महंगा प्याज, कंगाल किसान
जरूरत से ज्यादा पैदावार के बाद भी विदेश से
प्याज मंगा रहा भारत : सर्वे
गूगल से ली गई छायाचित्र
आलू और प्याज के रेट ने आम लोगों के घर का बजट बिगाड़ दिया है.
ज्यादातर लोगों को लग रहा है प्याज और आलू की महंगाई का पूरा पैसा किसान की जेब
में जा रहा है, इतना महंगा प्याज बेचकर किसान मालामाल हो
रहे हैं. लेकिन हकीकत इससे अलग है. इसका एक नमूना नाशिक में देखने को मिला जहां एक
ने लॉकडाउन के दौरान अप्रैल-मई में अपना प्याज 700 रुपए कुंतल बेच दिया था, लेकिन अब उसी मंडी
में प्याज 6000-9000 रुपए प्रति कुंतल के
आसपास बिक रहा है.
यह सही है कि प्याज का महंगा होना एक आपदा है. लेकिन यही आपदा
बिचौलियों के लिए अवसर भी है. महंगाई का असर जब जनता पर पड़ती है तो सरकार फौरी
राहत देने की कोशिश करती है. निर्यात पर रोक, विदेश से प्याज
मंगाना और भंडारण सीमा (स्टाकिंग) सब तय हो जाता है. लेकिन जब ये प्याज एक रूपए
किलो हो जाता है कोई पूछने नहीं आता है. दो साल पहले इसी देश में प्याज एक रुपए
किलो तक बिक गया था. जो प्याज 100 रुपए किलो बिका उसकी
खबर बनी लेकिन किसान के खेत से लेकर उनके छोटे छोटे गोदामों में जो 30-50 फीसदी तक प्याज सड़ जाता है वो नजर नहीं आती है.
भारत में एक साल में प्याज की खपत लगभग 160 लाख टन से भी ज्यादा है. भारत में प्याज का उत्पादन लगातार बढ़
रहा है और अब लगभग 250 लाख टन सालाना तक
पहुंच रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि जरूरत से ज्यादा प्याज उगाने के बावजूद
भारत प्याज का आयात क्यों करता है? ईरान, अफगानिस्तान, तुर्की और
ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भारत से कम प्याज का उत्पादन होता है, इसके बावजूद भारत इन कम उत्पादक देशों से प्याज का आयात करता है.
किसानों को लाचार कर देती है मौसम की मार
भारत एक कृषि प्रधान देश होने के साथ-साथ मौसम प्रभावित देश भी
है. मौसम की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को होता है. प्याज के किसानों के
साथ-साथ व्यापारियों को भी इसका नुकसान होता है. मौसम ठीक रहने पर भारत में प्याज
का उत्पादन जरूरत से ज्यादा होता है. उस स्थिति में प्याज के दाम नियंत्रित रहते
हैं. भारत से प्याज का निर्यात भी होता है और मुनाफा भी. खराब मौसम होने का असर दो
तरह से होता है। पहला- फसल की बुवाई या खड़ी फसल पर। दूसरा- तैयार फसल पर, जोकि आने वाले समय में आपूर्ति के लिए रखी गई होती है.
भंडारण के पारंपरिक तरीके के कारण भारी नुकसान
महंगे बीज के इस्तेमाल और खराब मौसम से जूझकर किसी तरह किसान
प्याज तैयार कर देता है तो उसके पास दो रास्ते होते हैं. पहला कि वह अपने प्याज को
अपने पास रखे और सही दाम मिलने पर बेचे. दूसरा कि वह ज्यादा उत्पादन के समय अपनी
फसल कम दाम में बेच दे. फसल को सही कीमत मिलने तक रखने के लिए कई तरह के ढांचे
बनाए जाते हैं। पारंपरिक तरीकों में किसान बांस, बल्ली, लकड़ी या टीन के
सहारे शेड बनाते हैं, जिनमें प्याज को कुछ
महीनों के लिए रखा जाता है. इनमें तमाम इंतजाम और खर्चीले रखरखाव के बावजूद लगभग
एक तिहाई प्याज खराब हो जाते हैं.
बढ़ते उत्पादन के बावजूद प्याज़ का निर्यात घटा और
आयात बढ़ा
पिछले कई सालों में देश में प्याज का उत्पादन बढ़ रहा है. कुछ
साल ऐसे भी रहे हैं,जब दुनिया में
उत्पादित हुए प्याज़ का लगभग एक तिहाई हिस्सा सिर्फ भारत में ही पैदा हुआ. इसके
बावजूद पिछले कई सालों में प्याज़ का आयात बढ़ता जा रहा है और निर्यात पर कई बार रोक
लगाई जा रही है. वाणिज्यिक जानकारी और सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएस) के
आंकड़ों के मुताबिक, देश से निर्यात होने वाले प्याज की मात्रा
में बढ़ोतरी की दर 2015-16 में 26 प्रतिशत थी. 2019 में बढ़ोतरी की दर
घटकर माइनस 54 प्रतिशत पहुंच गई थी. 2015-16 में भारत ने 473 मिलियन अमेरिकी डॉलर
का प्याज़ दूसरे देशों को बेचा था. 2019-20 में सिर्फ 324 मिलियन डॉलर का प्याज बेचा गया. डीजीसीआईएस के मुताबिक, 2017-18
में निर्यात की मात्रा लगभग 16 लाख टन थी, जोकि 2019-20 में घटकर 11.49 लाख टन ही रह गई. 2015 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा प्याज का निर्यात करने
वाले देशों में भारत शीर्ष पर था लेकिन 2017-18 के बाद से लगातार
स्थिति बदतर होती जा रही है और भारत तीसरे-चौथे पायदान पर खिसकता जा रहा है.
जबककि, दूसरी तरफ आयात
लगातार बढ़ा है. 2017-18 में भारत ने सिर्फ 6592 टन प्याज का आयात किया. वहीं, 2019-20 में 141189 लाख टन प्याज का
आयात किया गया. सिर्फ प्याज के आयात पर ही भारत ने 2017-18 में सिर्फ 11.88 करोड़ रुपये खर्चे थे
जबकि 2019-20 में यह आंकड़ा बढ़कर 567.42 करोड़ हो गया. 2019-20 में भारत ने
अफगानिस्तान, तुर्की, मिस्र, यूएई, ईरान, ऑस्ट्रेलिया और चीन
जैसे देशों से भी प्याज का आयात किया जा रहा है. @Nayak 1
Expensive onion, pauper farmer
India seeking onion from abroad even
after excessive yields: Survey
Photograph taken from Google
The rate of potato and onion has
spoiled the budget of common people. Most people feel that the entire money of
onion and potato inflation is going into the pockets of farmers, farmers are
getting rich by selling so much expensive onions. But the reality is different.
A sample of this was seen in Nashik, where one sold his onion for Rs 700 a
quintal in April-May during lockdown, but now onion in the same mandi is being
sold for around Rs 6000-9000 per quintal.
It is true that expensive onion is a
disaster. But this disaster is also an opportunity for middlemen. The
government tries to provide immediate relief when inflation affects the public.
Restrictions on exports, onion sourcing from abroad and storage limits
(stocking) are all fixed. But when this onion becomes one rupee kilo, no one
comes to ask. Two years ago, onion was sold up to Re 1 kg in this country. The
news of the onion sold for 100 rupees per kg, but up to 30-50 percent of the
onion rot in the farmer's farm and their small godowns is not seen
Onion consumption in India is more
than 160 million tonnes in a year. Onion production in India is
continuously increasing and is now reaching about 250 lakh tonnes annually. In
such a situation, the question arises that why does India import onion despite
growing more onion? In countries like Iran, Afghanistan, Turkey and Australia,
less onion is produced from India, yet India imports onions from these less
productive countries.
Weather is helpless to farmers
India is an agricultural country as
well as a weather affected country. The farmers suffer the most due to the
weather. Along with the onion farmers, traders also suffer. Onion production in
India is excessive when the weather is fine. In that case, onion prices remain
controlled. Onion is exported from India as well as profits. Due to inclement
weather there are two ways. First- Sowing of crop or on standing crop. Second -
on the finished crop, which is kept for supply in the coming time.
Heavy losses due to traditional
method of storage
After the use of expensive seeds and
inclement weather, the farmer somehow prepares onions, so he has two ways. The
first is that he keeps his onion with him and sells it at the right price.
Secondly, at the time of high production, he should sell his crop at a lower
price. Various structures are made to keep the crop till it gets the right
price. In traditional methods, farmers make sheds using bamboo, bat, wood or tin,
in which onions are kept for a few months. In spite of all the arrangements and
expensive maintenance, about one third of the onions go bad.
Despite increasing production, onion
exports decreased and imports increased
In the last several years, onion production
in the country has been increasing. There have also been some years when about
one third of the onion produced in the world was born only in India. Despite
this, onion imports have been increasing in the last several years and exports
are being banned many times. According to the data of the Directorate General
of Commercial Information and Statistics (DGCIS), the rate of increase in the
quantity of onions exported from the country was 26 percent in 2015-16. In
2019, the rate of increase was reduced to minus 54 percent. In 2015-16, India
sold onion of US $ 473 million to other countries. In 2019-20, only $ 324
million onion was sold. According to DGCIS, in 2017-18, the volume of exports
was around 16 lakh tonnes, which was reduced to 11.49 lakh tonnes in 2019-20.
In 2015, India was at the top among the countries exporting the most onions
internationally, but since 2017-18, the situation is getting worse and India is
slipping to the third and fourth position.
Whereas, on the other hand, imports
have increased continuously. In 2017-18, India imported only 6592 tonnes of
onions. At the same time, 141189 lakh tonnes of onions were imported in
2019-20. On the import of onion alone, India spent only Rs 11.88 crore in
2017-18 while in 2019-20 this figure increased to 567.42 crore. In 2019-20,
India is also importing onions from countries like Afghanistan, Turkey, Egypt,
UAE, Iran, Australia and China.@Nayak 1
Thank you google