आधार मॉडल के बारे में दुनिया को सावधानी बरतनी चाहिए — 200 नागरिक और 50+ संगठनों की अपील
10 दिसंबर, मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर, 50 से अधिक नागरिक समाज संगठनों और 200 प्रमुख पत्रकारों, वकीलों, अर्थशास्त्रियों, शिक्षाविदों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक संयुक्त अपील जारी की है जिसमें दुनिया से अपील की गई है कि वे भारत के आधार (Aadhaar) मॉडल को एक वैश्विक पहचान प्रणाली के रूप में अपनाने में सावधानी बरतें।
अपीलकारों ने कहा कि भारत की बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक सफल मॉडल के रूप में पेश किया जा रहा है, जबकि जमीन पर इसकी वास्तविकता जटिल और कई बार खतरनाक रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अन्य देशों ने इसी केंद्रीकृत और बायोमेट्रिक-आधारित मॉडल को अपनाया, तो यह लाखों लोगों के मौलिक अधिकारों तथा निजता के लिए गंभीर जोखिम उत्पन्न कर सकता है।
- केंद्रीकृत बायोमेट्रिक डेटाबेस समाज नियंत्रण के उपकरण में बदला जा सकता है।
- डेटा जोड़ने से लोगों की प्रोफाइलिंग और दुरुपयोग के जोखिम बढ़ते हैं।
- पंजीकरण में त्रुटियाँ और सुधार प्रक्रिया की जटिलता गरीब और वंचितों को लाभों से वंचित कर रही है।
अपील में अरुंधति रॉय, अरुणा रॉय, पी. साईनाथ, नंदिनी सुंदर, बेजवाड़ा विल्सन और कॉलिन गोंसाल्विस जैसे कई प्रमुख हस्तियों के नाम शामिल हैं, साथ ही पीयूसीएल, एमकेएसएस, नरेगा वॉच, इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन और राइट टू फूड कैंपेन जैसे कई संगठन भी हैं।
संगठनों ने कहा कि कई देशों में भारत की तुलना में अधिक सुरक्षित तथा कम दोषपूर्ण पहचान प्रणालियाँ मौजूद हैं। अतः अन्य देशों को भारत का अनुसरण करने के बजाय वैकल्पिक, विकेन्द्रीकृत और गोपनीयता-सुरक्षित मॉडल अपनाने की सलाह दी गई है।
विशेष रूप से, अपीलकारों ने यह रेखांकित किया कि आधार के कारण कई लोगों के साथ निम्नलिखित परेशानियाँ आई हैं:
- बायोमेट्रिक विफलताओं के कारण सीनियर नागरिक और कमजोर वर्ग सामाजिक लाभों से वंचित हुए।
- आधार रिकॉर्ड में हुई गलतियों को सुधारना कठिन है और कई बार अन्य दस्तावेजों के साथ विरोधाभासों के कारण लाभ रोके गए।
- आधार को राशन कार्ड, बैंक खातों, पेंशन सूचियों और मतदाता सूचियों से जोड़ने की बाध्यता से नागरिकों का समय और संसाधन बर्बाद होते हैं।
यह अपील ऐसे समय में आई है जब विश्व बैंक का ID4D कार्यक्रम और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ भारत के अनुभव को वैश्विक मंच पर साझा कर रही हैं। अपीलकारों का कहना है कि प्रचार में फंसे नीति-निर्माता वास्तविक जीवन के अनुभवों और समस्याओं को नजरअंदाज न करें।
अंत में, संगठनों ने आग्रह किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस तरह के प्रणालियों के लाभ और हानि का संतुलित और स्वतंत्र मूल्यांकन करना चाहिए और सरकारों को सुझाव दिए गए हैं कि वे गोपनीयता-सुरक्षित, पारदर्शी और नागरिक-केन्द्रित विकल्पों पर विचार करें।
मानवाधिकार दिवस से ठीक पहले 200 नागरिकों और 50+ संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर भारत के आधार मॉडल के वैश्विक प्रचार के विरुद्ध चेतावनी दी। केंद्रित चिंताएँ: केंद्रीकरण, गोपनीयता उल्लंघन, त्रुटियाँ और दुरुपयोग का खतरा।
बा कहती है"ये बात आपके दिमाग को झटका देगी..." कि सिर्फ दो खजूर खून में instant glucose ऐसे भर देते हैं जैसे मोबाइल अचानक fast charge पर लगा दिया हो। थकान 2 मिनट में गायब -ये nature का असली power-bank है!

