शेर-ए-मैसूर: टीपू सुल्तान का गुंबज और उनकी विरासत
परिचय
श्रीरंगपट्टनम में स्थित गुंबज शेर-ए-मैसूर टीपू सुल्तान और उनके परिवार की स्मृति को जीवंत रखने वाला एक ऐतिहासिक स्थल है। यह मकबरा भारत के इतिहास में टीपू सुल्तान के अद्वितीय योगदान, उनके न्यायप्रिय शासन और समाज सुधारों की याद दिलाता है।
गुंबज का इतिहास और निर्माण
शेर-ए-मैसूर टीपू सुल्तान ने अपने पिता हैदर अली (1722-1781) की स्मृति में 1782-1784 ई. के बीच गुंबज का निर्माण करवाया। यह मकबरा एक सुंदर और सुव्यवस्थित बगीचे के मध्य स्थित है। हैदर अली की समाधि के निकट ही टीपू सुल्तान और उनकी माता फक्र-उन्नीसा की समाधियाँ भी स्थित हैं।
मकबरे की वास्तुकला हिंदू, इस्लामी और पारसी शैली का अद्भुत संगम है, जो भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि को दर्शाता है।
महत्वपूर्ण विशेषताएँ
- वास्तुकला की भव्यता: मकबरा एक ऊंचे चबूतरे पर स्थित है, जिसके चारों ओर हरे-भरे बगीचे हैं। मकबरे का विशाल गुंबद और सुशोभित मेहराब इसकी सुंदरता को चार चांद लगाते हैं।
- फारसी शिलालेख: मकबरे के पूर्वी प्रवेशद्वार पर एक फारसी शिलालेख है, जिसमें 1799 ई. में टीपू सुल्तान की शहादत का वर्णन है।
- स्मृति स्थल: मकबरे के बरामदे में हैदर अली और टीपू सुल्तान के परिवार के अन्य सदस्यों की समाधियाँ हैं।
टीपू सुल्तान: शेर-ए-मैसूर की विरासत
शेर-ए-मैसूर के नाम से प्रसिद्ध टीपू सुल्तान भारतीय इतिहास के सबसे बहादुर और न्यायप्रिय शासकों में से एक थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ न केवल वीरतापूर्वक संघर्ष किया, बल्कि समाज में व्याप्त अन्याय और असमानताओं को समाप्त करने के लिए भी कई सुधार किए।
- महिलाओं के अधिकारों की रक्षा: उनके शासनकाल में महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों पर रोक लगी।
- जातिगत भेदभाव का अंत: उन्होंने ब्राह्मणों के अत्याचार और स्तन टैक्स जैसी अमानवीय प्रथाओं को समाप्त किया।
- आधुनिक तकनीक का उपयोग: उन्होंने अपने शासनकाल में रॉकेट तकनीक और उन्नत हथियारों का विकास किया।
गुंबज का सांस्कृतिक महत्व
गुंबज न केवल एक मकबरा है, बल्कि यह भारतीय इतिहास की एक अद्भुत धरोहर है। इसके भीतर और बाहरी हिस्से में की गई चित्रकारी और वास्तुकला हमें टीपू सुल्तान के समय के कला और संस्कृति के प्रति उनके प्रेम का अनुभव कराती है।
इतिहास से प्रेरणा
टीपू सुल्तान का जीवन हमें सिखाता है कि धर्म, जाति और लिंग से ऊपर उठकर मानवता और समानता को अपनाना चाहिए। उनके सुधारवादी दृष्टिकोण और बहादुरी ने उन्हें भारत के महानतम शासकों में स्थान दिलाया।