आसान नहीं होता प्रतिभाशाली स्त्री से प्रेम करना

1
आसान नहीं होता प्रतिभाशाली स्त्री से प्रेम करना
क्योंकि उसे पसंद नहीं होती जी हुज़ूरी
झुकती नहीं वो कभी
जब तक न हो रिश्तों में प्रेम की भावना।
वो नहीं जानती
स्वांग की चाशनी में डुबोकर अपनी बात मनवाना
वो तो जानती है बेबाकी से सच बोलना।

फ़िजूल की बहस में पड़ना
उसकी आदतों में शुमार नहीं
लेकिन वो जानती है
तर्क के साथ अपनी बात रखना।

पौरुष के आगे वो
नतमस्तक नहीं होती,
झुकती है तो तुम्हारे निःस्वार्थ प्रेम के आगे।
हौसला हो निभाने का
तभी ऐसी स्त्री से प्रेम करना
क्योंकि टूट जाती है वो
धोखे से, छलावे से, पुरुष अहंकार से
फिर नहीं जुड़ पाती, किसी प्रेम की ख़ातिर

Post a Comment

1 Comments
Post a Comment
To Top