इंडियन इंजीनियरिंग प्रोफेशनल एसोसिएशन उत्तर प्रदेश का तीसरा राज्य अधिवेशन
देश में जन आंदोलन के लिए इंजीनियर लोगों
को अपने समाज को तैयार करना होगा :
वामन मेश्राम साहब
इंडियन इंजीनियरिंग प्रोफेशनल एसोसिएशन उत्तर प्रदेश का तीसरा
राज्य अधिवेशन रविवार 8 नवंबर 2020 को सफलतापूर्वक
संपन्न हुआ. इस अधिवेशन का उदघाटन इजी. के बी राम ने किया वहीं मुख्य अतिथि के रूप में इजी. के प्रसाद और
वक्ताओं के रूप में गुलाब, इजी. जितेन्द्र कुमार, इजी. मो.मोहसीन मियाँ, इजी. प्रेम गौतम और इजी. सुभाष बौद्ध ने
संबोधित किया. इसके साथ ही इंडियन इंजीनियरिंग प्रोफेशनल एसोसिएशन उत्तर प्रदेश प्रभारी अशोक कुमार भी मौजूद रहे.
वहीं अधिवेशन की अध्यक्षता इंडियन इंजीनियरिंग प्रोफेशनल एसोसिएशन के राष्ट्रीय संयोजक वामन मेश्राम साहब ने की.
अध्यक्षता करते हुए वामन मेश्राम साहब ने कहा, सरकारी संस्थानों का निजीकरण करने और हिस्सेदारी
बेचने की बात को
समझना है तो थोड़ा बैकग्राउंड समझना जरूरी है. 1990 में कांग्रेस की सरकार थी और नरसिंह राव प्रधानमंत्री थे. उन्होंने
1990 में निजीकरण का कार्यक्रम शुरू किया था. बहुत सारे लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. जानकारी ना होने से हमारे
ही लोग चुनाव में उनके समर्थन में खड़े हो जाते हैं. 1990 में निजीकरण का कार्यक्रम शुरू किया गया और गवर्नमेंट सेक्टर
और पब्लिक अंडरटेकिंग सेक्टर की कंपनियों को बेचने का काम शुरू किया गया. उन्होंने कहा, संविधान में लिखा हुआ
आरक्षण बरकरार रहेगा. मगर निजीकरण गवर्नमेंट सेक्टर और पब्लिक अंडरटेकिंग सेक्टर में हो रहा है. जहां गवर्नमेंट
अंडरटेकिंग सेक्टर में प्राइवेटाइजेशन होगा संपत्ति को बेचा जाएगा वहां पर संविधान के अंतर्गत प्राइवेटाइजेशन में रिजर्वेशन
नहीं है. पब्लिक अंडरटेकिंग सेक्टर कंपनी में रिजर्वेशन है, अगर वहां 24 घंटे में सरकार ने निजीकरण दिया तो 24 घंटे में
आपका आरक्षण जीरो हो जाता है.
उन्होंने कहा निजीकरण करने के पीछे एक बहुत बड़ा मकसद था और आज
भी है. क्योंकि निजीकरण की वजह से
रिजर्वेशन समाप्त होता है और इसके बदले में कंपनसेशन देने के लिए किसी प्रकार का कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
संविधान में किसी प्रकार का कोई संशोधन नहीं किया गया है कि निजीकरण होने के बाद रिजर्वेशन बरकरार रहेगा. हम
लोगों ने उस दौरान सारे देशभर में अभियान चलाकर समझाने का प्रयास किया. कई साल तक समझाने के बाद तब
लोगों को बात समझ में आई की निजीकरण में आरक्षण की मांग करना निजीकरण का समर्थन करने का कार्यक्रम है,
निजीकरण में आरक्षण देने का कार्यक्रम नहीं है. जिन लोगों ने निजीकरण में प्राइवेटाइजेशन में रिजर्वेशन की मांग की थी
वे लोग बीजेपी के सांसद हो गए और सांसद होने के बाद वहीं लोग प्राइवेटाइजेशन में रिजर्वेशन की मांग अपने सरकार
से करना भूल गए.
वामन मेश्राम साहब ने कहा, 90 में निजीकरण शुरू हुआ और 1995 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा पहला फैसला आया कि रिजर्वेशन
फंडामेंटल राइट नहीं है. 1990 में निजीकरण का कार्यक्रम शुरू करने के बाद 1995 में रिजर्वेशन फंडामेंटल राइट नहीं है यह
फैसला क्यों आया? क्योंकि उसका संबंध निजीकरण के साथ था. शासक वर्ग के मन में आशंका पैदा हुई कि अनुसूचित
जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोग सुप्रीम कोर्ट में जा सकते हैं. गवर्नमेंट सेक्टर और पब्लिक अंडरटेकिंग सेक्टर का
प्राइवेटाइजेशन किया जा रहा है उससे हमारा आरक्षण समाप्त हो रहा है. आरक्षण समाप्त करना हमारे मौलिक अधिकार का
उल्लंघन है ऐसा केस लेकर कोई आदमी सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है और मौलिक अधिकार के आधार पर उसको रोक
लगाने की मांग हो सकती है. इसके तहत शासक वर्ग के लोगों द्वारा प्रयास किया गया इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने घोषित
किया कि रिजर्वेशन फंडामेंटल राइट नहीं है. 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ संविधान लागू होने के बाद
रिजर्वेशन लागू हो गया.
रिजर्वेशन को फंडामेंटल राइट में डाले बगैर प्रोटेक्ट नहीं किया
जा सकता था. इस बात को ध्यान में रखते हुए कोर्ट की
व्याख्या इंटरप्रिटेशन संविधान सम्मत नहीं कही जा सकती. इसके बावजूद भी कोर्ट ने फैसला दिया तो निश्चित रूप से
इसके पीछे शासक वर्ग के मन में जो आशंका रही होगी वह यही थी कि अनुसूचित जाति-जनजाति अदर बैकवर्ड क्लासेस के लोग निजीकरण को फंडामेंटल राइट का वायलेंसन मानकर सुप्रीम कोर्ट में आ सकते हैं और इसे रद्द करने की योजना बता सकते हैं कि इससे हमारे मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. इस बात को ध्यान में रखते हुए और प्राइवेटाइजेशन का समर्थन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया. इस तरह से बहुत बड़े पैमाने पर सारे देशभर में एससी, एसटी, ओबीसी के रिजर्वेशन के विरोध में षड्यंत्र किया जा रहा है और यह षड्यंत्र शासक वर्ग मिलकर कर रहा है.
इसमें कांग्रेस-बीजेपी सहित ब्राह्मणों की जितनी भी नेशनल लेवल की पार्टियाँ हैं सभी शामिल है.
आगे वामन मेश्राम साहब ने कहा, ऐसी परिस्थिति में इसे रोकने का क्या उपाय है, इसके बारे में इंडियन इंजीनियरिंग
प्रोफेशनल एसोसिएशन के लोगों को विचार करना चाहिए. मेरा ऐसा मानना है कि एससी, एसटी, ओबीसी के पढ़े लिखे लोग
प्रशासन में 2 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है. ये 2 प्रतिशत लोग एम्पलाइज हैं इसलिए कोई आंदोलन, जन आंदोलन नहीं कर
सकते. जब तक आप आंदोलन जन-आंदोलन नहीं कर सकते तब तक इसको रोका नहीं जा सकता है. 2 अप्रैल 2018 को
एससी, एसटी एट्रोसिटीज के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय लिया था उसको रोकने के लिए सारे देशभर में जो बहुत
बड़ा आंदोलन हुआ तब जाकर इसको रोका गया. इसी तरह से इसको भी रोकने के लिए जन आंदोलन करना होगा. जन
आंदोलन करने के लिए इंजीनियर लोगों को अपने समाज को तैयार करना होगा. क्योंकि, 2 प्रतिशत पढ़ा-लिखा वर्ग है और
समाज 92 प्रतिशत है. इसलिए दो प्रतिशत पढ़े लिखे लोग जन आंदोलन नहीं कर सकते हैं. इसके लिए इंजीनियर लोगों को
98 प्रतिशत समाज यानी एससी, एसटी, ओबीसी, माइनॉरिटी को जागृत करना होगा और जोड़ना होगा. शक्ति निर्माण करनी
होगी और संगठन निर्माण करना होगा और फिर उसका उपयोग जन आंदोलन के लिए करना होगा. इंजीनियर लोगों को
ऐसा करने के लिए बुद्धि, पैसा, हुनर, समय और श्रम लगाना होगा. तब जाकर अपने पुरखों द्वारा दिए गये संवैधानिक
अधिकार को बचाने का काम हम कर सकते हैं, अन्यथा नहीं कर सकते हैं. @Nayak 1
3rd State
Session of Indian Engineering Professional Association Uttar Pradesh
Engineers
must prepare their society for mass movement in the country: Waman Meshram
Saheb
The third
state session of the Indian Engineering Professional Association Uttar Pradesh
was successfully concluded on Sunday 8 November 2020. Inauguration of this
session KB Ram did Easy as the chief guest. As offerings and speakers of roses,
eas. Jitendra Kumar, E.G. Mohsin Mian, Ez. Prem Gautam and Easy. Subhash
Buddhist addressed. Along with this, Indian Engineering Professional
Association Uttar Pradesh in-charge Ashok Kumar was also present. At the same
time, the session was chaired by Waman Meshram Saheb, the national convener of
the Indian Engineering Professional Association.
While
presiding, Waman Meshram Saheb said that if we want to understand the matter of
privatizing government institutions and selling stake, then it is necessary to
understand a little background. The Congress was in government in 1990 and
Narasimha Rao was the Prime Minister. He started the program of privatization
in 1990. Many people are not aware of this. Due to lack of information, our
people stand in their support in the elections. The program of privatization
was started in 1990 and the sale of companies to the government sector and
public undertaking sector was started. He said, reservation written in the
constitution will remain intact. But privatization is happening in the
government sector and public undertaking sector. Where there will be
privatization in the government undertaking sector, the property will be sold,
but there is no reservation in privatization under the constitution. There is a
reservation in the public undertaking sector company, if the government
privatized there in 24 hours, then your reservation becomes zero in 24 hours.
He said that
there was a very big motive behind privatization and it still exists. Because
due to privatization, the reservation ends and no provision has been made to
give compensation in return. No amendment has been made in the constitution
that after privatization, the reservation will remain intact. During that time,
we tried to explain by campaigning all over the country. After explaining for
many years, then people came to understand that demanding reservation in
privatization is a program to support privatization, it is not a program to
give reservation in privatization. Those who had sought reservation in
privatization in privatization, they became BJP MPs and after being MPs, they forgot
to ask for reservation in privatization from their government.
Waman
Meshram Saheb said, privatization started in the 90s and in 1995 the first
decision came by the Supreme Court that Reservation is not Fundamental Right.
Why did the decision come in 1995 after the program of privatization was not
made in 1995 by the Reservation Fundamental Right? Because it was related to
privatization. There was apprehension in the mind of the ruling class that
people belonging to scheduled castes, tribes and backward classes can go to the
Supreme Court. Our reservation is ending with the privatization of the
government sector and the public undertaking sector. Abolition of reservation
is a violation of our fundamental right, in such a case, a person can go to the
Supreme Court and there can be a demand to stop it on the basis of fundamental
right. Under this, efforts were made by the people of the ruling class after
which the Supreme Court declared that the reservation is not a fundamental
right. Constitution came into force on 26 January 1950 Reservation came into
force after the Constitution came into force.
Reservations
could not be protected without putting them in fundamental rights. Keeping this
in mind, the interpretation of the court cannot be called Interpretation
Constitution. Despite this, if the court gave the verdict, then surely the fear
in the minds of the ruling class behind it was that the people of other
backward classes belonging to the scheduled castes and tribes can come to the
Supreme Court by considering privatization as a fundamental right The plan to
cancel can tell that this is violating our fundamental right. Keeping this in
mind and to support privatization, the Supreme Court gave this decision. In
this way, conspiracy is being done against the reservation of SC, ST and OBC
all over the country on a large scale and the ruling class is doing this
conspiracy together. It includes all the national level parties of Brahmins
including Congress-BJP.
Further, Waman
Meshram Saheb said, what is the solution to prevent this in such a situation,
people of Indian Engineering Professional Association should think about it. I
believe that the educated people of SC, ST, OBC are not more than 2 percent in
the administration. These 2 percent people are employees, so no movement can be
mass movement. Until you can not organize a movement, it cannot be stopped. On
April 2, 2018, to stop the decision taken by the Supreme Court regarding SC, ST
atrocities, a huge movement took place all over the country and then it was
stopped. Similarly, to stop this, a mass movement will have to be done.
Engineers will have to prepare their society for mass movement. Because, 2
percent is educated and society is 92 percent. That's why two percent educated
people cannot do mass movement. For this, people will have to wake up and add
98 percent of the society i.e. SC, ST, OBC, Minority. Power will have to be
built and organization will have to be built and then it will have to be used
for mass movement. Engineers will have to apply intelligence, money, skill,
time and labor to do so. Then we can do the work of saving the constitutional
right given by our forefathers, otherwise we cannot. @ Nayak 1
Thank you
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