केवल बुद्ध का धम्म ही विश्व को विनाश से बचा सकता है।

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केवल बुद्ध का धम्म ही विश्व को विनाश से बचा सकता है।

"कई लोग मुझसे पूछते हैं कि बौद्ध धम्म के बारे आपको आस्था क्यों है ? डॉ राधाकृष्णन जैसे बुद्धिजीवी कहते हैं कि बौद्ध धम्म में ऐसी क्या विशेष बात है ? उसमें और हिन्दू धर्म में फर्क क्या है ? हिन्दू दार्शनिक कहते हैं कि बुद्ध ने उपनिषदों से ही सब कुछ लिया है।मुझे ऐसे लोगों के बारे में बहुत अचरज लगता है।जिन्होंने ब्राह्मणों के 138 उपनिषदों का अध्ययन किया होगा उन्हें पूरा पढ़ा होगा उन्हें मालूम होगा कि उसमें ब्रह्म और आत्मा के अलावा और है ही क्या ?
उपनिषदों के इस कारखाने की ब्रह्म और आत्मा,इन दोनों बातों में से बुद्ध ने एक भी बात नही मानी।बुद्ध ने साफ तौर पर कहा है कि मुझे ईश्वर नहीं चाहिए,परमेश्वर नहीं चाहिए।इस धरती पर जन्म लेने वाला हर आदमी सुख से शांति से जिए बस मैं यही चाहता हूँ।बुद्ध ने केवल शांति के बारे में ही बताया हो ऐसी बात नहीं है,बुद्ध सच्चे विचारक थे।मानवता की रक्षा के लिए भारत ही क्या पूरी दुनिया को इसी धम्म की ओर देखना पड़ेगा।इसीलिए बौद्ध धम्म की बाइबिल (Budha and his dhamma) बुद्ध और उनका धम्म मैंने लिखी है जो जल्द ही प्रकाशित होगी.उसे पढ़ने के बाद बौद्ध धम्म स्वीकारना है या नहीं इस बात का फैसला करना आपके हाथ में होगा।मेरा पूरा विश्वास है कि केवल 'बुद्ध का धम्म' ही विश्व को विनाश से बचा सकता है और समूचे जीवित प्राणियों का कल्याण कर सकता है।बुद्ध धम्म को पुनर्जीवित करने के लिए आइए हम सब मिल कर इस मंगल अवसर पर प्रतिज्ञा करते हैं।"

-: बाबासाहेब डॉ बी.आर. अम्बेडकर
( 27 मई 1953 को बॉम्बे के वरली में बुद्ध जयंती के अवसर पर दिये भाषण का अंश )

बाबा साहेब को चलते (walking) हुए एवं खुली आँखों (opened eyes) वाले बुद्ध प्रिय थे।उन्होंने स्वयं खुली आँखों वाले बुद्ध की एक पेंटिंग भी बनाई थी।देखिए कितने अद्भुत दिखाई देते हैं खुली आँखों वाले बुद्ध।

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