#धम्म_प्रभात
एक नया गीत माता रमा बाई का जबाब जब बाबा साहेब लंदन मे पढ़ाई करते थे तब माता रमाबाई क्या सोचती थी
--------------------------------------
सब मुझ से पूछती हैँ मे, उन से बताऊ क्या,
सब से छुपाऊ क्या
क्यों साथ लेके जाते नही.....
1
पूरे दिना रास्तों से उठती हूँ मे गोबर,
सुबह से लेके शाम बनती हूँ मे ढोबर!
हाथों मे मेरे छालों बना लिया है घर,
तुम को ना हो तकलीफ कोई रहता है ये डर!!
ढेरों है मुसीबत मगर उन को बताऊ क्या,
तुम से छुपाउ क्या
क्यों साथ लेके जाते नही......
2
एक ही साडी है जिसे धो लूँ या सुखा लूँ,
तुम खुद ही परेशा हो तुम्हे कैसे बता दूँ!
हूँ बिन तुम्हारे पगली मे खुद को ही सजा दूँ,
कष्टों से घिरी हूँ तुम्हे ये कैसे ये बता दूँ!!
तुम्हारे बिना मे आस किसी से लगाऊ क्या,
सब से लगाऊं क्या
क्यों साथ लेके जाते नही......
3
इंदु हुई बीमार दवाई ना कराई,
पैसे तुम्हे भेजे थे मे तुम को ही बताई!
पैसों के आभाव मे में बैध को ना लाई,
तुम को रखु मे खुश मगर मे भूखी सो जाई!!
अब इस से ज्यादा और कहानी बताऊ क्या,
तुम से छुपाऊ क्या
क्यों साथ लेके जाते नही.....
4
समाज तुम्हारी ओर निगाहें गढाये है,
मे भी खड़ी हूँ हाथ ये दोनो फैलाये है!
मैने तो अपने चार ये बच्चे गवाएं है,
एक तुम ही हो जिस से सभी आस लगाए है!!
गुलामों के हम गुलाम है किस्से बताऊं क्या,
कहानी सुनाऊ क्या
क्यों साथ लेके जाते नही.....
#Ban_EVM #कॉपी