किसान आंदोलन पीछे हटने वाला नहीं है, बल्कि यह आंदोलन देशव्यापी स्तर पर बढ़ रहा है : वामन मेश्राम साहब
‘‘केंद्र
सरकार जो किसानों के विरोध में कैम्पेन चला रही है, चौपाल में जाकर किसानों को समझाने का
काम कर रही है तो सरकार को ये काम पहले करना चाहिए था, अब समझाने का कोई मतलब नहीं है.
क्योंकि, अब यह
आंदोलन पीछे हटने वाला नहीं है, बल्कि यह आंदोलन आगे बढ़ेगा और देशव्यापी
स्तर पर बढ़ेगा, इसको हम
लोग पूरी ताकत से समर्थन करेंगे.’’
किसान आंदोलन सही दिशा में आगे बढ़ रहा
है. किसानों की जो मांगे हैं वो कानून रद्द होना चाहिए, एमएसपी पर कानून बनना चाहिए और
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग रद्द होना चाहिए. अगर किसान इस तरह की मांग कर रहे हैं तो यह
बिल्कुल भी गलत नहीं है. जब किसान ही हम कह रहे हैं कि ये कानून हमारे हक में नहीं
है तो सरकार क्यों ज़बरदस्ती उनके ऊपर थोपना चाहती है, क्यों सरकार ज़बरदस्ती उनका फायदा करना
चाहती है? जबकि वही
किसान बोल रहे हैं कि इससे हमारा सत्यानाश होने वाला है. इसी तरह से सरकार ने
मजदूरों के समर्थन वाले 40 कानूनों
को रद्द कर दिया और उनको भी बताया कि वह मज़दूरों के फायदे में है. लेकिन, मैं नहीं मानता हूं कि इससे फायदा होने
वाला है. यह बात भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम साहब किसान
आंदोलन पीछे हटने वाला नहीं है, बल्कि यह
आंदोलन देशव्यापी स्तर पर बढ़ रहा है : वामन मेश्राम साहब ने कही.
वामन मेश्राम साहब किसान आंदोलन पीछे हटने
वाला नहीं है, बल्कि यह
आंदोलन देशव्यापी स्तर पर बढ़ रहा है : वामन मेश्राम साहब ने कहा, किसान आंदोलन बढ़ रहा है और इसे बढ़ाने
में हम लोगों की भी एक अहम भूमिका है. क्योंकि, 31 राज्य और 550 जिलों में सक्रिय संगठन है. किसान
आंदोलन शुरू करने वाले जो किसान हैं, जिसके लिए पंजाब के किसानों ने पहल
किया मैं उनको वंदन करता हूं कि उन्होंने इस मुद्दे पर पहल किया. लेकिन, किसानों के देशव्यापी संगठन का जाल
नहीं है. हम लोग किसानों के मुद्दे को पूरी ताकत के साथ समर्थन किया और देशव्यापी
स्तर पर लेकर गए. गुजरात, उत्तर
प्रदेश सहित कई बीजेपी शासित राज्य सरकारों ने 8 दिसंबर को भारत बंद के दौरान हमारे
कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया और 14 दिसंबर को भी हमारे कई कार्यकर्ताओं को
गिरफ्तार किया गया है. हमारा तो इस आंदोलन को सक्रिय रूप से समर्थन है. उन्होंने
कहा, केंद्र
सरकार जो किसानों के विरोध में कैंपेन चला रही है, चौपाल में जाकर किसानों को समझाने का
काम कर रही है तो सरकार को ये काम पहले करना चाहिए था, अब समझाने का कोई मतलब नहीं है.
क्योंकि, अब यह
आंदोलन पीछे हटने वाला नहीं है, बल्कि यह
आंदोलन आगे बढ़ेगा और देशव्यापी स्तर पर बढ़ेगा, इसको हम लोग पूरी ताकत से समर्थन
करेंगे.
वामन मेश्राम किसान साहब आंदोलन पीछे हटने
वाला नहीं है, बल्कि यह
आंदोलन देशव्यापी स्तर पर बढ़ रहा है : वामन मेश्राम साहब ने कहा, अमित शाह के साथ बातचीत होने के बाद 13 किसान नेताओं को अमित शाह के साथ
बातचीत करने के लिए बुलाया गया था, उसके बाद जो लिखित प्रस्ताव किसानों को
दिया गया, खुद कृषि
मंत्रालय ने नरेंद्र मोदी की सहमति से दिया. अगर दिया तो उससे एक बहुत महत्वपूर्ण
बात सिद्ध होती है कि तीनों कानूनों के अंदर जो कमियाँ-ख़ामियाँ, कमजोरियां है वह दूर करने के लिए
केन्द्र सरकार ने प्रस्ताव दिया. जब कमियाँ-ख़ामियाँ, कमजोरिया दूर की जायेगी तो जो ओरिजनल
कानून है वह कानून लगभग खत्म हो जाएगा. यानी जिस मकसद के लिए भारत सरकार ने कानून
लाया वह मकसद पूरा खत्म हो जाएगा और जब मकसद खत्म हो जाएगा तो उस कानून पर अड़े
रहने का काम केंद्र सरकार क्यों कर रही है? मुझे समझ नहीं आ रहा है कि उसको नाक का
बाल क्यों बना रही है? जिन
मुद्दों को उन्होंने स्वीकार किया उन मुद्दों को स्वीकार करने के बाद अमेंटमेंट
होगा. अमेंटमेंट होने के बाद जो ओरिजिनल कानून है उसका तो दम निकल गया. फिर उस
कानून को बनाए क्यों रखना चाहते हैं? क्यों अहंकार का मुद्दा बना रहे हैं?
उन्होंने आगे कहा, ये अहंकार का मुद्दा है. क्योंकि
केंद्र सरकार सोच रही है इससे हमारी पराजय हो जायेगी ऐसा विरोधी पार्टी कहेगी और
किसान कहेंगे हमारी विजय हो गई. मीडिया वाले कहेंगे केंद्र सरकार पराजय हो गई.
अंकडू प्रधानमंत्री है वो बोलेगा मेरा पराजय कैसे हो सकता है. इसलिए वे कोशिश कर
रहे हैं कि ठीक है आपकी बात हम स्वीकार करते हैं, सुधार की बात स्वीकार करते हैं और इसे
कानून में डाल देते हैं. इससे आपकी भी बात रह जाएगी, हमारी भी बात रह जाएगी और हमारा अहंकार
भी रह जायेगा इसके साथ हमारा कानून भी बरकरार रहेगा. कानून में दम रहे या ना रहे.
इसलिए केंद्र सरकार अहंकार पर अड़ी हुई है. केंद्र सरकार को अहंकार का पालन पोषण
करने का काम छोड़ देना चाहिए. अगर देश के अन्नदाता के सामने सरकार अपनी गलती को
स्वीकार करती हैं तो यह उसका बड़प्पन होगा. जबकि अमित शाह ने 13 किसान नेताओं के सामने यह स्वीकार किया
कि हमें यह कानून पास करने के पहले किसानों से सलाह मशवरा करना चाहिए, हमारी बहुत बड़ी गलती थी. जब गलती थी
मान लिया तो फिर कानून को पीछे लेना चाहिए था. लेकिन अहंकार पर अड़े हुए हैं.@Nayak 1
The peasant movement is not going to back down, but
this movement is growing at a nationwide level: Waman Meshram Saheb
Photograph taken from Google
"The central government which is running a campaign
against the farmers, is working in Chaupal to convince the farmers, then the
government should have done this work earlier, now there is no point in
explaining it. Because, now this movement is not going to back down, instead
this movement will move forward and will grow at the nationwide level, we will
support it with full force. ”
The Waman Meshram sahab farmer movement is not going to
backfire, but this movement is growing at a nationwide level: Waman Meshram
Saheb said, "The farmers movement is growing and we also have an important
role to increase it." Because, 31 states and 550 districts
have active organization. The farmers who started the peasant movement, for
which the farmers of Punjab took the initiative, I salute them that they took
initiative on this issue. But, the nationwide organization of farmers is not a
trap. We supported the farmers' issue with full force and took it to the
nationwide level. Several BJP-ruled state governments, including Gujarat, Uttar
Pradesh, arrested our activists during Bharat Bandh on 8 December
and many of our activists have been arrested on 14 December.
We have active support for this movement. He said, the central government which
is running a campaign against the farmers, is working in Chaupal to convince
the farmers, then the government should have done this work earlier, now there
is no point in explaining it. Because, now this movement is not going to back
down, instead this movement will move forward and will grow on a nationwide
level, we will support it with full force.
The Waman Meshram sahab peasant movement is not going to
backfire, but this movement is growing at a nationwide level: Waman Meshram
Saheb said, 13 farmers leaders were called to negotiate with Amit
Shah after talks with Amit Shah, After that the written proposal was given to
the farmers, the Ministry of Agriculture itself gave the consent of Narendra
Modi. If given, then it proves a very important thing that the Central
Government proposed to remove the shortcomings and weaknesses within the three
laws. When the shortcomings and flaws and weaknesses will be removed, then the
original law which is there will be almost finished. That is, the purpose for
which the Government of India brought the law will end, and when the purpose is
over, then why is the central government doing the work of sticking to that
law? I do not understand why it is making him a nose hair? After accepting the
issues which he accepted, there will be an adjustment. After the appointment,
the original law is over. Then why want to keep that law? Why making an ego
issue?
He further said, this is an issue of ego. Because
the central government is thinking that this will lead to our defeat, the
opposition party will say this and the farmers will say that we have won. The
media would say that the central government was defeated. Ankadu is the Prime
Minister, he will say how can I be defeated. That is why they are trying that
we accept your point, accept the matter of reform and put it into law. This
will remain your point as well, we will also keep our talk and our ego will
also remain, along with this our law will also remain intact. Whether in law or
not Therefore, the central government is adamant on arrogance. The central
government should quit the job of nurturing arrogance. If the government
accepts its mistake in front of the country's donor, then it will be its
greatness. While Amit Shah admitted in front of 13 farmer
leaders that we should consult the farmers before passing this law, it was a
big mistake for us. When there was a mistake, then the law should have been
taken back. But are adamant on ego. @ Nayak 1
Thank you Google