*07 फरवरी 2023*
#माता_रमाबाई का जन्म 7 फरवरी 1898 को वलंग गाँव में हुआ था।बाबा साहब माता रमाबाई को प्यार से रामू कहते थे।एक माँ जिसकी चार बच्चों की अकाल मृत्यु इलाज के अभाव में हुई थी,उसके हृदय की पीड़ा क्या होगी।उस माँ ने हिम्मत नहीं हारी वह मुंबई की सड़कों पर गोबर उठाती उपला बनाकर घर-घर बेचने जाया करती थी ताकि अपनी बच्चो का ईलाज करा सके।
आज इंदु बहुत रो रही थी पूरा शरीर तप रहा था,माँ ने देखा कि बुखार बहुत तेज है बच्ची को गोद में उठाया कंडे बेचकर जो पैसे जमा किये थे उसे लेकर वेद्य के घर की तरफ दौड़ी रास्ते में पत्र मिला जो विदेश से आया था जिसमें लिखा था-"रमा! सरकार से जो बजीफा मिलता है सारा किताबें खरीदने में चला जाता है,एक वक्त ही खाना खाता हूँ तुम्हारे पास कुछ पैसे हों तो भेज दो और हाँ अपने बच्चों का ख्याल रखना में जल्द ही लौटूंगा।"
माँ के सामने बड़ी परीक्षा!बेटी को बचाएं या पति को पैसे भेजे!बच्ची के ईलाज के पैसे विदेश भेज दिये।अब गोद में सोई बेटी की साँसे रुक जाती हैं वह भी दुनिया छोड़ चली जाती है......माँ रो रही है,खाना पीना भूल चुकी है पर माँ तो माँ है हिम्मत नही हारी।जब बाबा साहब पढ़ाई कर विदेश से लोटे तो बोले:-रमा! इतना सब हो गया मुझे बताया क्यों नहीं? मैं तुरंत चला आता।
माँ आँसू पोंछते हुऐ बोली:-अगर बता देती तो आप पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते।आप बिना पढ़े लोट आते तो आपका संघंर्ष जो वंचित पीड़ित अछूत शुद्रों को आज़ादी दिलाने के लिये है बेकार चला जाता।मुझे खुशी है कि मैंने अपने करोड़ों बच्चों को बचा लिया जो आगे चलकर देश के शासक बनेंगे।"
आज हमारे पास सारे अधिकार हैं!
हमारी हर एक चीज़ जिसे हम अपनी कहते हैं वे सिर्फ अपने माता रमाई और बाबा साहेब के संघर्ष की वजह से है।बाबा साहब माता रमाबाई वे इनके बच्चों के बलिदान की वजह से है।उनके त्याग बलिदान को याद करते हुए।
*माता रमाई को कोटि कोटि नमन..!!!*