" चान - चू "

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चीनी यात्री ह्वेनसांग ने गाजीपुर को " चान - चू " कहा है। " चान - चू " चीनी भाषा के दो शब्दों का मेल है। चान का अर्थ " विपस्सना " और चू का अर्थ " क्षेत्र " होता है। इस प्रकार " चान - चू " का  पूरा अर्थ विपस्सना का क्षेत्र अर्थात एरिया हुआ। गाजीपुर कभी विपस्सना का क्षेत्र हुआ करता था। अर्थात गाजीपुर का क्षेत्र सारनाथ के निकट होने के कारण  बौद्ध स्थलों से भरा - पूरा था।

चान का एक उच्चारण-पद्धति चेन है। चान / चेन से चीन में एक बौद्ध पंथ " चा' आन " का प्रचलन है। चान वस्तुतः बौद्ध शब्दावली झान का बदला हुआ रूप है, जिससे संस्कृत का ध्यान बना है।

ह्वेनसांग 7 वीं सदी में जब गाजीपुर आए थे, तब गाजीपुर के क्षेत्र में अनेक बौद्ध केंद्र थे। राजधानी में 10 संघाराम थे। राजधानी के पश्चिमोत्तर में सम्राट अशोक का स्तूप था। गौतम बुद्ध यहाँ सात दिन रूके थे। गाजीपुर से 200 ली की दूरी पर एक अन्य संघाराम था, जिसमें विदेशी बौद्ध रहा करते थे।

उबैदुर्रहमान ने गाजीपुर में गौतम बुद्ध,  सम्राट अशोक और बौद्ध स्थलों पर काम किया है। उन्होंने लिखा है कि अनेक बुद्ध की मूर्तियाँ औड़िहार, मसोनडीह, जौहर गंज तथा भितरी क्षेत्र से प्राप्त हुई हैं। बिहार और संघारामों के अवशेष भितरी, सैदपुर तथा शादियाबाद से मिलते हैं। अशोक के स्तंभ लटिया, भितरी और गौसपुर में मिलते हैं।

गौसपुर स्तंभ का सिर्फ शीर्ष भाग मिलता है। लटिया और भितरी के अशोक स्तंभ की तस्वीरें नीचे दी जा रही हैं, जिसे 1870 में जोसेफ डेविड बेग्लर ने ली थी।

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