यह तो विश्व को ज्ञात है कि बुद्ध का जन्म जीसस से लगभग 500 वर्ष पहले हुआ था,

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यह तो विश्व को ज्ञात है कि बुद्ध का जन्म जीसस से लगभग 500 वर्ष पहले हुआ था, यह भी दुनिया के वैज्ञानिक, इतिहासकार इत्यादि जानते है कि धार्मिक मूर्तियां, कलाकारी, चित्रकारी, धर्मस्थल इत्यादि भी सभी धर्मों से पहले बौद्धों में ही शुरुआत हुई थी लेकिन आपको यह जानकर जरूर हैरानी होगी कि इन दोनों चित्रों में जो समानता है उसमें बुद्ध की शिक्षा का ही प्रभाव है। इतना ही नहीं यदि आप बाइबिल के नीतिवचन इत्यादि उपदेश पढ़ेंगे तो आपको स्पष्ट भान होगा मानों आप बुद्ध को पढ़, सुन और जान रहे हों।

आइये जानते हैं इन ऐतिहासिक समानताओं के बारे में और ईसा मसीह के रहस्यमयी वर्षों के संदर्भ में। विश्व इतिहास के महानतम व्यक्तित्वों में एक जीसस या ईसा के जीवन का एक बड़ा कालखंड ऐसा भी रहा है जिसके बारे में बाइबिल सहित किसी भी प्राचीन ग्रन्थ में उनके कोई ज़िक्र नहीं है। शुरुआती 12 वर्ष की आयु तक उनकी गतिविधियों का उल्लेख बाइबिल में जरूर मिलता है जब उन्हें यरुशलम में तीन दिन रुककर पूजास्थलों में उपदेशकों के बीच में बैठे, उनकी सुनते और उनसे प्रश्न करते हुए पाया गया।

तब उनकी अनंत जिज्ञासाओं से वहां पुजारी भी अचंभित हो गए थे। उनकी दिव्यता की चर्चा तब तेजी से फैलने लगी थी। रूढ़िवादियों के हाथों उनकी जान को खतरा देख उनके पिता जोसेफ उन्हें अपने साथ नाजरथ ले गए जहां जीसस ने पिता के बढ़ईगिरी के काम में कुछ अरसे तक हाथ बंटाया। इसके बाद तेरह साल से लेकर उनतीस साल तक के जीसस के जीवन के बारे में विश्व की किसी भी धार्मिक, ऐतिहासिक या अन्य किताब में कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता।

जीसस के जीवन के इन रहस्यमय वर्षों को ईसाई जगत में साइलेंट इयर्स, लॉस्ट इयर्स या मिसिंग इयर्स कहा जाता है। उसके बाद जीसस ने सीधे तीस वर्ष की उम्र में येरुशलम लौटकर यूहन्ना से दीक्षा ली और चालीस दिनों के उपवास के बाद लोगों को धार्मिक शिक्षा देने लगे। उन्होंने कहा कि ईश्वर एक है, प्रेमरूप है, वे स्वयं ईश्वर के पुत्र और स्वर्ग और मुक्ति का मार्ग हैं।

कर्मकांडी और बलिप्रेमी यहूदियों को उनकी लीक से हटकर शिक्षायें रास नहीं आईं और उन्होंने जीसस को दंडित करने का षड्यंत्र रचा। अंततः तैतीस साल की उम्र में उन्हें क्रूस पर लटका दिया गया। मानाजाता है कि सूली पर चढ़ाए जाने के बाद ईसा मसीह की मौत हो गई थी। ईसाईयों की कहानी के अनुसार जीसस का पुनर्जन्म होता है, परंतु वहां यह सवाल अनुत्तरित ही रहता है कि पुनर्जन्म के बाद वे दोबारा कहां गायब हो गए और उनकी स्वाभाविक मृत्यु कब हुई ?

ज्यादातर आधुनिक शोधकर्ताओं का मानना है कि सूली पर चढ़ाए जाने के बाद,

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