रक्षाबंधन के नाम पर 1000, 2000 रुपये और साड़ी,कपड़े ना मांग कर अपने पिता की संपत्ति से #अपना_हिस्सा मांग कर दिखाइए।

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अगर महिलाओं और लड़कियों को रक्षाबंधन पर इतना ही विश्वास अपने भाइयों पर है तो मैं उन महिलाओं और लड़कियों से निवेदन करना चाहती हूं कि आप अपने भाइयों से रक्षाबंधन के नाम पर 1000, 2000 रुपये और साड़ी,कपड़े ना मांग कर अपने पिता की संपत्ति से #अपना_हिस्सा मांग कर दिखाइए, यकीन मानिए उसी दिन भाई बहन का असली प्यार की असली सच्चाई हमारी बहनों और बेटियों को मालूम चल जाएगी।
बात कड़वी है पर 100% प्रतिशत सच्ची है।

आखिर क्यों बांधते है कलावा?

'येन बद्धो, दानेन्द्रो बलिराजा महाबलः ।

तेन त्वाम प्रति बधनामि रक्षे माचल, माचल, माचल ॥'

मैं तुझे इस उद्देश्य आखिर क्यों बांधते हैं कलावा ?

भावार्थ: ये धागा से बंधता हू जिस उदेश्य से तेरे सम्राट बलिराजा को बांधा गया था, आज से तू मेरा गुलाम है मेरी रक्षा करना तेरा कर्तव्य हे, अपने समर्पण से हटना नहीं या जिस प्रकार महादानी एवं बलशाली राजाबली को छलपूर्वक वध किया था और उसका सब कुछ लूट लिया था, ठीक उसी प्रकार तुम्हारा पुनः वध करुँगा (सब कुछ लूट लूँगा) अतः तुम भागना नहीं, भागना नहीं, भागना नहीं.

अवसरः पूजा, यज्ञ, तिलक, विवाह, सावन मास या रक्षाबंधन के अवसर पर कलाई पर धागा या नाड़ा (रक्षा सूत्र या कलवा) बांधते समय इस श्लोक का उपयोग आर्य पुरोहित यानि ब्राहाण उच्चारित करते हैं.

और हमारा समाजः इस मंत्र के शब्द इतने सामान्य है कि

मैट्रिक स्तर के छात्र यदि ध्यान दें तो अवश्य ही इसका

भावार्थ समझ सकते है किन्तु शिक्षित, उच्च शिक्षित लोग भी मूर्ख बनते है.
जय मूलनिवासी 

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