बुद्ध के जमाने में कमल था। मगर उसका नाम कमल नहीं था। कमल को तब पदुम कहा जाता था।
बाद के दिनों में पदुम का एक नाम कमल हुआ। कमल का मल प्राचीन आस्ट्रेलियाई मूल का शब्द है, जिसका अर्थ फूल है।
इसी मल ने भारत में कुड़मल, चमेली, मौलश्री आदि को भी जन्म दिया।
बुद्ध पदुम - आसन में बैठते थे। इसे ही कलाकारों ने बतौर प्रतीक बुद्ध को कमल पर बैठे अंकित किए हैं।
बुद्ध के सौ से अधिक नाम हैं। मगर कोई भी नाम कमल से जुड़ा हुआ नहीं है।
बाद में पदुम का नाम जब कमल प्रचलित हुआ, तब अनेक देवी - देवता कमलासन, कमलनाभ, कमला आदि जैसी उपाधियों से विभूषित हुए।