17 साल बाद आया फैसला...मालेगांव बम विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी आरोपी बरी

नई दिल्ली/@Nayak 1
एनआईए कोर्ट ने मालेगांव बम विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और अन्य सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति ए.के. लाहोटी ने विस्फोट के सभी छह पीड़ितों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये और सभी घायलों को 50-50 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। एनआईए कोर्ट ने आरोपियों को यूएपीए आर्म्स एक्ट के तहत भी बरी कर दिया।
फैसला सुनाने से पहले कोर्ट ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि यह बाइक साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की थी। आरोपियों पर यूएपीए नहीं लगाया जा सकता। एनआईए कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अदालत केवल धारणाओं और नैतिक सबूतों के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहरा सकती, इसके लिए ठोस सबूत होने चाहिए। विशेषज्ञों ने घटना के बाद सबूत इकट्ठा नहीं किए, जिससे सबूतों से छेड़छाड़ हुई। अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र एटीएस और एनआईए के आरोपपत्रों में कई विसंगतियाँ थीं।
अदालत ने कहा कि सरकारी अभियोजकों ने यह साबित कर दिया कि मालेगांव में विस्फोट हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं कर पाए कि उस मोटरसाइकिल में बम किसने रखा था। अदालत इस निष्कर्ष पर पहुँची है कि घायलों की संख्या 101 नहीं, बल्कि 95 थी और कुछ मेडिकल प्रमाणपत्रों के साथ छेड़छाड़ की गई थी। अदालत ने कहा कि हमने एडीजी एटीएस को आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी के घर में विस्फोटक रखने के मामले की जाँच शुरू करने का आदेश दिया है।
अदालत ने कहा कि यह आरोप लगाया गया था कि आरडीएक्स लाया गया और उसका इस्तेमाल किया गया, लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि पुरोहित के घर में आरडीएक्स रखा गया था या उसने बम बनाया था। घटनास्थल से कोई खाली खोखा नहीं मिला, जबकि गोलीबारी की बात कही गई थी। कोई फिंगरप्रिंट या डीएनए सैंपल नहीं लिया गया। मोटरसाइकिल का चेसिस नंबर भी मिटा दिया गया था और इंजन नंबर को लेकर संदेह बना हुआ है।
अदालत ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा के वाहन के स्वामित्व या कब्जे के बारे में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया जा सका। फरीदाबाद, भोपाल आदि में हुई कथित षड्यंत्रकारी बैठकों का कोई सबूत नहीं मिला, न ही कोई षड्यंत्र या बैठकें साबित हो सकीं।

अदालत ने कहा कि केवल संदेह के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता और अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में विफल रहा। आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया।
सरकारी वकील ने दलील दी कि चतुर्वेदी के देवलाली स्थित आवास पर आरडीएक्स मिला था और इसे लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित के निर्देश पर तैयार किया गया था। पीड़ितों के वकील, एडवोकेट शाहिद नदीम ने कहा कि हम इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि अदालत ने स्वीकार किया कि बम विस्फोट हुआ था।
इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को अक्टूबर 2008 में गिरफ्तार किया गया था। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल उनके नाम पर पंजीकृत होने का आरोप था। एनआईए की ओर से अदालत में पेश हुए विशेष अभियोजक अविनाश रसाल ने कॉल डेटा रिकॉर्ड, इंटरसेप्ट किए गए फोन कॉल और आरोपियों से जब्त सामग्री सहित कई सबूत पेश किए।
ज्ञात हो कि 29 सितंबर, 2008 को रमज़ान के महीने में मुस्लिम बहुल इलाके मालेगांव के भीकू चौक पर बम धमाका हुआ था। इसमें छह लोग मारे गए थे और 101 घायल हुए थे। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी उर्फ शंकराचार्य और समीर कुलकर्णी आरोपी थे।
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