काँस का बड़ा भाई, मूंजा या मूँज: ये बेक पैन का स्पेशलिस्ट है।

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काँस का बड़ा भाई, मूंजा या मूँज: 
ये बेक पैन का स्पेशलिस्ट है। अगर आप मूँज नही जानते तो फिर आप गलत हैं। कुछ ही साल पहले जिस खाट पर आप सोते थे, उसकी रस्सियाँ इसी से बनती थी...

                   हनुमान चालीसा पाठ करते समय पंक्ति आती है.. "हाथबज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजै॥5॥
अर्थात - आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभायमान है। तो चलिये आपको ले चलता हूँ, मूँज की परिचय यात्रा पर...
                मुंज घास सूखे प्रदेशो में पायी जाने वाली एक प्रमुख घास है, राजस्थान के रेतीले क्षेत्रो में इसका खूब फैलाव है, किन्तु मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में भी यहाँ पाया जाता है। लगभग 2 से 3 मीटर ऊंचाई वाला यह घास मिटटी के कटाव को रोकनेके लिये ब्रम्हास्त्र है, साथ ही छोटे जीवो के लिए शरण स्थली और भोजन का भी स्त्रोत है। कुछ वर्षों पहले तक इसकी पत्तियो से खाट की रस्सी तैयार की जाती थी। और जब तक लोग इससे बनी खाट पर बैठते या सोते रहे न तो उन्हें कोई बैक, पैन हुआ। न ही कोई सरवाइकल प्रॉब्लम हुई और न ही अन्य तरह की समस्या। इसमी किसी प्रकार का टोना - टोटका या जादुई रहस्य या गुणधर्म नही है। असल मे खाट की रस्सी शरीर पर मसाज या एक तरह से एक्यूप्रेशर जैसा ट्रीटमेंट शरीर को मुफ्त में उपलब्ध करवा देती थी। अब कोमल गद्दों में सोने वाली आजकल की सुकमार पीढ़ी न तो खटिया की वो गड़न/ चुभन जानती है न ही उसकी चूँ चूँ। वो जानती है तो सिर्फ BP, sugar, diabeties टाइप के बड़े बड़े नाम। ये गरीब और छोटे छोटे राहत भरे शब्द सुनने- जानने का न तो उनमें।साहस है और न ही उनके पास इतना फालतू समय है। चलो छोड़ो इस बेमतलब विषय को। हम लौटते हैं,  मूँज की रस्सी पर। हालांकि सबसे मजबूत और टिकाऊ रस्सी मोआ नामक घास की होती है, इसकी नही। 
                 इसके लंबे पुष्पक्रम से कई प्रकार के ornamental items बनाये जाते थे, घास की लेयर को मकान, झोपडी आदि की छत निर्माण में लगाया जाता था, चटाई, हाथ के पंखे और यहाँ तक की छूप से बचने के लिए चटाइनुमा चादर भी उससे बनाये जाते थे। लेकिन आधुनिक प्लास्टिक युग ने इस महत्वपूर्ण पौधे के सारे महत्त्व और उपयोग छीन लिये। किन्तु दुनिया की कोई भी प्लास्टिक मिटटी का कटाव रॉकने और जंगली जानवरो, पक्षियो एवम कीटो को संरक्षण प्रदान करने में इसकी बराबरी नहीं कर सकते। 
इन सबके अलावा यह एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधे के रूम में विख्यात था। हमारे गाव में कुछ लोग इसे बड़ी काँस भी कहते हैं। उनके अनुसार इसके जड़ो का रस पेशाप में जलन होने पर फायदेमंद होती है। साथ ही खून को साफ करने का कार्य भी करती है। अगर आपके पास भी इस पौधे की जानकारी हो तो कृपया साझा करें। 

#मुंज घांस / #सरकंडा / #सौंठा / #वाण/ #Munja
Scientific name- #Saccharum_munja
Family- #Poaceae

🙏 जय मूलनिवासी 

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