बौद्ध धर्म वास्तव में मूलनिवासी क्षत्रियों का असली "क्षात्र धर्म" है|

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बौद्ध धर्म वास्तव में मूलनिवासी क्षत्रियों का असली "क्षात्र धर्म" है|

छत्र मतलब क्षेत्र, खेत, प्रदेश| छत्रपति, छत्रिय, खत्रीय, खत्तीय, क्षेत्रिय, क्षत्रिय मतलब प्रदेश (क्षेत्र, खेत) का अधिपति| मूलनिवासी खत्तीय गणसंघ अपने क्षेत्र की जमीन सभी मिलकर करते थे और उत्पादन का आपस में समसमान बंटवारा करते थे, इसलिए उन्हें खत्तीय, क्षेत्रिय या छत्रपति कहा जाता है| अर्थात, क्षेत्रिय लोग दुनिया के सबसे प्राचीन समतावादी लोग थे| 

मूलनिवासी क्षत्रियों की यह महान समतावादी परंपरा कायम रखने के उद्देश्य से तथागत बुद्ध ने धम्म का निर्माण कर दिया था| मारारुपी बुराईयों को परास्त कर बुद्ध ने समतावादी नैतिक मूल्यों को धम्म के रुप में स्थापित कर दिया था, इसलिए बुद्ध का धम्म असल में सभी मूलनिवासियों का क्षात्र धर्म है| 

क्षात्र धर्म मतलब लडाकू धर्म, जो हमें बुराईयों के खिलाफ लडने के लिए हमें प्रेरित करता है| असमानता, गुलामी, नफरत, अन्याय, अनैतिकता, अमानवीयता, अंधश्रद्धा यह सभी मारा की बुराईयां है| बुद्ध ने इन बुराईयों को परास्त कर समता, स्वतंत्रता, बंधुता, न्याय, नैतिकता, मानवता, तर्कवाद जैसी अच्छाईयों को धम्म के रूप में स्थापित कर दिया था| बुद्ध के धम्म से प्रेरित होकर सम्राट अशोक, सम्राट कनिष्क जैसे महान बौद्ध सम्राट हुए जिन्होंने समाज में बुद्ध का क्षात्रतेज स्थापित कर भारत को बलशाली भारत बनाया था, जिसके खिलाफ आंख उठाने की भी विदेशी आक्रांताओं की हिम्मत नहीं होती थी|

बौद्ध धर्म के पतन के बाद ब्राह्मणवाद ने मूलनिवासी क्षत्रियों को आपस में जाती और वर्ण के नाम से आपस में भिडाया और कमजोर किया, जिसका फायदा उठाते हुए विदेशी आक्रांताओं ने भारत को तहसनहस कर दिया| 

ब्राम्हणवाद अर्थात हिंदुत्व हमें आपस में भिडाकर कमजोर करता है, तो बौद्ध धर्म हमें आपस में जोडकर शक्तिशाली बनाता है| हमें शक्तिशाली बनानेवाले बौद्ध धर्म इस तरह वास्तविक क्षात्र धर्म है| 

जय मूलनिवासी 

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