01 जनवरी विजय दिन का हमे गर्व है.

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01 जनवरी विजय दिन का हमे गर्व है.
सेनापति सिद्धनाक ने पेशवा से कहा था कि हम अंग्रेजों के समर्थन में लड़ना नहीं चाहते, लेकिन हमारे गले में मटका और पीठ पीछे झाड़ू नहीं होना चाहिए ? तब पेशवा ने कहा, सुई की नोक पर बैठेते उतना भी अधिकार हम देने के लिए तैयार नहीं है तुम्हें ?
पेशवा के इस घमंड को तोड़ने के लिए जनवरी 1818 को 500 महार सैनिकों ने पेशवा के 30,000 की फ़ौज में से 2000हजार ब्राह्मण भाग गए थे 28,000 सैनिकों को ककड़ी की तरह काट डाला और पेशवाई का अंत कर दिया। यही से हमारी आजादी की जंग शुरू हुई, हमें विश्वास है हम इसे जीत लेंगे। इसके बाद ही हमारे गले में से मटका और झाड़ू निकल गया। मुझे गर्व है उन 500 महार सैनिकों पर। जय मूलनिवासी 

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