ओडिशा विधानसभा में संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष शब्द गायब होने पर विपक्ष ने कार्यवाही रोक दी.

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ओडिशा विधानसभा में संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष शब्द गायब होने पर विपक्ष ने कार्यवाही रोक दी नई दिल्ली/@नायक1
सुप्रीम कोर्ट द्वारा संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्दों को हटाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज करने के एक दिन बाद मंगलवार को ओडिशा में विवाद खड़ा हो गया, जब राज्य विधानसभा में प्रदर्शित प्रस्तावना में दोनों शब्द शामिल नहीं थे। इस पर बीजू जनता दल और कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा की कार्यवाही बाधित कर दी और इसे संविधान का अपमान बताया. मंगलवार को ओडिशा विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद वरिष्ठ बीजद नेता रणेंद्र प्रताप स्वैन ने मृत सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के तुरंत बाद इस मुद्दे को उठाया और अध्यक्ष से स्पष्टीकरण मांगा। इसके बाद बीजेडी और कांग्रेस विधायकों ने इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया. सदन के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए स्वैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्दों को हटाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका खारिज कर दी। दुर्भाग्य से विधानसभा में पेश प्रस्तावना से ये दोनों शब्द गायब हैं, जो संविधान का अपमान है। बीजू जनता दल के विधायकों ने मांग की कि इस गलती को सुधारा जाए. वहीं, कांग्रेस विधायक दल के नेता रामचन्द्र कदम ने आरोप लगाया कि इस मामले के पीछे कोई साजिश है. कदम ने कहा कि इन दो शब्दों को छोड़ देने से पता चलता है कि बीजेपी के मन में संविधान के प्रति कोई सम्मान नहीं है. हालांकि, बीजेपी ने कहा है कि विधानसभा में प्रदर्शित प्रस्तावना संविधान सभा द्वारा अपनाई गई प्रस्तावना की नकल है. बीजेपी विधायक इरासिस आचार्य ने कहा कि 1976 में 42वें संशोधन के बाद भारत के संविधान की प्रस्तावना में दो शब्द समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष जोड़े गए. हम भारत के संविधान का अत्यधिक सम्मान करते हैं और इस बात से सहमत हैं कि प्रस्तावना संविधान की आत्मा है। लेकिन बीजद गलत मुद्दे उठाकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है. विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 42वें संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द जोड़े गए थे। अदालत ने कहा कि इन शब्दों को व्यापक स्वीकृति मिली है और बिना किसी संदेह के इनका अर्थ 'हम भारत के लोग' समझा जाता है। ध्यान दें कि बीजेपी नेता अक्सर धर्मनिरपेक्ष शब्द को प्रस्तावना से हटाने पर चर्चा करते रहे हैं। जिन याचिकाओं को अदालत ने खारिज कर दिया, वे भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी, अश्विनी कुमार उपाध्याय और बलराम सिंह द्वारा दायर की गई थीं। जय मूलनिवासी साभार गूगल ट्रान्सलटे =========================================================================================================================================================================== In the Odisha Legislative Assembly, the opposition stopped proceedings after the words socialist, secular disappeared from the preamble of the constitution New Delhi/@Nayak1 Controversy erupted in Odisha on Tuesday, a day after the Supreme Court dismissed a PIL seeking removal of the words secular and socialist from the preamble of the Constitution, when the two words were not included in the preamble displayed in the state assembly. On this, Biju Janata Dal and Congress MLAs disrupted the proceedings of the Assembly and called it an insult to the Constitution. Senior BJD leader Ranendra Pratap Swain raised the issue immediately after paying tributes to the deceased members and sought an explanation from the Speaker after the winter session of the Odisha Legislative Assembly began on Tuesday. After this, BJD and Congress MLAs protested on this issue. Speaking to reporters outside the House, Swain said that the Supreme Court on Monday dismissed a PIL seeking deletion of the words secular and socialist from the preamble of the Constitution. Unfortunately, these two words are missing from the preamble in the Vidhan Sabha, which is an insult to the Constitution. Biju Janata Dal MLAs demanded that this mistake be rectified. At the same time, the leader of the Congress Legislative Dal Ramchandra Kadam alleged that there is a conspiracy behind this case. Kadam said that omitting these two words shows that BJP has no respect for the Constitution in its mind. However, the BJP has said that the preamble presented in the Vidhan Sabha is a copy of the preamble adopted by the Constituent Assembly. BJP MLA Erasis Acharya said that after the 42nd revision in 1976, the two words socialist and secular were added to the preamble of the Constitution of India. We highly respect the Constitution of India and agree that the Preamble is the soul of the Constitution. But BJD is trying to mislead people by raising wrong issues. The proceedings of the House had to be adjourned several times due to agitation by the opposition members. The Supreme Court on Monday dismissed petitions challenging the constitutional validity of the 42nd Amendment, which added the words secular and socialist to the preamble of the Constitution during the Emergency. The court said that these words have received wide acceptance and without any doubt they are understood to mean 'we people of India'. Note that BJP leaders have often discussed removing the word secular from the preamble. The petitions, which were dismissed by the court, were filed by BJP leaders Subramaniam Swamy, Ashwini Kumar Upadhyay and Balram Singh. Jay Moolnivasi Courtesy Google Translate.

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