ज्योतिबा और सावित्री ने क्रांति साथ मिलकर की, उनको आदर्श मानते हो तो तुम्हारी क्रांति तब तक ढोंग ही है जब तक तुम्हारे आंदोलन में तुम्हारे परिवार की स्त्रियां कंधे से कंधा मिलाकर तुम्हारे साथ खड़ी नहीं हैं।

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स्त्री को शिक्षित करने भर से क्रांति नहीं आयेगी, जब तक इस शिक्षा से वह अपने जीवन के फैसले बिना पुरुषों के रोक टोक से न ले सके, वह गुलाम ही रहेगी।
पढ़ी लिखी महिलाओं तक को बच्चे पालने और परिवार पोसने के नाम पर घरों में कैद रखने वाले पुरुषों को कोई हक़ नहीं सावित्री की जयंती मनाने का।
ज्योतिबा और सावित्री ने क्रांति साथ मिलकर की, उनको आदर्श मानते हो तो तुम्हारी क्रांति तब तक ढोंग ही है जब तक तुम्हारे आंदोलन में तुम्हारे परिवार की स्त्रियां कंधे से कंधा मिलाकर तुम्हारे साथ खड़ी नहीं हैं।

समाज को समता सिखाने से पहले अपने परिवार की महिलाओं से समता का व्यवहार कर के दिखाओ। वरना हम तो तुम्हें कतई हरामखोर ही समझेंगे, जो की तुम हो ही।
#जय_सावित्री 
जय मूलनिवासी 

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