जीसस का अज्ञातवास: कश्मीर और भारत से संबंध
लेखक: ओशो के विचारों पर आधारित
नाताल की शुभकामनाएं सभी मूलनिवासी क्रिश्चियन साथियों को
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जीसस के जीवन का अज्ञात समय
जीसस क्राइस्ट का जीवन उनके अनुयायियों के लिए सदैव रहस्यमयी रहा है। ईसाइयत के मुख्य ग्रंथों में जीसस के केवल तीन वर्षों के उपदेशों का उल्लेख मिलता है, लेकिन उनके जन्म और सूली पर चढ़ाए जाने के बीच का समय लगभग अज्ञात है। कई विद्वानों और यात्रियों का मानना है कि इस अवधि में जीसस ने भारत, विशेष रूप से कश्मीर और लद्दाख जैसे क्षेत्रों की यात्रा की।
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कश्मीर और जीसस का संबंध
कश्मीर की लोककथाओं और बौद्ध ग्रंथों में जीसस का उल्लेख मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि जीसस ने कश्मीर के "पहल गाम" नामक स्थान पर समय बिताया, जो "गड़रियों का गांव" कहलाता है। यहां उन्होंने इजराइल के खोए हुए कबीले के लोगों से मुलाकात की।
जीसस का यह अज्ञातवास उन्हें बौद्ध परंपरा और ध्यान के करीब लाया। कश्मीर में, "ईश मुकाम" नामक स्थान पर, जीसस के ठहरने और उपदेश देने की कहानियां आज भी जीवित हैं।
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निकोलस नाटोविच का प्रमाण
सन 1887 में रूस के यात्री निकोलस नाटोविच ने लद्दाख की यात्रा की। उन्होंने "हूमिस गुम्पा" नामक एक बौद्ध मठ में समय बिताया, जहां उन्होंने बौद्ध ग्रंथों में जीसस के भारत आगमन के उल्लेख पाए। उनके शोध को उनकी पुस्तक "सेंट जीसस" में प्रकाशित किया गया।
नाटोविच के अनुसार, जीसस ने अपने तीस वर्षों का समय ध्यान, शिक्षा और भारतीय सभ्यता के अध्ययन में लगाया।
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"कश्मीर" का अर्थ और इतिहास
कश्मीर नाम का मूल अर्थ है:
"का" = बराबर
"शीर" = सीरिया
यह नाम इस क्षेत्र के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को मध्य एशिया और पश्चिम एशिया से जोड़ता है।
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निष्कर्ष
जीसस का जीवन, विशेषकर उनका अज्ञात समय, भारतीय संस्कृति और इतिहास से गहराई से जुड़ा हो सकता है। ओशो जैसे दार्शनिक और नाटोविच जैसे यात्री इन तथ्यों पर प्रकाश डालते हैं। यह सोचने पर विवश करता है कि क्या जीसस ने अपनी शिक्षा और जीवन के सिद्धांतों को भारत की भूमि से प्रेरणा लेकर आकार दिया था।
सभी मूलनिवासी क्रिश्चियन साथियों को नाताल की हार्दिक शुभकामनाएं।
Happy Crishmash