- 2024 में 4,05,509 मामले लंबित
- झारखंड जैसे राज्यों में आयोग पूरी तरह निष्क्रिय
- 2019: 26 आयोगों में 2,18,347 मामले लंबित।
- 2021: यह संख्या बढ़कर 2,86,325 हो गई।
- 2024: 4,05,509 मामले लंबित।
RTI अधिनियम में पारदर्शिता पर सवाल
सूचना आयोग में नियुक्ति में देरी पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को कमजोर कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सूचना आयुक्त के रिक्त पदों को लेकर केंद्र और राज्यों को फटकार लगाई।
नियुक्ति में देरी से बढ़ती समस्याएं
केंद्रीय सूचना आयोग में आठ पद खाली हैं और 23,000 से अधिक अपीलें लंबित हैं। झारखंड जैसे राज्यों में तो आयोग निष्क्रिय हैं, जहां 8,000 से अधिक अपीलें अधूरी पड़ी हैं। इस तरह की स्थिति ने जनता को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया है।
RTI अधिनियम पर खतर
सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “अगर नियुक्तियां नहीं होंगी, तो पारदर्शिता लाने वाले इस कानून का क्या फायदा?” अधिनियम को निष्क्रिय बनाने का यह अप्रत्यक्ष तरीका है।
2024 तक भारत के 29 सूचना आयोगों में 4,05,509 अपीलें और शिकायतें लंबित हैं। इनमें से अधिकतर मामलों में जनता को वर्षों इंतजार करना पड़ रहा है।
RTI लंबित मामले और जनता की समस्याएं
आंकड़ों की भयावहता
लोगों की समस्याएं
अंजलि भारद्वाज के मुताबिक, छत्तीसगढ़ और बिहार जैसे राज्यों में नई आरटीआई दायर करने पर चार से पांच साल तक सुनवाई का इंतजार करना पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को दो सप्ताह में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। झारखंड में विपक्षी दल को सदस्य नियुक्त कर 10 सप्ताह में प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया है।
निष्कर्ष
RTI अधिनियम के तहत जनता को जानकारी का अधिकार है , लेकिन आयोगों की निष्क्रियता से यह अधिकार व्यर्थ हो रहा है। अगर समय पर नियुक्तियां नहीं की गईं, तो RTI अधिनियम का उद्देश्य खत्म हो जाएगा।
Hello 🌹
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