'इंडिया' को 'भारत' कहे जाने वाली याचिका कोर्ट ने कर दी थी खारिज 2016 में कोर्ट ने कहा था कि लोग इच्छा के अनुसार 'इंडिया' या 'भारत' कह सकते हैं। केंद्र ने 2015 में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 'इंडिया' के बजाय 'भारत' नहीं कहा जाए।

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'इंडिया' को 'भारत' कहे जाने वाली याचिका कोर्ट ने कर दी थी खारिज 2016 में कोर्ट ने कहा था कि लोग इच्छा के अनुसार 'इंडिया' या 'भारत' कह सकते हैं। केंद्र ने 2015 में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 'इंडिया' के बजाय 'भारत' नहीं कहा जाए।
आज जो भी न्यूज पर पढ़ लो उसमे यह खबर है की"जी20 निमंत्रण पत्र को लेकर विपक्ष की आलोचना का सामना कर रही केंद्र सरकार ने नवंबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि देश को इंडिया के बजाय भारत नहीं कहा जाना चाहिए । यह जवाब एक जनहित याचिका को लेकर दिया गया था, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अधिकारिक और अनौपचारिक उद्देश्यों के लिए गणतंत्र को भारत कहे जाने की मांग की गई थी ।

वहीं, उच्चतम न्यायालय ने भी 'इंडिया' को 'भारत' कहे जाने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका 2016 में खारिज करते हुए कहा था कि लोग देश को अपनी इच्छा के अनुसार इंडिया या भारत कहने के लिए स्वतंत्र हैं | जी20 के लिए रात्रिभोज निमंत्रण पत्र पर 'प्रेसिडेंट आफ इंडिया' की जगह प्रेसिडेंट आफ भारत (भारत की राष्ट्रपति) लिखे जाने के बाद
(तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने 2016 में महाराष्ट्र के निरंजन भटवाल द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा था कि भारत या इंडिया ? आप इसे भारत कहना चाहते हैं, कहिए। कोई इसे इंडिया कहना चाहता है, उन्हें इंडिया कहने दीजिए। दोनों न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

न्यायालय ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद

एक में बदलाव के लिए विचार करने की खातिर ऐसी कोई परिस्थिति नहीं बनी है। संविधान के अनुच्छेद 1( 1 ) में कहा गया है, इंडिया, जो भारत है, राज्यों का एक संघ है ।)
राष्ट्रव्यापी बहस छिड़ने के मद्देनजर शीर्ष न्यायालय द्वारा इस याचिका को खारिज किया जाना प्रासंगिक हो गया है।

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने 2016 में महाराष्ट्र के निरंजन भटवाल द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा था कि भारत या इंडिया ? आप इसे भारत कहना चाहते हैं, कहिए। कोई इसे इंडिया कहना चाहता है, उन्हें इंडिया कहने दीजिए। दोनों न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो चुके हैं। न्यायालय ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद एक में बदलाव के लिए विचार करने की खातिर ऐसी कोई परिस्थिति नहीं बनी है । संविधान के अनुच्छेद 1 ( 1 ) में कहा गया है, इंडिया, जो भारत है, राज्यों का एक संघ है। जनहित याचिका का विरोध करते हुए गृह मंत्रालय ने कहा था कि संविधान का मसौदा तैयार करने के दौरान संविधान सभा में देश के नाम पर विस्तार से चर्चा हुई थी और अनुच्छेद एक के उपबंध आम सहमति से अंगीकृत किए गए थे ।

उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता को आड़े हाथ लिया था और उनसे पूछा था कि क्या उन्हें लगता है कि इसके पास करने के लिए और कुछ नहीं है, तथा उन्हें याद दिलाया था कि जनहित याचिकाएं गरीबों के लिए हैं। पीठ ने 11 मार्च 2016 को कहा था कि जनहित याचिका गरीबों के लिए है। आपको लगता है कि हमारे पास करने के लिए और कुछ नहीं है ।

याचिका में, गैर सरकारी संगठनों और कंपनियों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था कि सभी आधिकारिक और गैर 1 आधिकारिक उद्देश्यों के लिए वे भारत शब्द का इस्तेमाल करें याचिका में कहा गया था कि संविधान सभा में देश के लिए सुझाए गए प्रमुख नामों में भारत, हिंदुस्तान, हिंद और भारतभूमि या भारतवर्ष तथा इस तरह के अन्य नाम थे ।
#जय मूलनिवासी
@Nayak 1
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The court had rejected the petition 
to call 'India' as 'Bharat'. In 2016, 
the court had said that people can call 
'India' or 'Bharat' as per their wish. 
The Center had told the Supreme Court 
in 2015 that 'Bharat' should not be 
called instead of 'India'.

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