बंद कर दो भाजपा और कांग्रेस को वोट करना। वोट सिर्फ पिछड़े और अछूतो वाली पार्टी को दो। जीतते नहीं तो कोई बात नहीं हराने वाले बन जाओ और समाज का निर्माण करो. मा कांशीराम साहब

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हमें अपना आंदोलन, अपने स्वयं के पैरों पर खड़ा होकर चलाना है। आज तक हमारे समाज के लिए जितने भी आंदोलन चले हैं, वे सफल इसलिए नहीं हुए या हो नहीं सकते थे क्योंकि उनमें सहारे के साथ-साथ इशारा भी होता है। अगर इशारा न माना जाये, तो सहारा छीनकर आंदोलन तत्काल समाप्त कर दिया जाता है। इससे हमें सबक सीखना होगा।मैं तुम्हें चेतावनी दे रहा हूँ.
तुम्हारा मर्डर भी होगा, बलात्कार भी होगा, सरेआम पीटे भी जाओगे, कोई बचाने नहीं आएगा। तुम लोग टोली बनाकर जमा होंगे। नारेबाजी करोगे, अपने संगठन के नाम से ज्ञापन दोगे। फेसबुक पर फोटो डालोगे। ज्यादा से ज्यादा रास्ते पर जाकर शहर राज्य या देश बंद करोगे। प्रशासन तुम्हारी बात मान लेगा।

मान्यवर कांशीराम

गिरफ्तारी करेगा, फिर क्या? न्याय मिलता है ? सवाल न्याय का नहीं है। सवाल यह कि तुम पर अत्याचार होता ही क्यों है? वह इसलिए कि तुम लोग शासक नहीं हो, चुनाव में यही तुम्हारे जाति बाले संगठन कांग्रेस, भाजपा जैसी पार्टी में बिक जाते हैं अपना कैरियर बना लेते हैं और तुम लोग उनको अपना नेता मान कर मार खाते रहते हो।

बताओं तुम पर अत्याचार होता है और तुम्हारा कौन सा कांग्रेस, भाजपा का नेता पार्टी लाइन से बाहर एक बात भी बोलते है? कितने लोगों ने समाज के लिए बीजेपी, कांग्रेस पार्टी छोडी? नहीं छोड़ी।

मतलब वो समाज के नहीं बल्कि पार्टी के वफादार है हम लोग ऐसे ही इन दलालों के रहते हुए मार खाते रहेंगे, तुम लोगों को शासक बनना चाहिए क्योंकि शासक कभी मार नहीं खाता। बताओ कितने ब्राह्मण, राजपूत, बनियों के ऊपर अत्याचार होता है? नहीं होता क्योंकि वह शासक है वह शासक इसलिए है कि तुम्हारे यही संगठन उनको तुम्हारे वोटों से शासक बनाते है।

बंद कर दो भाजपा और कांग्रेस को वोट करना। वोट सिर्फ पिछड़े और अछूतो वाली पार्टी को दो। जीतते नहीं तो कोई बात नहीं हराने वाले बन जाओ और समाज का निर्माण करो। यदि सही रास्ते पर चले तो शासक आज नहीं तो कल बन ही जाओगे।
जिस तरह से एक अक्लमंद आदमी; एक ही पिंजरे में शेर, बकरी, गाय नहीं रखना चाहेगा, उसी तरह से इस Political Discipline में विभिन्न विचारों के नहीं, समान विचार के लोगों को होना चाहिए। जिस तरह एक पिंजरे में भेड़, बकरी, शेर रहने पर; भेड़, बकरी को एक-न-एक दिन नुकसान होने वाला अवश्य ही है, लेकिन शेर को कोई नुकसान होने वाला नहीं है। इसी तरह ब्राह्मण, बनिया, बड़े ज़मींदार के साथ बहुजन समाज को एक Discipline में नहीं रहना चाहिए क्योंकि वह तो पहले ही से बहुत सारे नुकसान उठाता रहा है और उनके साथ रहकर आगे भी नुकसान ही होने वाला है। इसलिए हमें खतरा नहीं उठाना चाहिए।

बाबा साहेब इसके लिए हमेशा आगाह करते रहे, लेकिन उनके जाने के बाद उनके लेफ्टिनेंटों ने अपनी भेड़-बकरियों के साथ, शेरों से समझौता कर लिया और नतीजा वही हुआ, जो होना चाहिए था। RPI खत्म हो गयी।

लेकिन फिर भी बाबासाहेब के बताये हुए आदर्श और सिद्धांत आज भी हमारे पास लिखित रूप में मौजूद हैं। बाबासाहेब ने सारी ज़िन्दगी एक ही सिद्धांत के लिए काम किया। अम्बेडकरवाद एक गतिवादी प्रगतिशील सिद्धांत है, जिसे खत्म नहीं किया जा सकता।
साहेब कांशी राम नई दिल्ली, 14 अप्रैल 1984

वोट से लेंगे cm/pm
आरक्षण से SP/DM
वोट हमारा राज तुम्हारा नही चलेगा. नही चलेगा.

जो लोग तुम्हारे हाथ का छुआ पानी तक नही पीते 
वो तुम्हारा वोट लेकर संसद में तुम्हारे हक के लिए क्या खाक लड़ेंगे. मान्यवर कांशीराम साहब
 न्याय चाहिए तो शासक बनो

जिस कौम को मुफ्त में खाने की आदत हो, वह कभी क्रांति नहीं कर सकती।

जो कौम क्रांति नहीं करेगी, वो कभी शासक नहीं बन सकती।

जो शासक नहीं होती, उसकी बहन-बेटी सुरक्षित नहीं होती।
और वो न्याय भी प्राप्त नहीं कर सकती।- साहब श्री कांशीराम

मैं 2 ₹ किलो चावल और 200 रुपये की साड़ी मुफ्त में देने राजनीति में नही आया हूँ। मैं 100 ₹ किलो चावल और 2000 रुपये की साड़ी बहुजन समाज खुद खरीद सके ये ताकत निर्माण करने आया हूँ।" -मा. कांशीराम साहब जी
हमारा लक्ष्य आर्थिक मुक्ति ओर सामाजिक परिवर्तन का है। बीएमपी अपने इस लक्ष्य के प्रति साफ है। उसे बाबासाहब के विचारों के अनुसार ऐसा समाज बनाना है जिसमे ऊच-नीच नहीं होगी। इसान की कद्र होगी और परस्पर घृणा के स्थान पर बराबरी की भावना होगी हम जानते है कि इस लक्ष्य की प्राप्ति – दबे, कुचले वर्ग की आर्थिक मुक्ति के द्वारा ही होगी। इसलिये बहुजन मुक्ति पार्टी का प्रयास है कि - दबे-कुचले वर्ग को उसके अपने पैरो पर खड़ा किया जाये । जब तक ये लोग दूसरों पर निर्भर रहेगे और उनके पिछलग्गू बने रहेगे, भारी जनशक्ति के बावजूद अपना भला नहीं कर सकेंगे।

मा कांशी राम
"उच्च जातियाँ कहती हैं कि आप हमें शामिल क्यों नहीं करते। मैं कहता हूँ कि आप सभी पार्टियों का नेतृत्व कर रहे हैं। यदि आप हमारी पार्टी में शामिल होंगे तो आप यहाँ भी बदलाव रोक दोगे । उच्च जातियाँ हमारी पार्टी में शामिल हो सकती हैं लेकिन वे इसके नेता नहीं हो सकते । नेतृत्व पिछड़ी जातियों के हाथों में ही रहेगा। मुझे डर है कि जब
उच्च जातियों के लोग हमारी पार्टी में आयेंगे तो वे बदलाव
की प्रक्रिया को रोकेंगे। जब यह डर समाप्त हो जाएगा तो वे
हमारी पार्टी में शामिल हो सकते हैं।"
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सिख्खों के साथ कुछ सालों से धोखा हो रहा है। मुसलमानों से 40 साल से और अछूतो के साथ 4000 साल से। अगर यह सभी एक जगह इकटठे हो जाएं तो हम इस जुल्मी राज से मुक्ती प्राप्त कर सकते हैं।
15 March 1934
साहेब श्री कांशी राम जी
जय मूलनिवासी 

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