बुद्ध धम्म और हिन्दू धर्म: एक तुलनात्मक अध्ययन
धर्मों के बहुत से संचालकों में से चार ऐसे हैं, जिनके धर्मों ने न केवल भूतकाल में संसार को हिला कर रख दिया था बल्कि अब भी लोगों की एक भारी संख्या पर इनका प्रभाव है, वे हैं-बुद्ध, यसूह, मुहम्मद और कृष्ण. इन चारों महान पुरुषों और प्रचार के लिए अपनाए गए उनके ढंगों का तुलनात्मक अध्ययन एक ओर बुद्ध और दूसरी ओर शेष सबके बीच कुछ ऐसी भिन्नताओं को स्पष्ट करता है, जो महत्त्व से शून्य नहीं.
बुद्ध धम्म का उद्देश्य
बुद्ध धर्म और हिन्दू धर्म: एक तुलनात्मक अध्ययन
(Comparison between Buddhism and Hinduism)बुद्ध धम्म : सदाचार का प्रतीक
बुद्ध धम्म ने मानवता को सदाचार और समानता का मार्ग दिखाया। यह धर्म किसी भी ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं करता, बल्कि सदाचार को ही धर्म का मूल आधार मानता है।
"बुद्ध धम्म केवल एक धार्मिक मार्गदर्शन नहीं है, यह जीवन जीने की कला है।"
हिन्दू धर्म की विशेषताएँ
हिन्दूइज्म एक ऐसा धर्म है जो सदाचार पर आधारित नहीं, जो कुछ सदाचार हिन्दूइज्म में है वह इसका लाजमी अंग नहीं. यह इस धर्म के भीतर रची हुई चीज नहीं. यह एक पृथक् शक्ति है जिसे हिन्दूइज्म के आदर्श नहीं बल्कि सामाजिक आवश्यकताएं टिकाए रखती हैं. बुद्ध का धर्म है ही सदाचार- यह धर्म के भीतर रची हुई चीज़ है, बौद्ध धर्म सदाचार के अतिरिक्त और कुछ है ही नहीं. यह सच है कि बौद्ध धर्म में कोई ईश्वर नहीं. ईश्वर के स्थान पर सदाचार है. दूसरे धर्मों में खुदा (ईश्वर) की जो जगह है वही बौद्ध धर्म में सदाचार की है.
हिन्दू धर्म में चातुर्वर्ण्य प्रणाली और कर्मकांड का अधिक महत्व है, जो सामाजिक असमानता को जन्म देती हैं।
बुद्ध धम्म और हिन्दू धर्म के बीच अंतर
पहलू | बुद्ध धम्म | हिन्दू धर्म |
---|---|---|
सिद्धांत | सदाचार पर आधारित | चातुर्वर्ण्य और कर्मकांड पर आधारित |
ईश्वर की धारणा | ईश्वर की सत्ता से इंकार | ईश्वर और कर्मकांड की मान्यता |
समानता का दृष्टिकोण | हर व्यक्ति समान | जातियों में विभाजन |