बुद्ध_को_स्त्री_विरोधी_बताना_यह_ब्राम्हणों_का_एक_षड्यंत्र_है।

0
#बुद्ध_को_स्त्री_विरोधी_बताना_यह_ब्राम्हणों_का_एक_षड्यंत्र_है...!

सवर्ण स्त्रियों में चर्चा का विषय है। बुद्ध को स्त्री विरोधी बताना। बुद्ध पत्नी ( यशोधरा ) को धोखे से छोड़ गए। जबकि सच्चाई यह है, कि सिद्धार्थ ने युद्ध के खिलाफ अपने ही मंत्रिमंडल से बगावत कर युद्ध करने से इनकार किया। शाक्य और कोलिय के बीच युद्ध ना हो राज्य मै शांति बने रहे।इसीलिए सिद्धार्थ गौतम ने गृहत्याग किया। कपिलवस्तु के संग सभा में सिद्धार्थ गौतम ने जो देश त्याग का निर्णय लिया था। उसका पता पत्नी यशोधरा और सिद्धार्थ के माता पिता को सिद्धार्थ के महल पहुंचने से पहले ही पता चल गया था। महल पहुंचने के बाद पत्नी यशोधरा से कैसे सभा की बातें और उनकी देश त्याग की घोषणा के बारे में खुलासा किया जाए। यह सोचकर सिद्धार्थ स्तब्ध हो गए थे, कि यशोधरा ने ही स्तब्धता को भंग करते हुए कहा कि संघ सभा में आज जो कुछ भी हुआ है, उसका पूरा वृतांत मुझे मिल चुका है। आप की जगह मैं भी होती तो कोलियों के विरुद्ध युद्ध में सहभागी न होते हुए,मै भी वही कदम उठाती जो आपने उठाया है। मैं भी आपके साथ परिवर्ज का स्वीकार कर लेती, लेकिन राहुल ( बेटे) की जिम्मेदारी की वजह से मैं ऐसा नहीं कर सकती। ब्राम्हणों को डर है, कोई स्त्री कभी बुद्ध के शिक्षाओं को  स्वीकार न करे , क्यूकि परिवार के महिलाओं ने बुद्ध विचारों पर चलना शुरू किया तो, ब्राम्हणों द्वारा रची गयी काल्पनिक कहानियां/ मंदिर पूजा ओर पाखंड का हर घर के स्त्रीयों द्वारा विरोध होगा। इसी लिए बुद्ध को हमेशा ब्राम्हणों ने मिटाने की कोशिश की है। ब्राम्हणों ने बुद्ध को स्त्रीविरोधी साबित करने हेतु अनेको काल्पनिक कहानिया लिखी, की सिद्धार्थ गौतम ने अपनी पत्नी और बच्चे को सोता हुआ छोड़कर चुपके से गृहत्याग किया। 

किन्तु आंबेडकर जी इस मान्यता से सहमत नहीं थे। उनके अनुसार सिद्धार्थ ने पूरी तरह अपने पिता शुद्धोधन, अपनी माता प्रजापति गौतमी और पत्नी यशोधरा से सहमति और अनुमति लेकर घर से अभिनिष्क्रमण किया था। बाबासाहेब जी के दृष्टि में कोई भी व्यक्ति, जो व्यतक्ति परिवार विमुख वह समाज विमुख भी होगा। वह समाज उन्मुख नहीं हो सकता। इसलिये आंबेडकर जी ने इस बात को रेखांकित करना ज्यादा जरूरी समझा कि सिद्धार्थ जैसा जनवादी और जागरूक व्यक्ति परिवार विमुख कैसे हो सकता है? वह परिवार के सदस्यों को धोखा देकर घर छोड़ ही नहीं सकते थे। इस तरह के विश्वासघात की अपेक्षा उनसे से नहीं की जा सकती। आंबेडकर जी ने लिखा है, कि जब सिद्धार्थ ने कपिलवस्तु छोड़ा, तो अनोमा नदी तक जनता उनके पीछे-पीछे आयी थी। जिसमें उनके पिता शुद्धोधन और उनकी माता प्रजापति गौतमी भी उपस्थित थे।

जय मूलनिवासी
@Nayak1

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
To Top