छत्रपति शाहूजी महाराज ने बाबा साहेब अंबेडकर का इंटरव्यू लिया और पूछा कि मिस्टर अम्बेडकर अगर मैं आपको विदेश में पढ़ने हेतु पैसे दूंगा और आप जब विदेश से पढ़कर भारत वापस आओगे तो बदले में मुझे क्या दोगे?

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 साथियों बाबा साहेब अंबेडकर ने जब विदेश में पढ़ने हेतु छत्रपति शाहूजी महाराज से कर्ज मांगा तो छत्रपति शाहूजी महाराज ने बाबा साहेब अंबेडकर का इंटरव्यू लिया और पूछा कि मिस्टर अम्बेडकर अगर मैं आपको विदेश में पढ़ने हेतु  पैसे दूंगा और आप जब विदेश से पढ़कर भारत वापस आओगे तो बदले में मुझे क्या दोगे?


बाबा साहेब अंबेडकर ने इसका जवाब दिए कि आपके पैसे से अगर मैं विदेश से पढ़कर वापस आऊंगा तो (𝑀𝑌 𝐸𝐷𝑈𝐶𝐴𝑇𝐼𝑂𝑁 𝐼𝑆 𝐹𝑂𝑅 𝑀𝑌 𝑆𝑂𝐶𝐼𝐸𝑇𝑌) मेरा शिक्षा मेरे समाज के लिये होगा।

इसी शर्त पर बाबा साहेब अंबेडकर विदेश से पढ़कर जब भारत आये तो उन्होंने 1916 से लेकर 1956 तक समाज के लिये संघर्ष किये। छत्रपति शाहूजी महाराज को दिए गए वचन के मुताबिक बाबा साहेब अंबेडकर ने वो कर दिए जो छत्रपति शाहूजी महाराज चाहते थे। बाबा साहेब अंबेडकर ने सारे बहुजन महापुरुषों के जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेकर दुनियां का विशाल संविधान देकर हजारों वर्षों की गुलामी को पल भर में खत्म कर दिए।

जब देश में संविधान लागू हुआ तो क्या हुआ?

जिस समाज को मरे हुए जानवर के मांस खाने के लिए कुत्तों से लड़ना पड़ता था उस समाज में बाबा साहेब अम्बेडकर ने मान सम्मान स्वाभिमान पैदा किया।

जिस समाज को स्कूल के बाहर भी बैठकर पढ़ने का अधिकार नहीं था उस समाज में बाबा साहेब ने कलेक्टर पैदा किया।

जिस समाज को सड़क पर चलने का अधिकार नहीं था उस समाज को बाबा साहेब ने लाल बत्ती के गाड़ी में बिठाया।

जिस समाज को झाड़ू मारने के लिये नौकर में भी नहीं रखा जाता था उस समाज में बाबा साहेब ने सांसद विधायक पैदा किया।

जिस समाज को गले में हांडी और कमर में झाड़ू बंधा था उस समाज में बाबा साहेब ने गले की हांडी हटाकर गले में टाय लटकाया।

कमर से झाड़ू हटाकर बेल्ट लगाया।

जो समाज हजारों वर्षों से जंगलों में था बाबा साहेब ने उस समाज को बंगलों में लाया।

मगर जीवन के आखिरी समय में बाबा साहेब ने उस समाज से कहा था कि मैंने अपने जीवन में अकेला इतना काम कर दिया जिस काम को लाखों लोग मिलकर नहीं कर सकते। 

मैनें हृदय विदारक पीड़ा सहकर, अपने चार चार बच्चों की कुर्बानियां देकर जिस कारवां को यहां तक लाया हूँ अगर आप लोग इसको आगे नहीं ले जा सकते तो कभी पीछे भी मत होने देना।

आज संविधान के रहते हमारा समाज इतना पीछे क्यों चला गया? 

कारण

हमारे समाज के लोग अपने शिक्षा को अपना केरियर बना लिया।

बाबा साहेब ने कहा 𝐌𝐘 𝐄𝐃𝐔𝐂𝐀𝐓𝐈𝐎𝐍 𝐈𝐒 𝐅𝐎𝐑 𝐌𝐘 𝐒𝐎𝐂𝐈𝐄𝐓𝐘. (मेरा शिक्षा मेरे समाज के लिये) मगर

हमारे समाज के लोगों ने कहा मेरा शिक्षा मेरे परिवार के लिये।

बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था कि ऐ मेरे समाज के लोगों जाओ मैनें तुझे संविधान दिया आप जब पढ़ लिखकर कुछ बन जाना तो थोड़ा समय, बुद्धि, पैसा, पैसा, हुनर ,श्रम उस समाज को देना जिस समाज ने आपको पैदा किया है। मगर अफसोस नौकरी मिली समाज के नाम पर लगाया परिवार में, समय मिला समाज के नाम पर लगाया परिवार में, बुद्धि मिली समाज के नाम पर लगाया परिवार में,पैसा मिला समाज के नाम पर लगाया परिवार में।

बाबा साहेब ने परिवार में लगाने के लिये थोड़े ही मना किये थे। बाबा साहेब का कहना था कि 99 प्रतिशत अपने परिवार के ऊपर खर्च करो मगर 1 प्रतिशत समाज के लिये खर्च करो।

इसी भयानक गलती की वजह से आज हमारा समाज काफी पीछे चला गया है इसलिये समय रहते हम सारे बहुजन समाज के विद्वान, बुद्धिमान, बुद्धिजीवी वर्ग को संगठित होकर बाबा साहेब के कारवां को आगे बढ़ाना होगा। बाबा साहेब के अधूरे कार्यो को पूरा करना होगा। इसी में हमारा और हमारे आनेवाली पीढ़ी का भलाई है।

Pay back to society

Jai mulnivasi 

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