ब्राह्मणवाद का असली चेहरा: भारत के मूलनिवासियों पर अन्याय और शोषण की साजिश

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ब्राह्मणवाद का असली चेहरा: भारत के मूलनिवासियों पर अन्याय और शोषण की साजिश

    भारत की ऐतिहासिक सच्चाई: धर्म के नाम पर अत्याचार

    वामन मेश्राम साहब (राष्ट्रीय अध्यक्ष -बामसेफ /भारत मुक्ति मोर्चा)

    भारत में धर्म की जो वर्तमान संरचना है, उसे समझना आवश्यक है।आज जो धर्म "हिंदू धर्म" के नाम से पहचाना जाता है, वह वास्तव में "ब्राह्मण धर्म" है। यह धर्म विदेशी आर्यों द्वारा मूलनिवासी भारतीयों पर जबरन थोपा गया था। समय-समय पर इसे अलग-अलग नाम दिए गए, जैसे वैदिक धर्म, सनातन धर्म, आर्य धर्म, और अब हिंदू धर्म लेकिन इसकी विचारधारा और उद्देश्य हमेशा ब्राह्मणवादी वर्चस्व स्थापित करना ही रहा है।

    ब्राह्मणवाद और शास्त्रों का खेल

    इतिहास में कहीं भी "हिंदू" शब्द का उल्लेख नहीं मिलता। तथाकथित धर्म ग्रंथों जैसे वेद, रामायण, गीता, उपनिषद, और पुराण में "हिंदू" का उल्लेख नहीं है । ये सभी ग्रंथ ब्राह्मणों द्वारा लिखे गए और समाज को शोषित करने के लिए बनाए गए थे । ब्राह्मणवाद के चार मुख्य हथियार: साम, दाम, दंड, और भेद

  • 1. साम: मूलनिवासी राजा बलि को छल से हराया।
  • 2. दाम: राजाओ को लालच देकर फंसाया।
  • 3. दंड: समाज के विरोधियों को दंडित किया।
  • 4. भेद: समाज में विभाजन पैदा किया।
  • © 2024 नायक 1 न्यूज़

    मनुस्मृति ने समाज को चार वर्णों में बांटा।

  • ब्राह्मण: ज्ञान, धन, और धर्म का अधिकार।
  • क्षत्रिय: शासन और सुरक्षा का अधिकार।
  • वैश्य: व्यापार और धन संग्रह का अधिकार।
  • शूद्र: केवल सेवा करने का अधिकार।
  • मूलनिवासियों का संघर्ष और शोषण

    ब्राह्मणों ने मूलनिवासी भारतीयों को दास बनाने के लिए कुटिल नीतियाँ अपनाईं। जो लोग उनके अधीन नहीं हुए, उन्हें जंगलों में भागने पर मजबूर किया गया। "इन्हें आज आदिवासी कहा जाता है।"

    जो उनके साथ संघर्ष करते रहे, वे अनुसूचित जाति "अछूत " कहलाए।

    जिन्होंने ब्राह्मणवाद को स्वीकार कर लिया, वे "ओबीसी (पिछड़ा वर्ग)" कहलाए।

    ओबीसी और ब्राह्मणवाद: गुलामी का अंत कब होगा?

    ओबीसी समुदाय ने ब्राह्मणवाद को पाला और उसे फलने-फूलने का मौका दिया।

  • धार्मिक संस्कार: जन्म से लेकर मृत्यु तक ब्राह्मणों की उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है।
  • दक्षिणा और पूजा-पाठ: ब्राह्मणों को धन देने की प्रथा आज भी जारी है।
  • आधुनिक गुलामी: आज भी ओबीसी समुदाय ब्राह्मणवादी सोच का पालन करता है।
  • ओबीसी समुदाय को समझना होगा कि उनकी स्वतंत्रता ब्राह्मणवाद के खिलाफ बगावत किए बिना संभव नहीं है।
  • ओबीसी जागरूकता: बदलाव की ओर एक कदम

    • 1. धर्म की पुनर्परिभाषा: हिंदू धर्म को ब्राह्मण धर्म मानना बंद करें।
    • 2. स्वयं का इतिहास जानें: मूलनिवासियों की गौरवशाली गाथाओं को पढ़ें।
    • 3. ब्राह्मणवादी रीति-रिवाजों का बहिष्कार करें।
    • 4. शिक्षा और समानता के लिए संघर्ष करें।

    निष्कर्ष

    • भारत का हिंदू धर्म, दरअसल ब्राह्मण धर्म है। जब तक ओबीसी समुदाय ब्राह्मणवाद से अलग नहीं होता, तब तक समाज में समानता और स्वतंत्रता असंभव है। अब समय आ गया है कि ओबीसी अपने अधिकारों के लिए जागरूक हों और ब्राह्मणवाद के खिलाफ खड़े हों।

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