चंद्रयान 3 अभियान के प्रमुख चरण

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*अभियान के प्रमुख चरण*

5.100 किमी की निकटतम कक्षा में प्रोपल्शन माड्यूल लैंडर को छोड़ा। 23 अगस्त को शाम 16:04 बजे लैंडर चांद पर उतरा

4.चांद की अलग-अलग चांद के चक्कर लगाते हुए यान 100 किमी की निकटतम कक्षा तक पहुंचा

3.पहली अगस्त के बाद पलायन वेग मिलने पर यान चांद की कक्षा की ओर बढ़ा

2 यान अगले कुछ दिन पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में चक्कर लगाया। इस अभियान में अधिकतम कक्षा 36,500 किमी पर थी

1.लांचिंग के करीब 16 मिनट बाद राकेट से यान अलग हो गया
ऐसे पूरा हुआ मिशन

14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एलवीएम3-एम4 राकेट चंद्रयान-3 को लेकर रवाना हुआ था। इसके बाद इसरो ने पृथ्वी से दूर कई बार चंद्रयान-3 की कक्षाएं बदली थीं। पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में परिक्रमा करते हुए एक अगस्त को स्लिंगशाट के बाद पृथ्वी की कक्षा छोड़कर यान चंद्रमा की कक्षा की ओर बढ़ा था। पांच अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। छह अगस्त को इसने पहली बार कक्षा बदली। इसके बाद नौ, 14 और 16 अगस्त को कक्षाओं में बदलाव कर यह चंद्रमा के और निकट पहुंचा। 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन माड्यूल और लैंडर माड्यूल अलग-अलग हो गए और लैंडर माड्यूल चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ा। 18 अगस्त को पहली डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) पूरी हुई। 19-20 अगस्त की मध्यरात्रि दूसरी डीबूस्टिंग के बाद रोवर (प्रज्ञान) को अपने भीतर सहेजे लैंडर (विक्रम) चांद की सबसे करीबी कक्षा में पहुंचा था। इस मिशन में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी का भी सहयोग मिला।

पूरे देश ने देखा ऐतिहासिक क्षण

लोग अपने विज्ञानियों की प्रतिभा पर गौरवान्वित हो रहे हैं। इसरो की वेबसाइट, यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज के साथ दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर इस ऐतिहासिक घटना का प्रसारण हुआ। जिसे देश के कोने-कोने में स्कूलों, कालेजों में भी दिखाया गया। कई स्थानों पर पूजा-हवन हुए, चंद्रयान-3 मिशन की सफलता की प्रार्थना की गई। यूट्यूब पर लैंडिंग को करीब 70 लाख लोगों ने देखा।

..जब क्रैश हो गया था चंद्रयान-2 का लैंडर

सात सितंबर 2019 को चंद्रयान-2 मिशन अंतिम चरण में कामयाबी हासिल करते-करते रह गया था। लैंडर से जब संपर्क टूटा था तो वह अल्टीट्यूड होल्ड चरण और फाइन ब्रेकिंग चरण के बीच था। अंतिम टर्मिनल डिसेंट चरण में प्रवेश करने से पहले ही वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

रासायनिक पदार्थों और खनिजों का भी होगा अध्ययन

लैंडर में लगे पेलोड से चांद की सतह का अध्ययन किया जाएगा। इसमें नासा का भी पेलोड लगा है। रोवर कुछ दूरी तक चलकर चांद की सतह का अध्ययन करेगा। रोवर प्रज्ञान में भेजे गए तीन पेलोड में से पहला चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की मिट्टी और चट्टान का अध्ययन करेगा। दूसरा पेलोड रासायनिक पदार्थों और खनिजों का अध्ययन करेगा और देखेगा कि इनका स्वरूप कब-कितना बदला है ताकि उनका इतिहास जाना जा सके। तीसरा पेलोड ये देखेगा कि चंद्रमा पर जीवन की क्या संभावना है और पृथ्वी से इसकी कोई समानता है भी कि नहीं।

 *ये_रही_प्रक्रियाएं

1.रफ ब्रेकिंग चरण

इस चरण के दौरान चंद्रमा की 25 किमी x 134 किमी कक्षा में मौजूद चंद्रयान-3 का वेग करीब 1680 मीटर प्रति सेकंड रहा। लैंडर ने 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रमा की सतह पर उतरना शुरू किया। विक्रम लैंडर में लगे चार इंजनों को फायर कर वेग को धीरे-धीरे कम किया गया।

2.अल्टीट्यूड होल्ड चरण

लगभग 10 सेकंड तक “अल्टीट्यूड होल्ड चरण" की प्रक्रिया पूरी की गई। इस समय लैंडर 3.48 किमी की दूरी तय करते हुए क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर स्थिति की ओर झुका। ऊंचाई 7.42 किमी से घटाकर 6.8 किमी और वेग 336 मीटर/सेकंड (क्षैतिज) और 59 मीटर/सेकंड (ऊर्ध्वाधर) किया गया।

फाइन ब्रेकिंग चरण

यह प्रक्रिया 175 सेकंड चली। इसमें लैंडर पूरी तरह से ऊर्ध्वाधर स्थिति में चला गया। ऊंचाई 6.8 किमी से घटाकर 800/1000 मीटर की गई। गति लगभग शून्य मीटर/सेकंड हुई। लगभग 6.8 किमी की ऊंचाई पर पहुंचने पर केवल दो इंजनों का उपयोग किया गया। अन्य दो इंजन बंद कर दिए गए। 150 मीटर से नीचे पहुंचने पर लैंडर ने अपने सेंसर और कैमरों का उपयोग करके सतह को स्कैन किया। यह जांचने के लिए कि नीचे कोई बाधा तो नहीं।

टर्मिनल डिसेंट चरण

जब लैंडर निर्धारित लैंडिंग स्थल से करीब 10 मीटर की ऊंचाई पर था तो इसके सभी इंजन बंद कर दिए गए जिससे यह सीधे अपने पैरों पर नीचे स्थिर हो सका। यह अंतिम चरण था। पूरी प्रक्रिया के दौरान विक्रम लैंडर पर लगे विशेष सेंसर और आनबोर्ड कम्प्यूटर लगातार इसकी दिशा को नियंत्रित करते रहे।
जय मूलनिवासी
@Nayak1

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