अनुसुचित जाती तथा जनजातीय लोग प्राचीन नागवंशी बौद्ध है|

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अनुसुचित जाती तथा जनजातीय लोग प्राचीन नागवंशी बौद्ध है|

अनुसुचित जातीयां तथा जनजातीयां भी प्राचीन बौद्ध है और नागवंशी क्षत्रिय है| सम्राट हर्षवर्धन के बाद ब्राम्हणों ने बौद्ध क्षत्रियों को दो भागों में विभाजित किया| जिन बौद्धों ने ब्राम्हणों से समझौता किया, उन्हें ब्राम्हणवादी राजपूत क्षत्रिय घोषित किया लेकिन वे प्राचीन बौद्ध क्षत्रिय होने के कारण उनको परशुराम कथा के माध्यम से अपमानित रखा| मौर्य और नंद जैसे बौद्ध क्षत्रियों को भी ब्राम्हणों ने "व्रात्य क्षत्रिय" मतलब पतित क्षत्रिय घोषित किया था, उसी तर्ज पर राजपूतों का परशुराम के माध्यम से अवमूल्यन किया गया, यह बात हमें समझनी होगी| 

जिन बौद्ध क्षत्रियों ने ब्राम्हणों से समझौता नहीं किया, उन्हें शुद्र अतिशुद्र घोषित किया गया| वर्तमान ओबीसी वास्तव में शुद्र है और वर्तमान अछूत (SC) और आदिवासी (ST) लोग वास्तव में अतिशुद्र है| अर्थात, वर्तमान अनुसुचित जाती तथा जनजातीय लोग भी प्राचीन नागवंशी बौद्ध है और मूलनिवासी क्षत्रिय है|

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