कार्ल मार्क्स महान विचारक हमेशा के लिए सो गया लेकिन उसके विचार आज भी जिंदा हैं. 20वीं सदी की शुरुआत में लाल किताब कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो और दास कैपिटल विभिन्न भाषाओं में छपकर पूरी दुनिया में फैल चुकी थी.

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14 मार्च 1883 को कार्ल मार्क्स का देहांत हो गया.

उसके अंतिम संस्कार में फ़्रेडरिक एंजेल्स के अलावा कुल 17 लोग आए थे.

फ़्रेडरिक एंजेल्स ने कहा महान विचारक कार्ल मार्क्स ने सोचना बंद कर दिया है. शांति से सो गया, लेकिन हमेशा के लिए.

वहां मौजूद अन्य लोग हैरान हुए, महान विचारक, किस चीज का महान विचारक ?

कार्ल मार्क्स का पूरा जीवन बेहद आर्थिक तंगी में बीता. कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो और दास कैपिटल छप चुकी थी. लेकिन इन किताबों ने और कार्ल मार्क्स ने कोई प्रसिद्धि प्राप्त नही की थी.

20वीं सदी की शुरुआत में लाल किताब कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो और दास कैपिटल विभिन्न भाषाओं में छपकर पूरी दुनिया में फैल चुकी थी.

लोग पढ़ रहे थे, समझ रहे थे. कार्ल मार्क्स की लिखी इन दो किताबें ने राष्ट्र बनाए, कम्युनिस्ट राष्ट्र.

कार्ल मार्क्स महान विचारक हमेशा के लिए सो गया लेकिन उसके विचार आज भी जिंदा हैं.
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