यादव लोग जो भागवत गीता को मानते हैं अपने साथ लाठी रखते हैं.

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#यादव लोग जो भागवत गीता को मानते हैं अपने साथ लाठी रखते हैं.
 वो लाठी भैंस चराने के लिए नहीं बल्कि मुख्य रूप से बुद्ध के अनुयाई होने के कारण, युद्धविद्या के अभ्यास के लिए रखते थे जो अभी भी परंपरा के रूप में जीवित है| इसी तरह, महार, मेहतर, मातंग, चमार, जाटव, भंगी जाती के लोग साथ में काठी रखते थे जिसे 'घुंघरू की काठी' कहा जाता था|) 
बौद्ध भिक्खु युद्धविद्या भी सिखाते थे|
बौद्ध भिक्षु ज्ञान के साथ साथ युद्ध कौशल भी सिखाते थे| राजा प्रसेनजित से हारने के बाद अजातशत्रु भिक्खुओं से युद्धविद्या सिखता है और फिर प्रसेनजित को हराता है ऐसा जातक कथा में बताया गया है| (वद्धकिसुकर जातक, 283)
सम्राट कनिष्क के मंत्री भिक्खु माथेरा ने युद्धनिती का ग्रंथ भगवद गिता लिखा है| चीन में गये भारत के बौद्ध भिक्षु धर्मकीर्ति ने मार्शल आर्ट विकसित किया था| बौद्ध भिक्षु तथा बौद्ध अनुयायी मार्शल रेस होने के कारण वे अपने साथ लठ्ठ (काठी) हमेशा साथ रखते थे|
बौद्ध भिक्षु युद्धविद्या सिखाते थे इस महत्वपूर्ण इतिहास को मिटाने के लिए ब्राह्मणों ने प्रतिक्रांती के बाद महाभारत ग्रंथ में यह लिखा की ब्राह्मण द्रोणाचार्य युद्धविद्या गुरु था| इसी तरह, बौद्धों के युद्धविद्या ग्रंथ भगवद्गीता का ब्राह्मणीकरण कर ब्राह्मणों‌ ने प्राचीन बौद्ध युद्धविद्या को काल्पनिक कृष्ण की युद्धविद्या के नाम से पेश किया|
इस तरह, ब्राह्मणों‌ ने प्राचीन बौद्धों की युद्धविद्या का काल्पनिक द्रोणाचार्य और काल्पनिक #कृष्ण के नाम से ब्राह्मणीकरण किया|
#जय मूलनिवासी
@Nayak1

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