जब पूरा देश अंग्रेजों भारत से भगाने लगा था तब कुछ लोग 1920 के ही दशक में बुद्ध की यह दुर्गति कर रहे थे।

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बोज्जनकोंडा एक बौद्ध स्थल है। यह आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के संकरम ( संघाराम ) में स्थित है। मकर संक्रांति के अगले दिन यहाँ " कनुमा दिवस " मनाए जाने की परंपरा है।

कनुमा दिवस के मौके पर यहाँ सैकड़ों लोग जुटते हैं। बड़े उत्तेजित भाव से पत्थरों की बौछार करते हैं। बौद्ध स्थल के ही पत्थरों को उखाड़ कर बौद्ध स्थल पर ही फेंकते हैं।

दानव मानकर फेंकते हैं और बौद्ध स्थल नष्ट-भ्रष्ट करते हैं। विगत कुछ सालों से यह पुरानी परंपरा लगभग बंद हो चुकी है। बावजूद इसके वहाँ इस साल 2020 में भी जिला प्रशासन मुस्तैद था।

अलेक्जेंडर रीम ने 1906 में खुदाई की थी। तब पत्थर फेंकने का रिवाज नहीं था। संभवतः 1920 के दशक में यह रिवाज प्रचलित हुआ।

अफसोस कि 1920 के दशक में जब पूरा देश अंग्रेजों को बाहर निकालने में लगा था, तब कुछ लोग 1920 के ही दशक में बुद्ध की यह दुर्गति कर रहे थे।

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