मा.कांशीराम"जिन्हें नेशनल प्रेस कहा जाता है, उन्हें मैं बनियों का प्रेस कहता हूँ."

0
मा.कांशीराम: बनियों का प्रेस

जिन्हें नेशनल प्रेस कहा जाता है, उन्हें मैं बनियों का प्रेस कहता हूँ.

- मा.कांशीराम

(जबलपुर)
8 मई, 1980

बामसेफ द्वारा आयोजित डॉ. अंबेडकर जन्मदिवस समारोह

8 मई, 1980 को जबलपुर में बामसेफ जिला यूनिट द्वारा "चलता-फिरता अंबेडकर मेला" का आयोजन किया गया। बामसेफ संस्थापक मा.कांशीराम जी का भाषण सुनने के लिए लोग भारी संख्या में उपस्थित थे।

मा.कांशीराम जी का ऐतिहासिक भाषण

मा.कांशीराम जी ने अपने भाषण में कहा:

“बामसेफ शिक्षित कर्मचारियों की संस्था है। इसका उद्देश्य सामाजिक शिक्षा देना है। न कि सक्रिय राजनीति में जाना। हमें मिशनरी भावना से कार्य करना होगा।”

उन्होंने भारत में शिक्षा के स्तर पर चर्चा की:

  • 1948 में: केवल 731 स्नातक थे।
  • 1980 तक: संख्या बढ़कर 5 लाख हो गई।
  • आज 20 लाख शिक्षित कर्मचारी और 2 लाख प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी अधिकारी हैं।

नेशनल प्रेस या बनियों का प्रेस

भारतीय प्रेस पर कटाक्ष करते हुए मा. कांशीराम जी ने कहा:

“आज के प्रेस, जिन्हें नेशनल प्रेस कहा जाता है, उन्हें मैं बनियों का प्रेस कहता हूँ। ये प्रेस दलित समाज के उत्थान के लिए कुछ भी प्रकाशित नहीं करते।”

उन्होंने बामसेफ के स्वयं के प्रेस एवं प्रकाशन की आवश्यकता पर बल दिया:

  • 1981 तक: 18 दैनिक समाचार पत्र और 50 पत्रिकाएं प्रकाशित करने की योजना।
  • यह कदम दलित समाज के मिशन को गति देगा।

अंबेडकर मेले का उद्देश्य

मा.कांशीराम जी ने कहा:

“30% दलित समाज आज भी बाबा साहेब को नहीं जानता। जब तक समाज का हर बच्चा बाबा साहेब को नहीं जान लेता, तब तक उनके मिशन को प्रभावी ढंग से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।”

उन्होंने बताया कि मेले के माध्यम से:

  • चित्र प्रदर्शनियों द्वारा जागरूकता फैलाई जाएगी।
  • साहित्यकार, वक्ता और कलाकार समाज के काम आएंगे।

आर्थिक सशक्तिकरण पर जोर

उन्होंने बामसेफ को-ऑपरेशन योजना का उल्लेख किया:

  • 1 करोड़ रुपये का उत्पादन अगले 14 अप्रैल तक।
  • 5 वर्षों में बामसेफ को इतना सशक्त बनाया जाएगा कि अन्य समाज इसके बिना आगे नहीं बढ़ सकेगा।

निष्कर्ष

  • मा.कांशीराम जी का यह भाषण बामसेफ की विचारधारा और मिशन को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है।
  • उन्होंने कहा कि बामसेफ सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि एक क्रांति है जो दलित समाज को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से मजबूत करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
  • #कांशीराम_भाषण, #बामसेफ_इतिहास, #डॉ._अंबेडकर_मेले_का_उद्देश्य, #बनियों_का_प्रेस, #दलित_जागरूकता, #बामसेफ_प्रकाशन_योजना, #भारतीय_प्रेस_और_दलित_समाज, #बाबा_साहेब_अंबेडकर_जन्मदिवस< #सामाजिक_शिक्षा_का_महत्व, #कांशीराम_के_विचार,

    स्रोत: बहुजन संगठक, वर्ष 1, अंक 8, 2 जून, 1980

    आपकी राय महत्वपूर्ण है.

    आपको यह लेख कैसा लगा? कृपया अपनी राय नीचे कमेंट में साझा करें। इसके अलावा, अगर आपके पास इस विषय पर कोई सुझाव या विचार है, तो हम उसे भी जानना चाहेंगे।

    "आपका यहाँ तक पढ़ने के लिए धन्यवाद! हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको जानकारीपूर्ण लगा होगा। कृपया कमेंट के जरिए हमें अपनी राय दें। आपके विचारों का हमेशा स्वागत है!"

    Post a Comment

    0 Comments
    Post a Comment (0)
    To Top