मार्क्स कहते है कि यदि एक वाक्य में कहूँ तो-"धर्म उन सभी गुणों का विकास करता है जो एक पालतू कुत्ते में होते है।"

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धर्म के संबंध में कार्ल मार्क्स के कुछ विचार:-
"धर्म उच्च वर्गों द्वारा बनाया गया एक हथियार है, जिससे वे निम्नवर्ग का दमन सफलतापूर्वक करते है।"

आगे कहते है कि-
"धर्म निम्नवर्ग को समझाता है कि उसका दुःख वास्तविक दुःख नही हैं, वल्कि ईश्वर द्वारा ली जा रही परीक्षा है।

वह उसे मृत्यु के वाद अलौकिक सुख मिलने का आश्वासन देता है।  इसके सबके कारण उसकी विद्रोह चेतना समाप्त हो जाती है।"

ये भी कहते है-
"धर्म कुछ खास गुणों का विकास करता है जैसे, आज्ञाकारी मानसिकता, विनम्रता, आत्मसंयम, दुःखों को झेलने की क्षमता इत्यादि, ये सभी गुण व्यक्ति को बेहद शांत बना देते है और वह अपने अधिकार मांगना छोड़ देता है।"

मार्क्स कहते है कि यदि एक वाक्य में कहूँ तो-
"धर्म उन सभी गुणों का विकास करता है जो एक पालतू कुत्ते में होते है।"

मार्क्स के उक्त विचार वर्तमान/आधुनिक भारतीय समाज मे कितने प्रासंगिक है, शोध/अध्ययन का विषय है।
जय मूलनिवासी 

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