महाबोधि विहार: बौद्धों को सौंपे जाने की मांग पर विधायक सतीश कुमार का बड़ा बयान

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महाबोधि विहार: बौद्धों को सौंपे जाने की मांग पर विधायक सतीश कुमार का बड़ा बयान

गया, बिहार/नायक 1
गया जिले के मकदमपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सतीश कुमार ने महाबोधि विहार को बौद्ध धर्मावलंबियों को सौंपे जाने की पुरजोर वकालत की है। बोधगया में आयोजित बामसेफ के राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने इस मुद्दे पर गहन चर्चा की। सतीश कुमार ने कहा कि भारत में संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को लगातार कमजोर किया जा रहा है और महाबोधि मंदिर का प्रशासन बौद्ध समुदाय को सौंपना न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।


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महाबोधि विहार और बौद्ध समुदाय

महाबोधि मंदिर, जो विश्व धरोहर सूची में शामिल है, ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बौद्ध समुदाय के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। वर्तमान में मंदिर का प्रबंधन महाबोधि मंदिर प्रबंधन समिति (BTMC) के अंतर्गत होता है, जिसमें चार हिंदू और चार बौद्ध सदस्य शामिल हैं। विधायक सतीश कुमार ने सवाल उठाया कि यदि यह मंदिर बौद्ध धर्मावलंबियों का है, तो इसका प्रबंधन पूरी तरह से उन्हें क्यों नहीं सौंपा जाता?

उन्होंने जोर देकर कहा,
"अगर राम मंदिर के निर्माण के लिए कोई मुस्लिम सदस्य नियुक्त नहीं किए जाते और जामा मस्जिद में हिंदू सदस्य नहीं जोड़े जाते, तो महाबोधि मंदिर के साथ यह अन्याय क्यों?"


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सामाजिक और आर्थिक असमानता पर चिंता

विधायक ने अपने भाषण में नवउदारवादी नीतियों और पूंजीवाद की आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक नीतियां केवल कुछ गिने-चुने लोगों को लाभ पहुंचा रही हैं, जबकि बहुसंख्यक आबादी गरीबी में धकेली जा रही है।

"हमारे देश में शिक्षा और आर्थिक नीतियां मनुस्मृति के अनुसार बनाई जा रही हैं, जो समाज के वंचित वर्गों को कमजोर करती हैं," उन्होंने कहा।

उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) पर भी सवाल उठाए और कहा कि यह आदिवासियों और समाज के पिछड़े वर्गों के लिए चुनौतियां पैदा करेगी।


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बामसेफ का सम्मेलन और संविधान की रक्षा

सतीश कुमार ने बामसेफ के दो दिवसीय सम्मेलन में कहा कि यह संगठन हमेशा संवैधानिक अधिकारों और सामाजिक न्याय के मुद्दों को उठाने में अग्रणी रहा है। उन्होंने कहा कि देशभर में संविधान और सामाजिक न्याय पर हो रही चर्चाओं के पीछे बामसेफ की भूमिका रही है।


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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

महाबोधि मंदिर के प्रबंधन को लेकर वर्षों से विवाद रहा है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि बौद्ध समुदाय को मंदिर का प्रबंधन सौंपा जाना उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को मान्यता देने के लिए आवश्यक है।


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निष्कर्ष

महाबोधि मंदिर का मुद्दा केवल एक धार्मिक स्थल के प्रबंधन का मामला नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, संविधान की मूल भावनाओं और धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ा एक बड़ा प्रश्न है। विधायक सतीश कुमार का यह बयान इन मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में लाने का एक प्रयास है।

क्या महाबोधि मंदिर को बौद्ध समुदाय को सौंपना चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर दें।

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