जब बाहर सभी के साथ, एक दूसरे से बंधुत्व भाईचारे की स्थापना हो जायेगी, तो बाह्य दृश्य परिदृश्य चारों तरफ हरदम सकारात्मक प्रभाव ही पैदा होते रहेंगे,

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संवेदना की गहनता से ही जीवन में, सत्य प्रेम नैतिकता वा बंधुत्व भाईचारे की धारणा होगी, और जीवन में शांति सकारात्मक प्रभाव बंधुत्व भाईचारे की भावना से ही धारित होगी, 
चुकी, जब बाहर सभी के साथ, एक दूसरे से बंधुत्व भाईचारे की स्थापना हो जायेगी, 
तो बाह्य दृश्य परिदृश्य चारों तरफ हरदम सकारात्मक प्रभाव ही पैदा होते रहेंगे,
 पर ये होगा कैसे?? 👇
सत्य, प्रेम, नैतिकता का आधार👉 करुणा!
करुणा का आधार👉 संवेदना का जीवन के चारो तल पर गहन प्रभाव!!
संवेदना का आधार👉 बंधुत्व भाईचारे वा संबंधो का गहन प्रभाव!!!
बंधुत्व भाईचारे वा संबंधो की गहनता का आधार👉सभी की प्राकृतिक (स्वाभाविक) धारणाओ की निजिता की पूर्ण स्वतंत्रता वा सुरक्षा!!!!
सभी की निजिता की पूर्ण स्वतंत्रता वा सुरक्षा का आधार👉 सभी को आर्थिक स्वतन्त्रता!!!!!
सभी को आर्थिक स्वतंत्रता का आधार 👉 न्यू शोध किए गए अर्थ शास्त्र की, सुखमय वैश्विक सामाजिक आर्थिक संरचना का नैतिक नियम,
संपूर्ण समाधान वैश्विक सामाजिक व्यवस्था का मूलाधार👉 नए अर्थ शास्त्र की, सुखमय वैश्विक सामाजिक आर्थिक संरचना है, 
जो जन जन जीवन जगत, यहां तक की आज़ का जन्म लिया शिशु भी आर्थिक रूप से स्वतन्त्र हैं, 
कोई किसी पर कभी भी, आर्थिक रूप से एक दूसरे पर अपेक्षित नही होगे, ऐसी धारणा से नया अर्थ शास्त्र में पूर्ण रूपेण क्षमता धारित है,
संपूर्ण जीवन दर्शन विश्व वासुदेव कुटुम्बकम की थीम पर आधारित, एक लोक (धरा) दर्शन है, 
जो संपूर्ण जीवन जगत की, विभिन्नताओ में प्राकृतिक (स्वाभाविक) व्यक्तिगत धारणाओ का समुच्चय👉 संपूर्ण जीवन दर्शन की धारणा है, जो जीवन केंद्रित धारणा है,
     अभी तक दुनियां भर के किसी भी दर्शन में, संपूर्ण जीवन जगत को अपने अन्दर स्थान नही दिए हुए थे,    
   चुकी सभी दर्शनों में अभी तक व्यक्तित जीवन की प्राकृतिक (स्वाभाविक) धारणा को स्थान नही दिया गया था, 
बल्की समाजिक व्यक्तित्व की धारणा पर, यानी जिस समाजिक व्यक्तित्व की धारणा से जो जो दर्शन निकले, उन्ही समाजिक व्यक्तित्व की धारणा में, सभी को जीवन यापन करना पड़ता था, 
अतः दर्शनों में बटवारा होता चला आया, कुनवा इधर से उधर बिखरने लगा, आज भी भगदड़ मची हुई हैं, सभी साम्प्रदायिक धार्मिक संगठनों में डर है, भय है, की कही मेरा कुनवा न कम हो जाए, खून खराबा रक्त रंजित लहू लुहान है,
अपने अपने कुनवे में, लोगो को आने का न्योता प्रलोभन दिया जा रहा है, की लोग मेरे कुनवे में आए, और मेरा कुनवा की जनसंख्या ज्यादा हो,
 तभी तो हम अपने अपने प्रवचन उपदेशों कथाओ से लोगो को आकर्षित कर, आर्थिक शोषण कर सुखी हो सकेगे,
चुकी अभी जो अर्थ शास्त्र जंगल से चला आ रहा है व्यवस्थाओं का मूलाधार बना हुआ हैं, यह अर्थ शास्त्र ही शोषण कारी है, 
और इस तरह दस प्रतिसत से ज्यादा लोगो को, अपने अंदर स्थान नही देता है, तथा नव्वे प्रतिसत लोगों को गरीब बनाकर रखा हुआ है, 
इस जंगली जाहिल गंवार टाइप के अर्थ शास्त्र को शास्त्र कहना भी शास्त्रों का अपमान है,
अतः आज का न्यू शोध किया गया नया अर्थ शास्त्र, सभी को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करता है, 
और इसी अर्थ शास्त्र की नींव पर, संपूर्ण समाधान वैश्विक सामाजिक व्यवस्था का लिखित प्रारूप, जन जन जीवन जगत को आर्थिक रूप से संपनता प्रदान कर,
 सम्पूर्ण जीवन जगत को, उनकी सभी की अपनी अपनी प्राकृतिक (स्वाभाविक) धारणा गत जीवन को रुचिकर बनाता है,
तो सम्पूर्ण जीवन दर्शन से उदित, संपूर्ण समाधान वैश्विक सामाजिक व्यवस्था का अवलोकन करे, त्रुटी निकाले भ्रम दूर करे करवाए, और व्यवस्था को देश में लागू कर, वैश्विक सामाजिक व्यवस्था की राह आसान करे.
नमो बुद्धाय
जय मूलनिवासी
@Nayak1

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