भारत स्वयं को एक उभरती शक्ति के रूप में स्थापित करने के साथ ही अपने कूटनीतिक कौशल से विश्व पर गहरी छाप भी छोड़ रहा है।

0
• चिंता मनुष्य को वैसे ही खोखला कर देती है जैसे लकड़ी को दीमक 
             कूटनीतिक कौशल का कमाल
भारत अपनी अध्यक्षता में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक के पहले ही दिन जिस तरह सभी सदस्य देशों के बीच सहमति बनाने और साझा घोषणा पत्र जारी करने में सक्षम हुआ, वह उसके कूटनीतिक कौशल का कमाल ही है। भारत के नेतृत्व में जी-20 शिखर सम्मेलन के साझा घोषणा पत्र पर सहमति कायम होना इसलिए भारतीय नेतृत्व की एक बड़ी जीत है, क्योंकि इसकी आशंका थी कि यूक्रेन युद्ध के कारण साझा घोषणा पत्र तैयार होना कठिन होगा। यह आशंका तब और बढ़ गई थी, जब जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के अतिरिक्त अन्य बैठकों में कोई साझा वक्तव्य जारी नहीं हो सका था। इसके बाद जब रूसी राष्ट्रपति और फिर चीनी राष्ट्रपति नई दिल्ली आने से पीछे हट गए, तब भी साझा घोषणा पत्र जारी होने को लेकर संदेह गहरा गया था, लेकिन अंततः भारतीय नेतृत्व ने वह कर दिखाया, जो असंभव सा लग रहा था। भारत साझा घोषणा पत्र को लेकर सहमति बनाने में इसीलिए सक्षम हो सका, क्योंकि उसने वैश्विक हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और एक बेहतर दुनिया के निर्माण के लिए एक-दूसरे पर भरोसा करने और मिलकर काम करने की महत्ता को प्रभावी ढंग से रेखांकित किया।

• भारत जी-20 देशों के बीच तनातनी के बावजूद केवल साझा घोषणा पत्र पर सहमति कायम कराने में ही सफल नहीं रहा, बल्कि वह सदस्य देशों को इसके लिए राजी करने में भी समर्थ रहा कि 55 देशों वाले अफ्रीकी संघ को भी इस विशिष्ट समूह का हिस्सा बनना चाहिए। भारत की इस पहल को जो सफलता मिली, उससे उसे अफ्रीकी देशों की सदाशयता तो मिलेगी ही, उसका अंतरराष्ट्रीय प्रभाव भी बढ़ेगा। निःसंदेह महत्वपूर्ण केवल यह नहीं है कि भारत साझा घोषणा पत्र जारी कराने में सफल हुआ, बल्कि यह भी है कि इसके माध्यम से वह बड़े देशों को यह संदेश देने में सक्षम हुआ कि टिकाऊ, संतुलित एवं समावेशी विकास की दिशा में आगे बढ़ना समय की मांग है। साझा घोषणा पत्र की एक विशेष बात यह भी है कि यह अब तक का सबसे व्यापक घोषणा पत्र है, जिसमें जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के साथ-साथ लैंगिक समानता को बल देने और महिलाओं एवं लड़कियों को सशक्त बनाने पर जोर दिया गया है। जी-20 शिखर सम्मेलन ने यह भी दिखाया कि भारत अंतरराष्ट्रीय हितों का संरक्षक बनने के साथ विश्व को दिशा देने में भी समर्थ हो रहा है। इसका परिचय प्रधानमंत्री मोदी की ओर से स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन बनाने की घोषणा से मिला। इसके पहले भारत अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत कर चुका है। अब इस गठबंधन के सदस्यों की संख्या सौ से अधिक हो गई है। स्पष्ट है कि भारत स्वयं को एक उभरती शक्ति के रूप में स्थापित करने के साथ ही अपने कूटनीतिक कौशल से विश्व पर गहरी छाप भी छोड़ रहा है।
जय मूलनिवासी 

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
To Top