आने वाले समय से सावधान रहकर हमे वामन मेश्राम साहब के नेतृत्व आजादी का आंदोलन में साथ सहयोग देकर आजादी ले लेनी चाहिए.

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लोग मुझ से कहते है आप में आंदोलन के प्रति जागरूकता, निष्ठा, ईमानदारी अनुशासन कहा से आया?
जिसकी मा (हंसाबेन नेदरिया)के अंदर ही आंदोलन के प्रति इतनी जागरूकता हो उनके बच्चो में तो DNA 🧬 में ही मिलता है जब मेरा जन्म नही हुआ था तब ही बामसेफ की स्थापना हो गई थी. हमारे पापा की वजह से इतनी जागरूकता हमारे घर तक तब पहुंची.कांतिभाई नेदरिया जी के अंदर फुले आंबेडकर की विचारधारा का सेहलाब था.(મોર ના ઇંડા ને ચીતરવા ના પડે)(मोर के अंडे के ऊपर पहले से ही डिजाइन होती है इसके ऊपर डिजाइन बनानी नही पड़ती.) मा बाप अपने बच्चो को अपनी मिलकत वारिस के तौर पर देते है मुझे मेरा मा बाप से महापुरुषों की विचारधारा मिली.व्यवस्था को बदलने का सहेलाब मुझे भी मिला. 
देश में हो रहे इतनी सारी घटनाएं हो रही है इन सारे उदाहरणों और घटनाओं से एक बात स्पष्ट है कि जब तक ये देश हिन्दू धर्म और उसकी छत्रछाया में पनपती आ रही है हिन्दू संस्कृति से प्रभावित रहेगा, यहाँ ये ही चलता रहेगा। इसलिए जो इस संस्कृति के शिकार हैं उन्हें सोचना है कि क्या वे इसी संस्कृति को अनुकरण करे या नये संस्कृति की नींव डाले। इस अवसर पर यह कहना अनुचित न होगा कि ये वही संस्कृति है जिसने वर्णाश्रम समाज व्यवस्था बनाकर किसी को ऊँचा बनाया और किसी को नीच । असमानता, छुआछूत,ऊँच-नीचता की दिवारें बनाकर इस देश की एकता, अखंडता और एक संघता भंग करने की पहल भी इसी संस्कृति ने की। परन्तु दूसरी संस्कृति का निर्माण इतना आसान नहीं। बाबासाहब डॉ. आम्बेडर ने इस देश में इस संस्कृति के शिकार लोगों के लिए एक नई व्यवस्था और नई संस्कृति की नींव डालने की पहल की थी, आज उसे शक्तिशाली बनाने की आवश्यकता है।यह बात समझना और समझना होगा.
मेरी मम्मी दिन रात इतनी उम्र होने के बाद भी जुजारू महिला की तरह संगठन को ताकत देती है.इस उम्र में महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलती.कोई भी आंदोलन हो जेलभरो आंदोलन हो या बड़ी रैली, महामोर्चा, राष्ट्रीय अधिवेशन वो लोगो के साथ हमेशा आगे खड़ी होती है.दुनिया के सबसे #ज्ञानी व्यक्ति बाबा साहब डॉ. आम्बेडर ने आज के दिन देश मे असामनता फैलाने व स्त्रियों का शोषण करने वाली #मनुस्मृति को फूँका था यही मेरे लिए बहुत है मनुस्मृति की सच्चाई जानने के लिए।यह कह कर,
 आज मनुस्मृति का दहन का कार्यक्रम में भी उन्होंने पहल की. मा इतनी उम्र में भी हमारी आजादी के लिए लड़ रही है हम समस्त महिलाओ को उनके हौसले से प्रेरणा लेनी चाहिए.आने वाले समय से सावधान रहकर हमे वामन मेश्राम साहब के नेतृत्व आजादी का आंदोलन में साथ सहयोग देकर आजादी ले लेनी चाहिए.
जय मूलनिवासी 

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