कौन है भारत माता?

0
कौन है भारत माता?
ब्राम्हणो की भारत मातृभमि न होने के कारण वे आज कल भारत माता के नाम से चिल्लाते है।
बाल गंगाधर तिलक के आतंकी कारवाही की जांच के लिए चिरोल आयोग का गठन किया गया था।ब्राम्हणो ने 1857 के गदर में सहभाग लेकर देखा था।1857 यह राष्ट्रीय आंदोलन या गदर नही था।वह चितपावन ब्राम्हणो का ही गदर था।वे उसमें विफल हो गए।बाद में अंग्रेजो के सामने घुटने टेके।बाद में रानी ने घोषणापत्र से धार्मिक मामले में हस्तक्षेप नही करेंगे इस बात को ध्यान में रखते हुए ब्राम्हणो ने धार्मिक मामले के आड़ में इशारे इशारे गतिविधि शुरू कर दी।बंगाल खासकर कोलकता उस समय भारत की राजधानी थी।उस समय उत्खनन कार्य भी जोरो से चल रहा था।बंगाल में पुरानी कुछ परम्पराए थी लेकिन वह ब्राम्हण विरोधी थी।उसका बदलना ब्राम्हणो को मुश्किल लग रहा था। जिन परम्पराओ में बहुजन अधिक थे उन परम्परा का ब्राम्हणीकरण करने का काम ब्राम्हण करते आये है।पाल राजा जो बौद्ध राजा थे।उनके द्वारा पूरे बंगाल,ओरिसा,बिहार में तारा बौद्ध देवता की असंख्य मूर्तियों का निर्माण किया गया था। ब्राम्हणो डर लगने लगा कि अगर तारा मूर्तियों के पीछे का इतिहास सामने आया तो भारत में ब्राम्हण छोड़कर तमाम लोग बौद्ध है यह बात सिद्ध हो जाएगी।और ब्राम्हणो ने हिंसा के सहारे बौद्ध धर्म भारत मे खत्म किया था यह बात सार्वजनिक हो जायेगी इसका डर बंगाल और पूना का ब्राम्हण बाल गंगाधर तिलक को सताने लगा।
 तिलक ने बंगाल में फसाद करवाये थे।और इसके लिए ब्राम्हण विरोधी प्रतीकों का इस्तेमाल किया और उसके बाद ही उस प्रतीक ब्राम्हणीकरण हुआ जिसे आज दुर्गा पूजा कहते है।दुर्गा पूजा यह बौद्ध देवता तारा की पूजा है।इस देवता द्वारा दस पारमिता का परिचय कराने हेतु दस भुजाएं दिखाई जाती है।
  महाराष्ट्र में भी बौद्ध परम्परा और सत्यशोधोक आंदोलन को काउंटर करने के लिए तिलक ने गणपति उत्सव को शुरू किया और मस्जिदों के सामने ढोल बजाते थे जिससे माहौल खराब कराते थे।इससे अंग्रेज भी परेशान हो गए।इसलिए ब्राम्हणो ने बहुत बड़े साजिश के साथ बौद्ध प्रतीकों का ब्राम्हणीकरण कर आम लोगो को गुमराह कर दिया।
  आज आरएसएस,भाजपा जो भारत माता की तस्वीर दिखा रही है वह बौद्ध देवता तारा है।ब्राम्हणो का भारत है ही नही और भारत ब्राम्हणो की मातृभूमि है ही नही इसलिए ब्राम्हण अब नाटक न करे।डीएनए के अनुसार ब्राम्हणो की मातृभूमि वेस्ट यूरेशिया है इसलिए वे अपने देश जाकर नाटक करे।भारत में बौद्धों के प्रतीक चुराकर अबतक बहुत नाटक कर लिए अब उनका खेल नही चलेगा।
भारत माता पर पुरतात्विय आधार पर विश्लेषण करके ब्राम्हणवाद को चूर चूर किया जाएगा!!

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
To Top