डॉ.बाबा साहब अम्बेडकर के 64वें महापरिनिर्वाण दिवसपर‘‘रामायण महाभारत, मनुस्मृति, भगवदगीता
ब्राह्मणों के संगठित हिंसा के प्रतीक’’ किताब का विमोचन
जो मानसिक रूप से स्वतंत्र होगा वही राजनीतिक रूप से स्वतंत्र हो सकता है : वामन मेश्राम साहब
गूगल से ली गई छायाचित्र
मेरा ऐसा मानना है कि यह अभूतर्पूव किताब है. इसके पहले इस विषय पर अंग्रेजी में साहित्य हो सकते हैं. इस किताब में भी लिखा गया है, उनका संदर्भ दिया है. उसको ब्राह्मणों ने पढ़ा भी होगा, इसके बाद भी उन्होंने वो एविडेंस लोगों के सामने लाने की कोशिश नहीं की. पहली बार किसी फुले-शाहू-अंबेडकर की विचारधारा को मानने वाले व्यक्ति ने इस तरह की किताब लिखी और भारत के भारतीय भाषा में लिखी. भारत के तमाम लोग जो अपने आपको मानसिक और राजनीतिक रूप से स्वतंत्र करना चाहते हैं. इस देश में आजाद होना चाहते हैं तो पहले मानसिक रूप से आजाद होना जरूरी होगा और मानसिक रूप से आजाद होने के लिए यह किताब उनके लिए बहुत ज्यादा उपयुक्त होगी. इसलिए मैं समस्त मूलनिवासी बहुजन को इस किताब को पढ़ने के लिए अनुरोध करता हूं कि वह इस किताब को पढ़े और अपने आप को मानसिक रूप से स्वतंत्र करें जो मानसिक रूप से स्वतंत्र होगा वही राजनीतिक रूप से स्वतंत्र हो सकता है. यह बात भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्षवामनमेश्रामसाहब ने 6 दिसम्बर 2020 डॉ.बाबासाहब अम्बेडकर के 64वें महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर प्रो.विलासखरातद्वारालिखीगईकिताब‘‘रामायणमहाभारत, मनुस्मृति, भगवदगीता ब्राह्मणों के संगठित हिंसा के प्रतिक’’ का विमोचन करते हुए कही.
वामनमेश्रामसाहबनेकहा,6 दिसंबर डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का 64वां महापरिनिर्वाण दिन है. इस महापरिनिर्वाण दिनकेमौकेपरविलासखरातद्वारालिखीगईकिताब‘‘रामायणमहाभारत, मनुस्मृति, भगवद गीता ब्राह्मणों के संगठित हिंसा के प्रतिक’’ का मैं विमोचन कर रहा हूँ. यह बहुत ही रिसर्च ग्रंथ है. दूसरी एक बात, इस किताब में जिस तथ्य को शोध करके हिंदी भाषा में लाया गया है अपने आप में बहुत आश्चर्यजनक है. हिंदी भाषा में पहली बार ऐसी कोई किताब आई है जिसमें सबूत के आधार पर यह सिद्ध किया गया है कि ‘‘रामायण महाभारत मनुस्मृति और भगवतगीता’’ ब्राह्मणों के संगठित हिंसा के प्रतीक हैं. ये जो ग्रंथ है जिसे ब्राह्मण लोग पवित्र मानते है और जो बहुसंख्यक समाज जिसे एससी, एसटी, ओबीसी, मायनॉरिटी कहा जाता है. इसके साथ ही अगर महाराष्ट्र के संदर्भ में अगर देखा जाए तो कुनबी मराठा जो लोग ब्राह्मण नहीं हैं, छत्रिय नहीं हैं. परंपरागत दृष्टिकोण से जो ब्राह्मणों ने वर्ण व्यवस्था बनाई वह नहीं हैं. यहां तक कि कायस्थ जाति तक क्योंकि, ब्राह्मणों ने जो ग्रंथ लिखे हैं उसके आधार पर कायस्थ जाति वर्ण व्यवस्था में शूद्र कहा गया है आज के तारीख में कायस्थ सबसे ऊपर रखी गई शूद्र जाति है. लगभग सभी शूद्र जातियों को मंडल कमीशन में शूद्र के तौर पर डाला गया है.
उन्होंने कहा, कुछ जातियों को राजनीति के मकसद के लिए योजना बनाकर बैकवर्ड क्लासेस के लिस्ट से बाहर रखा गया. उन जातियों को बहार रखा गया जिन जातियों को ब्राह्मणों ने बहुत्तर सत्ता प्रणाली के तहत राज्य की सत्ता में उनको हिस्सेदारी दी. यह एक प्रकार से अलिखित समझौता है. ब्राह्मणों का उन जातियों के साथ में क्योंकि अलग-अलग राज्यों में उनकी संख्या ज्यादा है. जैसे कि महाराष्ट्र में मराठा लोगों की संख्या ज्यादा है, ऐसे मराठा लोगों को मंडल कमिशन से बाहर रखा. इस आधार पर बाहर रखा कि राज्य की सत्ता उनको दी जाएगी. बहुत्तर सत्ता प्रणाली में सत्ता का एक स्तर है पंचायत राज. ग्रामीण भाग को अगर आधार बनाया जाए तो ग्रामीण भाग में पंचायत राज के द्वारा गांव में रहने वाले जो लोग हैं उनमें सबसे ज्यादा संख्या वाली जाति है किसान. उस जाति को उन्होंने अडॉप्ट किया और उनको पंचायत राज की सत्ता दी. इसी तरह से शहरों में नगरपालिका महानगरपालिका में भी उन लोगों को सत्ता में आने का कम अधिक प्रमाण में प्रयास किया गया और फिर उनमें से ही विधानसभा के द्वारा राज्य की सत्ता दी गई और उन लोगों की मदद से बहुमत हासिल किया. बहुमत हासिल करके केंद्र की सत्ता पर ब्राह्मणों ने कब्ज़ा किया.
आगे कहा कि केन्द्र की सत्ता पर ब्राह्मणों द्वारा बनाई हुई पार्टियों ने कब्ज़ा किया. जैसे सबसे पहली पार्टी कांग्रेस को चटर्जी, मुखर्जी, बनर्जी, गोखले, अगरकर, तिलक इन ब्राह्मणों ने बनाई और आजाद भारत पर पहले कब्जा किया. उसके बाद आज की तारीख में आरएसएस के द्वारा जन संघ बनाया गया. जन संघ का ही नाम बदलकर भारतीय जनता पार्टी बनाई गई उसकी सत्ता है. इसका मतलब यह है यह बहुसंख्यक लोगों की मदद से राज्य सत्ता पर इन लोगों ने कब्ज़ा किया हुआ है. यह बात मैं इसलिए बता रहा हूं क्योंकि बहुसंख्यक लोग एससी, एसटी, ओबीसी और इनसे कन्वर्टेड माइनॉरिटी और जो मंडल परिषद में शामिल नहीं किए हुए लोग हैं यानी कायस्थ जाति तक जो वर्ण व्यवस्था के सबसे ऊपर वाले हिस्से में रहने वाले जो शूद्र वर्ण के लोग हैं. इन लोगों पर रामायण महाभारत से मनुस्मृति भगवतगीता थोपा गया है. इस ग्रंथ को शूद्र लोग यदि पवित्र मानते हैं तो उसकी वजह यह नहीं है कि यह ग्रंथ पवित्र है. बल्कि उसकी वजह यह है कि उन लोगों के ऊपर थोपा गया है.
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, अगर हम छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास देखें तो पता चलता है कि ब्राह्मणों ने छत्रपति शिवाजी महाराज को जहर देकर मारा. पेशवा ब्राह्मणोंने मारा, कोकनस्त ब्राह्मणों ने मारा. जिन ब्राह्मणों ने छत्रपति शिवाजी महाराज को मारा तो वे लोग उनको अपना दुश्मन मानते थे इसलिए मारा. क्योंकि अगर वह अपना दोस्त मानते तो मारने की वजह नहीं थी. और उनके महाप्रतापी पुत्र संभाजी महाराज को भी उन्होंने हत्या की. भारत में अंग्रेज आए, अंग्रेजों के विरोध में आंदोलन हुआ. आंदोलन होने के बाद आजादी मिली. आजादी मिलने के बाद प्रौढ़ मताधिकार लागू किया हुआ. प्रौढ़ मताधिकार लागू होने की वजह से जो प्रजा बहुसंख्यांक हैं उनको को वोट का अधिकार मिला और बहुसंख्यक लोगों को एमपी बनाएंगे उनका जो बहुमत होगा उनके बहुमत के समर्थन से देश का प्रधानमंत्री बनेगा. यानी बहुमत तो बहुसंख्य लोगों का था इसका मतलब है कि इनका समर्थन लेना जरूरी था. यह प्रौढ़ मताधिकार की वजह से हुआ जो डॉ. बाबासाहब अंबेडकर ने भारत के संविधान में लिखा. यह परिवर्तन हुआ. इस परिवर्तन की वजह से ब्राह्मणों का जिनके साथ दुश्मनी थी, उन्होंने असीमिलेशन थियरी छत्रपति शिवाजी महाराज पर लागू की. असीमिलेशन थियरी क्या है? उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को एजईटी स्वीकार नहीं किया. उन्होंने क्या किया? उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज का ब्राह्मणीकरण किया. ब्राह्मणीकरण करने के लिए ब्राह्मणों ने छत्रपति शिवाजी महाराज को मुगलों का दुश्मन बताया. शिवाजी महाराज ब्राह्मण धर्म के अनुसार वर्ण व्यवस्था में शूद्र है. इसलिए पूना के ब्राह्मणों ने उनका राज्याभिषेक नहीं किया कहा कि तुम शुद्र हो.
आगे कहा कि इन लोगों ने छत्रपति शिवाजी महाराज को जैसा का वैसा स्वीकार नहीं किया, बल्कि शिवाजी महाराज को बताया कि वह मुगलों के साथ लड़ रहे थे. मुग़लों के साथ क्यों लड़ रहे थे? तो बताया कि हिंदू धर्म की रक्षा के लिए लड़ रहे थे. अगर मान लिया जाए कि शिवाजी महाराज हिंदू धर्म की रक्षा करने के लिए लड़ाई लड़ रहे थे तो शिवाजी महाराज को ब्राह्मणों ने जहर देकर क्यों मारा? इससे यह बात सिद्ध होती है कि यह लड़ाई हिंदू धर्म की रक्षा करने के लिए लड़ रहे थे यह बात सही नहीं है. क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में हिंदू धर्म नाम का धर्म ही वजूद में नहीं था. फिर कौन सा धर्म वजूद में था? शिवाजी महाराज को राज्यभिषेक के समय पूना के ब्राह्मणों ने अपने धर्म शास्त्र को देखा और देखने के बाद उनको पता चला छत्रपति शिवाजी महाराज शूद्र हैं. इसलिए आपका राज्य अभिषेक नहीं हो सकता है. क्योंकि मनुस्मृति के अनुसार शूद्र को राजा बनने का अधिकार नहीं है. इसका मतलब है कि शिवाजी महाराज के समय में हिंदू धर्म वजूद में नहीं था. उस समय जो धर्म वजूद में था वह वर्ण धर्म था. उसी को आधार बनाकर उन्होंने घोषणा किया कि आपका राज्य अभिषेक नहीं हो सकता है. इससे सिद्ध होता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में हिंदू धर्म वजूद में ही नहीं था. ब्राह्मणों ने जो झूठा इतिहास लिखा.
उन्होंने कहा, आज भी ब्राह्मण लोग वही ब्राह्मणीकरण का सिद्धांत जातक कथाओं पर लागू किया है. बुद्ध ने अपना प्रवचन करने के लिए जातक कथाओं का सहारा लिया. जातक कथाएं इतनी ज्यादा प्रचलित थी कि जातक कथाओं को लोक कथा कहा जा सकता है. आज भी बहुत सारे गांव में रहने वाले लोगों के दिमाग में बहुत सारी लोक कथाएं है. @Nayak 1
Released
the book "Ramayana-Mahabharata, Manusmriti, Symbol of organized violence
of Bhagavad Gita Brahmins" on Dr. Babasaheb Ambedkar's 64th Mahaparinirvan
Divas
One
who will be mentally independent can be politically independent: Waman Meshram
Saheb
Photograph
taken from Google
I
believe that this is an unprecedented book. Before this there can be literature
in English on this subject. It has also been written in this book, reference
has been made to them. The Brahmins must have read it, even after this, they
did not try to bring that evidence to the people. For the first time, a person
who believed in the ideology of Phule-Shahu-Ambedkar wrote such a book and
wrote in the Indian language of India. All the people of India who want to free
themselves mentally and politically. If you want to become independent in this
country, then it will be necessary to be mentally independent and this book
will be very suitable for them to become mentally independent. That is why I
request all the indigenous Bahujans to read this book and read this book and
make themselves mentally independent, who will be mentally independent, only
they can become politically independent. This was stated by the President of
Bharat Mukti Morcha, Waman Meshram Saheb, on the occasion of 64th
Mahaparinirvan Divas of Dr. Babasaheb Ambedkar on 6 December 2020. The book,
written by Vilas Kharat, released "Ramayana-Mahabharata, Manusmriti, a
counter to the organized violence of the Bhagavad Gita Brahmins".
Waman
Meshram Saheb said, December 6 is the 64th Mahaparinirvan day of Dr. Babasaheb
Ambedkar. On the occasion of this Mahaparinirvan day, I am releasing a book
written by Vilas Kharat, "Ramayana-Mahabharata, Manusmriti, in response to
organized violence of Bhagavad Gita Brahmins". This is a very research
book. Secondly, the fact that the book has been researched and brought to the
Hindi language is very surprising in itself. For the first time in the Hindi
language, such a book has come out in which it has been proved on the basis of
the evidence that "Ramayana Mahabharata Manusmriti and Bhagwatgita"
are symbols of organized violence of Brahmins. This is the book which is
considered sacred by the Brahmins and the majority society which is called SC,
ST, OBC, Minority. With this, if seen in the context of Maharashtra, then Kunbi
Marathas who are not Brahmins, are not Chhatriyas. From the traditional point
of view, the Brahmins who created the varna system are not. Even to the
Kayastha caste because, on the basis of texts written by Brahmins, Kayastha is
called Shudra in the Kayastha caste varna system, in today's date Kayastha is
the highest placed Shudra caste. Almost all Shudra castes have been cast as
Shudras in the Mandal Commission.
He
said, some castes were planned and kept out of the list of backward classes for
the purpose of politics. Those castes were excluded, the castes to which
Brahmins gave them share in the state's power under the multi-power system. It
is a kind of unwritten agreement. Brahmins are with those castes because they
are more in different states. As the number of Maratha people in Maharashtra is
high, such Maratha people were excluded from the Mandal Commission. Excluded on
the basis that state power will be given to them. Panchayat raj has a level of
power in the multi-power system. If the rural part is made the base, then the
people who live in the village by the Panchayat Raj in the rural part are the
highest number of the farmers. He adopted that caste and gave him the power of
Panchayat Raj. In the same way, in the municipal municipality in the cities,
those people were tried in less evidence of coming to power, and then only the
assembly gave them state power and got the majority with the help of those
people. Brahmins captured the power of the center by securing majority.
He
further said that the power at the center was captured by the Brahmins. For
example, the first party Congress was formed by Chatterjee, Mukherjee,
Banerjee, Gokhale, Agarkar, Tilak, these Brahmins and occupied Azad India
first. After that, the Jan Sangh was formed by the RSS on today's date. The
name of the Jan Sangh has been changed and the Bharatiya Janata Party is its
authority. This means that with the help of the majority people, these people
have taken over the state power. I am saying this because the majority of
people belonging to SC, ST, OBC and their converted minorities and those who
are not included in the Mandal Parishad i.e. the Kayastha caste who are in the
topmost part of the varna system, those who belong to the Shudra varna Huh. Manusmriti
Bhagwat Geeta has been imposed on these people from Ramayana Mahabharata. If
the Shudra people consider this scripture to be sacred, then it is not because
the scripture is sacred. Rather, it is because they have been imposed on them.
The
national president said, if we look at the history of Chhatrapati Shivaji
Maharaj, it is known that the Brahmins killed Chhatrapati Shivaji Maharaj by
poisoning him. Peshwa Brahmins killed, Koknast Brahmins killed. The Brahmins
who killed Chhatrapati Shivaji Maharaj considered them their enemies, so they
killed them. Because if he considered his friend, there was no reason to kill
him. And he also killed his great son Sambhaji Maharaj. The British came to
India, there was a movement against the British. Got freedom after the
movement. After getting independence, the adult franchise was implemented. Due
to the implementation of adult suffrage, the majority of the people who are in
the majority got the right to vote and the majority of people who will make MP
will become the Prime Minister of the country with the support of their
majority. That is, the majority was of the majority people, that means it was
necessary to seek their support. This was due to adult suffrage which Dr.
Babasaheb Ambedkar wrote in the Constitution of India. This change happened.
Because of this change, with whom the Brahmins had enmity, they applied the
Assimilation Theory to Chhatrapati Shivaji Maharaj. What is Assimilation
Theory? He did not accept Chhatrapati Shivaji Maharaj as an AGET. What did they
do? He Brahmanized Chhatrapati Shivaji Maharaj. To do Brahmanisation, the
Brahmins called Chhatrapati Shivaji Maharaj an enemy of the Mughals. Shivaji
Maharaj is a Shudra in the Varna system according to the Brahmin religion.
Therefore the Brahmins of Poona did not coronate him and said that you are a
Shudra.
He
further said that these people did not accept Chhatrapati Shivaji Maharaj as
they were, but told Shivaji Maharaj that he was fighting with the Mughals. Why
were you fighting with the Mughals? So told that they were fighting to protect
Hinduism. If it is assumed that Shivaji Maharaj was fighting a battle to
protect Hinduism, then why was Shivaji Maharaj killed by Brahmins by poisoning
him? This proves that this fight was not true to protect Hinduism. Because in
the time of Chhatrapati Shivaji Maharaj, there was no religion called Hinduism.
Which religion then existed? During the coronation of Shivaji Maharaj, the
Brahmins of Poona saw his Dharma Shastra and after seeing it they came to know
that Chhatrapati Shivaji Maharaj is a Shudra. Therefore your state cannot be
anointed. Because according to Manusmriti, Shudra does not have the right to
become king. This means that Hinduism did not exist in Shivaji Maharaj's time.
The religion that existed at that time was varna dharma. Based on that, he
announced that your kingdom cannot be anointed. This proves that Hinduism did
not exist at the time of Chhatrapati Shivaji Maharaj. The false history that
the Brahmins wrote.
He
said, even today, the Brahmins have applied the same principle of
Brahmanisation to the Jataka stories. Buddha took recourse to the Jataka tales
to give his discourse. Jataka tales were so prevalent that Jataka tales can be
called folk tales. Even today, there are many folk tales in the minds of people
living in many villages. @Nayak 1
Thank you Google