बुलंद हौसले को सलाम
महिला किसान बोलीं... हमारी जान गई तो बहू-बेटियां आकर संभालेंगी मोर्चा
गूगल से ली गई छायाचित्र
उन महिलाओं के हौसले को सलाम... जिन महिलाओं ने किसी
भी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है. इसका नजारा न केवल कुंडली बॉर्डर पर किसान
आंदोलन में देखने मिला है, बल्कि इसके पहले भी
तथागत बुद्ध से लेकर डॉ.
बाबासाहब अम्बेडकर तक के आंदोलन में महिलाएं बढ-चढ़कर हिस्सा ले चुकी हैं.
किसान आंदोलन में महिला तनिक भी पीछे नहीं हैं.
बल्कि, इस आंदोलन में महिलाएं पुरूष किसानों से एक
कदम आगे चल रही हैं. यही नहीं इस आंदोलन में बुजुर्ग महिलाएं और बच्चे भी पीछे
नहीं हैं. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महिला किसानों का कहना है
कि इस आंदोलन में अगर हमारी जान भी चली जाती है तो भी कोई गम नहीं है, क्योंकि हमारी बहु-बेटियां आकर इस मोर्चे को संभालेंगी. जबकि, सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें 90 साल की दादी और 8 साल का पोता इस किसान में हिस्सा लिया है.
गौरतलब है कि पंजाब से दिल्ली जाने के लिए महिला
किसान भी पीछे नहीं हैं और उनका जत्था भी आया हुआ है, जो किसानों संग कुंडली बॉर्डर पर डटा हुआ है. महिलाओं का जत्था
किसानों के लिए खाने का प्रबंध करने के साथ ही आंदोलन में बराबरी का योगदान दे रहा
है. महिलाओं का कहना है कि वे अपना हक लेने आई हैं और हक की लड़ाई लड़ रही हैं. हक
मिलने पर ही अब लौटेंगी. महिलाओं ने कहा कि अगर आंदोलन में उनकी जान चली गई तो
उनकी बहुएं-बेटियां आकर किसानों की मदद करेंगी. कुंडली बार्डर पर पहुंचे महिलाओं
के जत्थे ने कहा कि उनके साथ बुजुर्ग, युवा और महिलाएं आई
हुई हैं. वे किसानों के लिए खाने का प्रबंध करने के साथ ही अपने हक की लड़ाई में भी
पूरा योगदान दे रही हैं. महिलाओं का कहना था कि वे कपड़े व बिस्तर बाँधकर लाई हैं.
सरकार ने किसानों को बर्बाद करने के लिए जो तीन कानून बनाएं हैं, वे उसे वापस लेने के बाद ही लौटेंगी.
उनका कहना था कि उनके पास छह माह से अधिक का राशन
है. सरकार उन्हें दिल्ली जाने से जहां रोकेगी, अब वह वहीं रुककर धरना प्रदर्शन शुरू कर देंगी. उन्होंने कहा कि
जब उन्हें रास्ता खुला मिलेगा, तो वे दिल्ली की तरफ
कूच शुरू कर देंगी. वे किसान परिवार से हैं और किसान ने कभी हार नहीं मानी है, वह देश के लिए निवाले का इंतजाम करता है. ऐसे में उसे ही सरकार
दबाने में लगी है, जिसे अब सहन नहीं किया जा सकता है. किसान
हिंसा नहीं करेंगे, सरकार जहां कहेगी वहीं रुककर अपना आंदोलन
आगे बढ़ाएंगे.
पंजाब के संगरूर की महिला
किसान ने कहा, किसान ही है, जो देश का पेट भर रहा है. केंद्र सरकार किसान पर ही अत्याचार कर
रही है. अब समय आ गया है, जब किसान को सड़क पर
उतरने को मजबूर होना पड़ा. महिलाओं का जत्था भी उनके साथ है. आंदोलन को सफल बनाकर
ही लौटेंगी. पंजाब की कमरेर कौर ने कहा, किसान घर छोड़कर निकल
चुका है. किसान ने सदैव देश की सेवा की है, अब किसान को ही
बर्बाद करने का प्रयास किया गया तो उसे अपनी आवाज उठानी पड़ी. किसान की आवाज को
दबाया नहीं जा सकता, वे लड़कर मरने को भी
तैयार हैं. महिलाएं उनके आगे खड़ी हैं, अगर जान देनी पड़ी तो
वे आगे आकर अपनी जान देंगी. इसके साथ ही पंजाब की गुरदीप कौन ने कहा, किसान अपना हक लेने आया है. सरकार को उसका हक तुरंत देना चाहिए.
किसान अपनी मांग पूरी कराने के लिए हर कुर्बानी दे सकता है. छोटे बच्चों को साथ
लेकर महिलाएं भी इस आंदोलन में कूद गई हैं. अब मांग पूरी होने के बाद ही उनके कदम
वापस मुडें़गे, नहीं तो वे आर पार की लड़ाई लड़ने को भी
तैयार हैं. @Nayak 1
High salute to the fresh
Women farmers said ... if we die, daughters and
daughters will come and take care
Photograph taken from Google
Salute to the courage of those women ... women who
have participated extensively in any movement. Its view has not only been seen
in the farmer movement on the horoscope border, but even before that women have
participated extensively in the movement from Tathagata Buddha to Dr. Babasaheb
Ambedkar.
Women workers are not far behind in the peasant
movement. Rather, women are one step ahead of male farmers in this movement.
Not only this, elderly women and children are also not behind in this movement.
This can be gauged from the fact that women farmers say that even if our lives
are lost in this movement, there is no sorrow, because our multi-daughters will
come and take care of this front. Whereas, a picture is going viral on social
media, in which 90-year-old grandmother and 8-year-old grandson have participated
in this farmer.
Significantly, women farmers are not far behind to
go from Punjab to Delhi and their batch has also come, which is stuck on the
horoscope border with the farmers. The batch of women, along with arranging
food for the farmers, is contributing equally in the movement. Women say that
they have come to take their rights and are fighting for the right. Will return
now only after getting the right. The women said that if they lost their lives
in the movement, their daughters-in-law would come and help the farmers. The
batch of women who reached the horoscope border said that elderly, young and
women have come with them. Along with arranging food for the farmers, they are
also contributing fully in the fight for their rights. The women said that they
had brought clothes and bedding. The three laws that the government has enacted
to destroy the farmers, they will return only after withdrawing them.
They said that they have ration for more than six
months. Where the government will stop him from going to Delhi, now he will
stop there and start protesting. She said that when she finds the way open, she
will start traveling towards Delhi. He belongs to a farmer family and the
farmer has never given up, he arranges for a morsel for the country. In such a
situation, it is the government that is trying to suppress it, which can no
longer be tolerated. The farmers will not commit violence, they will stop the
movement wherever the government says.
The woman farmer of Sangrur in Punjab said,
"It is the farmer who is filling the nation's stomach". The central
government is persecuting the farmer itself. Now the time has come when the
farmer was forced to hit the road. The group of women is also with them. Will
return only after making the movement successful. Kaumer Kaur of Punjab said,
the farmer has left home. The farmer has always served the country, now if an
attempt was made to ruin the farmer, he had to raise his voice. The voice of
the farmer cannot be suppressed, they are also ready to fight and die. Women
are standing in front of them, if they had to die they would come forward and
kill themselves. With this, Gurdeep Kaun of Punjab said, the farmer has come to
take his right. The government should give its right immediately. The farmer
can give every sacrifice to fulfill his demand. Women have also jumped into
this movement with small children. Now only after the demand is met, they will
turn their steps back, otherwise they are ready to fight on the other side.
@Nayak 1
#BanEVM_SaveFarmers
Thank you Google