ब्राम्हणवाद चोरों का धर्म है।बुद्ध और बोधिसत्व की मूर्तियों को ही चुराकर ब्राम्हणो ने ब्राम्हणवादी प्रतीक बनाये।

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जेम्स बर्गेस और जेम्स फर्गुसन महोदय कहते है कि एलिफेंटा की गुफाएं मौर्य कालीन गुफाएं थी और मुंबई पर मौर्यो के वंशजों का राज था। 
चालुक्यों के समय मे इन गुफाओ में फेरफार हुए और ब्राम्हणवादी प्रतीक जोड़े गए।
त्रिमूर्ति का अर्थ तीन मुख वाली मूर्ति, यह मूर्ति एलिफंटा गुफाओं में सबसे महत्वपूर्ण मूर्तिकला है|
इस गुफा में सिंह की प्रतिमाएं है।बाकी मूर्तिया तो नही लेकिन सिंह की मूर्तियों को तोड़ा गया है।
यह मूर्ति ब्रम्ह,विष्णु ,महेश की नही है इतना तो सही है।
ब्राम्हणो ने यह बात भी स्वीकार की है कि मूर्तिया ब्राम्हणो में नही थी तो ब्राम्हणो ने मूर्तिया कब बनाई?

बुद्ध और बोधिसत्व की मूर्तियों को ही चुराकर ब्राम्हणो ने ब्राम्हणवादी प्रतीक बनाये।
जब रामायण,महाभारत सीरियल बनाना था तब ब्राम्हण पात्र को पोशाख क्या पहनना चाहिए,उन्होंने आभूषण क्या परिधान करना चाहिए इसके लिए भी अजंता गुफाओ का अध्ययन कर वैसे उन्होंने तय किये।
ब्राम्हणवाद चोरों का धर्म है।बुद्ध और बोधिसत्व की मूर्तियों को ही चुराकर ब्राम्हणो ने ब्राम्हणवादी प्रतीक बनाये।

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