2011 की जातिगत जनगणना और डॉ. मनमोहन सिंह
जातिगत गिनती पर बहस
2011 की जनगणना के दौरान जातिगत गिनती को शामिल करने की मांग तेज थी। भारत मुक्ति मोर्चा और अन्य संगठनों ने इसके लिए आवाज उठाई।
डॉ. मनमोहन सिंह और GoM का निर्णय
सरकार ने 63 मंत्रियों के समूह (Group of Ministers - GoM)) बनाए, जिनमें से एक के अध्यक्ष शरद पवार थे। बाकी सभी के अध्यक्ष प्रणब मुखर्जी थे। लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह और प्रणब मुखर्जी ने मिलकर जातिगत गिनती को रोक दिया।
क्या था असर?
जातिगत जनगणना को रोका जाना उस समय बहुजन समाज के लिए एक बड़ा झटका था। इसके बिना, वंचित वर्गों की सही स्थिति का पता लगाना और उनकी योजनाएं बनाना कठिन हो गया।डॉ. मनमोहन सिंह: एक नजर
डॉ. मनमोहन सिंह को अक्सर एक योग्य अर्थशास्त्री और शांत व्यक्तित्व वाला नेता माना जाता है। लेकिन इस घटना से यह सवाल उठता है कि क्या उनके कार्य सबके हित में थे?
डॉ. मनमोहन सिंह को एक महान अर्थशास्त्री और नेता माना जाता है। लेकिन बहुजन समाज के लिए उनका यह निर्णय न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। जातिगत गिनती का विरोध उनके कार्यकाल की एक कड़वी सच्चाई है।