
कोरोना महामारी पर विजय प्राप्त करने के लिए हमारे लोगों को सफलता मिले.@Nayak 1
Bharat Mukti Morcha salutes Bhima Koregaon Vijay
Pillar
Waman Meshram Saheb reached Bhima Koregaon to greet
the 500 knights who ended the Peshwai.
Like every year, this year too, on 1 January 2021,
the National President of Bharat Mukti Morcha Waman Meshram Saheb reached Bhima
Koregaon and saluted the knights who, on 1 January 1818, only 500 Nagavanshi
(SC, ST, OBC and Minority) people 28 By cutting thousands of Peshwai Brahmins,
they not only finished the Peshwai Raj. Rather, he also avenged the murder of Chhatrapati
Shivaji Maharaj. However, as soon as Meshram Saheb reached Bhima Koregaon, the
people of the pre-existing Brahminical media fled from there.
According to information received from the sources,
Wamon Meshram Saheb along with Bamsef's national campaigner VL Matang, National
Backward Classes Morcha national president Chaudhary Vikas Patel, Bahujan
Kranti Morcha national in-charge Kumar Kale, BAMCEF national general secretary
and BAMCEF central office in-charge DR. Hundreds of people were present, including
Ohol, Bahujan Kranti Morcha National Cell in-charge Nisha Meshram, Chhatrapati
Kranti Morcha's patron Balasaheb Misal Patil, Rashtriya Moolnivasi Ghumantu
Tribe's national incharge Dr. Anil Mane, Gautam Bansode.
Sources told that before going there, all the
people had to be made nearby, after that they reached there. However, there has
been a ban by the police administration in the name of lockdown. The
administration says that this has been done to reduce congestion here due to
Corona. Whereas, lakhs of people are gathering in Ayodhya (Prayagraj). This
proves that the government is under pressure from the administration.
In response to a question asked by the media on the
history of Bhima Koregaon, Waman Meshram Saheb said, Bhima Koregaon is a matter
of pride and pride for us. Rajwada, the great historian of Maharashtra, wrote
in Nension India that Nagvanshi founded Maharashtra. The battle which took
place here, 500 warriors, in which SC, ST, OBC and minorities were involved.
All these people are Nagavanshi. These 500 Nagavanshi Survirs defeated 28
thousand Peshwas. This Vijay Pillar has been made in memory of those Nagavanshi
Surviras. It is a historical document. There is a lot of respect and
hospitality in the minds of people about this victory pillar.
Waman Meshram Saheb said, "It is a sad thing
that in the war that took place in 1965 and 1971, the brave martyrs who were
martyred in this victory were dug up in this victory column, it is a sad
thing." Because Maharashtra government or central government should have
built a separate memorial for those martyrs. If the government does not have
money, then we are ready to give money. Because, this Vijay Pillar is
historical, this battle is different, the 1965-71 battle is different. Since
1965-71 the battle took place with Pakistan and Bhima Koregaon fought with the
Brahmins. Therefore, the names of all the brave martyrs should be removed from
this victory pillar. He said, not to insult them, but they should also be
respected properly, they should also be made a separate memorial. We are ready
to pay for them too, provided the government declares that we do not have
money, we are unworthy people.
Waman Meshram Saheb further said, the ban that is
being imposed here for people to come is wrong. Because, all their programs are
being put up where thousands of millions are joining, there is no obstacle for
them. That is why I believe it to be wrong. Here we had said that there was a
conversation between the Collector and the police administration.
In response to a question, he said, yes it is right
that when I come, the Brahmin media runs away from here, because they are
afraid of me. I took many press conferences, many Brahminical media people came
in it, but not a single news was published. Finally, Waman Meshram gave a
heartfelt goodwill to the Nagavanshi (SC, ST, OBC and minority converts from
them) on the new year, saying that our people have success in conquering the
corona epidemic in the new year. @ Nayak 1
Thank you Google