14 अप्रेल 1891 - 6 दिसम्बर 1956
विश्वरत्न महामानव बाबासाहब डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर जी कें 64 वें महापरिनिर्वाण दिन कें अवसर पर विनम्र अभिवादन.
**महापुरुषों के अधूरे कार्य को पूरा करना ही उन्हें आदरांजली अर्पित करना है*
*क्रांति जन्य परिस्थिति में साधन संसाधनों का अभाव*
आज संगठन के पास स्पष्ट उद्देश्य विचारधारा नीति एवं नेतृत्व है। हमने आज तक उद्देश्य एवं विचारधारा के साथ कोई समझौता नहीं किया है ना ही भविष्य में करने वाले हैं । संगठन के पास सफलता के लिए भविष्य कालीन रणनीति भी है । त्यागी समर्पित निष्ठावान कर्मठ कार्यकर्ता संगठन के पास है इन सब के कारण समाज की संगठन से अपेक्षाएं बढ़ी हुई है।
आज देश में क्रांति जन्य परीस्थिति है मगर संगठन के पास साधन संसाधनों का अभाव है । साधन संसाधनों के अभाव से हम इस क्रांतिजन्य परिस्थिति को जन आंदोलन में रूपांतरित नहीं कर पा रहे हैं ।
आज संगठन के पास जो भी सीमित साधन है उसी के आधार पर जो कार्य हमने किया है उसी से दुश्मन परेशान हैं और लगातार वह संघटन को समाज से आने वाले साधन संसाधनों को रोकने की कोशिश कर रहा है।
कोरोना महामारी एवं लॉक डाउन का सहारा लेकर एक तरह से देशभर में अघोषित आपातकाल लागू कर दिया है। पिछले 70 सालों में लोकतंत्र के सभी संस्थाओं पर दुश्मनों के द्वारा अनियंत्रित वर्चस्व कायम किया गया है जिसका उपयोग करके संविधान के विरोध में कार्य किया जा रहा है ।
ईवीएम के माध्यम से अनियंत्रित सत्ता दुश्मनों के हाथ में आ गई हैं ।
लॉक डाउन का बहाना बनाकर सामाजिक संघटनाओके कार्यक्रमों पर पाबंदी लगाकर एक तरह से संगठन को आने वाले हैं साधन संसाधनों पर रोक लगाने का काम दुश्मन ने किया है जिसका मकसद हमारे आंदोलन की बढ़ती भी गति को रोकना है और अंततः आंदोलन को प्रभाव हिन करना है।
साधन संसाधनों के अभाव से आप संगठन नहीं चला पाओगे जन आंदोलन तो दूर की बात है ।
दुश्मन हमारे नेतृत्व एवं संगठन का समय बर्बाद करना चाहता है ।
आज सफलता और हमारे बीच में केवल समय का ही अंतर है ।
हम ज्यादा से ज्यादा साधन लगाकर जल्द से जल्द अपने समाज के आजादी हासिल करना चाहते हैं और दुश्मन पूरी कोशिश करके हमारे नेतृत्व एवं संगठन का समय बर्बाद कर रहा है।
आज नेतृत्व के द्वारा समाज के अंदर सफलता का विश्वास निर्माण कर दिया गया है । पिछले 2 सालों में समाज के ज्वलंत मुद्दों पर दो बार सफलतापूर्वक भारत बंद का आंदोलन किया गया है।
केवल मात्र 2 महीने के अंदर ही तीसरे भारत बंद आंदोलन की घोषणा नेतृत्व के द्वारा की गई थी।
आज दुश्मन ने संगठन को संकट में डालकर हमें विफल करने की साजिश की है। इस संकट की स्थिति से संगठन को बाहर निकालने का काम कार्यकर्ता नहीं करेंगे और कौन करेगा। इसलिए ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा लगाकर हर कार्यकर्ता को समाज से साधन संसाधन निकालनी होंगे।
संगठन अगर संकट से बाहर निकला तो ही वह समाज को दुश्मनों के द्वारा निर्माण किए संकट से बाहर निकाल सकता है। संगठित शक्ति से ही हमारी मुक्ति संभव है। और यह काम संगठित शक्ति संगठन बनाएं एवं उसे मजबूत किए बगैर संभव नहीं है। दुश्मन ने आमने सामने की लड़ाई शुरू कर दी है यही इस बात का सबूत है कि वह हमारे साधन संसाधनों को रोकने का काम कर रहा है दुश्मन की मजबूरी है कि वह खुलकर हमारा विरोध नहीं कर सकता।
मुर्दा लोक मिशन चला नहीं सकते और जिंदा लोग मिशन को रुकने नहीं देते। अगर हम अपने महापुरुषों के आंदोलन को चलाने में सफल नहीं रहे उसका एकमात्र कारण यही होगा कि एक तो हमारे अंदर योग्यता की कमी है या तो सामाजिक ईमानदारी की। हमें किसी भी स्थिति में यह आंदोलन सफल करना है इसके लिए हर कार्यकर्ता को दृढ़ संकल्पित होकर कार्य करने की जरूरत है ।
06 दिसंबर यह डॉ बाबासाहेब अंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिन करोड़ों की संख्या में देशभर में लोग मनाते हैं । करोड़ों रुपए महापरिनिर्वाण दिन मनाने के लिए समाज के द्वारा खर्च किए जाते हैं।
अगर इसमें से केवल 10% भी हम आंदोलन पर खर्च करें तो हम डॉ बाबा साहब अंबेडकर के अधूरे कार्य को पूरा कर सकते हैं ।महापुरुषों को अनुयायियों जरूरत है ना कि केवल उनके जय जयकार करने वाले ।
आज के दिन देशभर में अगर 10,000 कार्यकर्ता संकल्प करें 06 दिसंबर को संकल्प दिन के माध्यम से हर कार्यकर्ता अगर कम से कम रू 10000 समाज से जन आंदोलन निधि निर्माण करें और बामसेफ के 37 वे राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए कम से कम 10 रजिस्ट्रेशन करने का कार्य करें। अगर हम ऐसा करते हैं तो देश भर में एक साथ आंदोलन की गति बहुत ज्यादा तेज होगी।
बामसेफ एवं सभी सहयोगी संगठनों को एवं उनके पदाधिकारी कार्यकर्ताओं को 06 दिसंबर को संकल्प दिन के नाम पर जो संकल्प हमने किया है अपने समाज को आजाद करने का उस आजादी के लिए साधन संसाधन हथियार के तौर पर काम आएंगे वह हम लोग निर्माण करेंगे।@Nayak 1
"Symbol of knowledge
14 April 1891 - 6 December 1956
Humble greetings on the occasion of 64th Mahaparinirvan day of Vishwaratna Mahamanava Babasaheb Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar.

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