पिछड़े वर्ग (ओबीसी) को हिंदू बनाना: ब्राह्मण धर्म का मानसिक गुलाम बनाने का षड्यंत्र
लेखक: प्रो. जैमिनी कडू (संपादक "कुर्मी समाज दर्पण", नागपुर - महाराष्ट्र)
बढ़ती जागृति और ओबीसी की मुक्ति का प्रयास
भारत में ब्राह्मणवादी षड्यंत्र के तहत ओबीसी वर्ग को मानसिक गुलामी में जकड़ने का प्रयास सदियों से किया जा रहा है। बढ़ती जागृति के कारण ओबीसी वर्ग अब इस षड्यंत्र से मुक्त होने का प्रयास कर रहा है। गुजरात चुनावों के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि ओबीसी वर्ग ने हिंदुत्व के नाम पर ब्राह्मणवादियों का साथ दिया, लेकिन यह उनकी असली पहचान के प्रति अज्ञानता का परिणाम है।
हिंदुत्व का षड्यंत्र और ब्राह्मणों की राजनीति
- हिंदुत्व का प्रचार: ब्राह्मणों ने "हम हिंदू, तुम हिंदू" का नारा देकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ ध्रुवीकरण किया।
- ओबीसी को अंधेरे में रखा: ओबीसी वर्ग को उनकी असली पहचान से वंचित कर, उन्हें हिंदुत्व के झांसे में रखा गया।
- जातीय गर्व का दुष्प्रभाव: जातीय गर्व सिखाने के पीछे ब्राह्मणों का उद्देश्य, ओबीसी को ब्राह्मणवादी ढांचे में बांधकर रखना था।
ओबीसी के लिए चेतना का अभियान
ओबीसी वर्ग को अपनी असली पहचान समझने की जरूरत है। ब्राह्मणवादी इतिहास के झूठ को पहचानना होगा। उदाहरण के तौर पर:
- शिवाजी महाराज का इतिहास: शिवाजी की माता यादव परिवार से थीं, और उनके पिता कुर्मी परिवार से थे। यह जानकारी यदि जनता तक पहुंचे, तो जातीय संघर्ष समाप्त हो सकते हैं।
- कुशवाहा का असली अर्थ: कुशवाहा का संबंध "कुश" घास से है, न कि रामचंद्र के पुत्र "कुश" से ।
ब्राह्मणवाद के खिलाफ शिवधर्म परिषद का गठन
ओबीसी की मुक्ति के लिए शिवधर्म परिषद का गठन किया गया। इसका उद्देश्य ब्राह्मणों के षड्यंत्र को उजागर करना और ओबीसी को उनकी असली पहचान से जोड़ना है।
निष्कर्ष: ओबीसी की मानसिक गुलामी का अंत
ब्राह्मणवाद ने ओबीसी को गुलाम बनाए रखने के लिए गहरे षड्यंत्र रचे हैं। ओबीसी वर्ग को जागरूक कर, उनकी असली पहचान से जोड़ना ही उनके स्वतंत्रता आंदोलन को सफल बनाएगा। यह लड़ाई तर्क और धैर्य से लड़ी जानी चाहिए।
जय मूलनिवासी!