ईसाई धर्म में "कनफेशन"(अपराध स्वीकृति) का रिवाज़ बौद्ध धम्म के "पटिमोक्ख" रिवाज़ से लिया गया है!
बौद्ध धम्म में अपराध स्वीकृति को "पटिमोक्ख" कहते है!
पटिमोक्ख(अपराध स्वीकृति) की सभाओ /मीटिंग्स की तिथियां है चतुर्दशी, पंचमी और अष्टमी!इसमें भिकखुगण को सम्मिलित होना कम्प्लसरी होता है !असोका के समय कुछ भिकखु इन पटिमोक्ख सभाओ में सम्मिलित नहीं होते थे तो अशोका नें ऐसे भिकखुओ का चिवर उतारकर उन्हें संघ से बाहर करने का फरमान निकाला था (देखें गौण स्तंभ लेख,सारनाथ )और इसपर खुद स.आसोक नें अमल भी किया!
ईसाई धर्म में अपराध स्वीकृति को कंफैशन कहते है!जिसने अपराध किया है वे खुद आकर अपने अपराध स्वीकार करते है और धर्मगुरुओं के सामने जाहीर तौर पर कबूल करते है!
ईसाई धर्म में यह कंफेशन(अपराध स्वीकृति)आया कहा से?
बाबासाहब अम्बेडकर कहते है की ईसाई धर्म में बहुसंख्य बातें बौद्ध धर्म से ली गईं है!"येशु"इस शब्द का मतलब ही धम्मीक और "ईसाई" शब्द का अर्थ ही "धम्म" होता है!सम्राट अशोक नें "धम्म" शब्द का अरमाइक भाषा में ट्रांसलेशन "ईसूबियस" किया हुआ है!यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात डॉ प्रताप चाटसे नें सामने लाई है!
ईसाई धर्म की अनेक बातों को सामने लाया गया है जो मुलता बौद्ध धर्म की बातें है!कंफेशन(अपराध स्वीकृति)का रिवाज़ भी बौद्ध धम्म से ही ईसाई धर्म में लिया गया है ऐसा दिखाई देता है!
ऐसा दिखाई देता है की पादरीयों नें आगे चलकर कनफेशन खुद की बजाए सामान्य जनता पर लागु किया और बौद्ध भिकखुओ नें कंफेशन(पटिमोक्ख)केवल भिकखुओ तक सिमित रखा!
बुद्ध को महाकारुणीक कहते है तो येशु शब्द का मतलब भी कारूणिक होता है!(धम्म का अर्थ करुणा है) ईसाई धर्म यह गैर एशियन देशों का धम्म है!ईसाई धर्म यह बौद्ध धर्म की ही एक शाखा है!यह बात अलग है की आगे चलकर इसमें अनेक बदलाव हुए!
जय मूलनिवासी