#तथागत_बुद्ध_का_वास्तविक_इतिहास_सामने_लाने_के_कारण_ #ब्राह्मण_लोगों_ने_ब्रिटिशों_के_विरोध_में_आज़ादी_का_आंदोलन_चलाया..!

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#तथागत_बुद्ध_का_वास्तविक_इतिहास_सामने_लाने_के_कारण_ #ब्राह्मण_लोगों_ने_ब्रिटिशों_के_विरोध_में_आज़ादी_का_आंदोलन_चलाया..!
“भारत देश में ब्रिटिश आएं और उन्होंने यहां के लोगों पर अनगिनत अत्याचार किए ? यहीं इतिहास अब तक हमें पढ़ाया गया हैं , किन्तु सही इतिहास कुछ और हैं| ब्रिटिशों ने भारत में जब पहला क़दम रखा , तब भारत देश में मुग़ल और पेशवाओं का राज़ था| मराठे शाही बिल्कुल भी नहीं थीं| सन् 1818 में पेशवा ब्राह्मण लोगों को परास्त करके ब्रिटिशों ने अपने शासन की नींव रखी , इतिहास में इस लड़ाई को भीमा कोरेगांव की लड़ाई कहां जाता हैं| छत्रपति शिवाजी महाराज के शासन काल में जो सम्मान अन्य पिछड़े वर्ग को दिया जाता था , वह सम्मान पेशवाओं ने छीनकर उन्हें शुद्र घोषित करके दंडित करने का काम किया था| इसलिए सभी जाती धर्म के लोग भीमा कोरेगांव की लड़ाई में पेशवाओं के विरोध में युद्ध में शामिल हुए थें| ब्रिटिश शासन काल में ब्रिटिशों ने भारत में कई सारी सुविधाएं विकसित की थीं , उन्होंने यहां पर छोटे-बड़े उद्योगों को शुरू किया था| किन्तु ब्रिटिशों ने जब भारत का मूल इतिहास खोजने का प्रयास शुरू किया| तब ब्राह्मण लोगों ने उनके विरोध में आज़ादी का आन्दोलन शुरू किया| आज़ादी के आन्दोलन में भारतीय लोगों का इस्तेमाल किया गया| आज़ादी के आन्दोलन के पुर्व ब्रिटिशों ने भारतीयों पर ज़ुल्म किए थें ? इसका आज तक कोई साक्ष्य प्रमाण मिला नहीं हैं| और न ही ऐसा कोई इतिहास किसीने लिख रखा हैं|

राष्ट्रपिता जोतिराव फुले , राजर्षी शाहू महाराज और डा बाबा साहब अम्बेडकर के समय में भारत देश यह अंग्रेजों का ग़ुलाम देश था , लेकिन भारत में कुछ लोग ऐसे भी थें , जिन्हें यहां की ब्राह्मणवादी व्यवस्था ने ग़ुलाम बना कर रखा था| ब्राह्मणवादी व्यवस्था के विरोध में आज़ादी की लड़ाई राष्ट्रपिता जोतिराव फुले , राजर्षी शाहू महाराज और डा बाबा साहब अम्बेडकर जैसे महान् लोग लड़ रहें थें| उस समय ब्रिटिश लोग अत्यंत शान्ति पूर्वक तरीके से भारत पर राज़ कर रहें थें , किन्तु उन्हें भड़काने काम ब्राह्मण पंडित लोगों ने किया , और वहां से युद्ध छिड़ गया| मतलब साफ़ हैं कि , अंग्रजों को भड़काने में सबसे अधिक अहम भुमिका अगर किसीने निभाईं हैं ? तों वह सिर्फ़ ब्राह्मण लोगों ने निभाई हैं| राष्ट्रपिता जोतिराव फुले , राजर्षी शाहू छत्रपति महाराज और डा बाबा साहब अम्बेडकर ने ब्रिटिश शासन काल में यहां के भारतीय लोगों के आज़ादी का आन्दोलन चलाया| क्योंकि जैसे भारत देश अंग्रेजों का गुलाम था , वैसे ही भारत के लोग ब्राह्मण लोगों के गुलाम थें| यह बात वह जानतें थें , इसलिए उन्होंने शुद्र , अतिशुद्र , पिछड़े अति-पिछड़े वर्ग के लोगों की आज़ादी को महत्वपूर्ण माना| ब्रिटिशों को शुद्र एवं अति शुद्र लोगों के बारे में हमेशा हमदर्दी रहीं हैं| क्योंकि ब्रिटिश लोग इनका मूल इतिहास अच्छी तरह से जानतें थें| 

सन् 1928 में ब्रिटिशों का एक विभाग भारत में आया था , जिसे सायमन कमिशन कहां जाता हैं| सायमन कमिशन यह पिछड़े अति पिछड़े वर्गों की जाति आधारित गिनती करने के लिए भारत आया था| किन्तु ब्राह्मण लोगों ने सायमन कमिशन के बारे में अलग-अलग अफवाहें फैलाकर उन्हें सायमन कमिशन वापिस जाओं का नारा देकर वापिस जाने के लिए मजबूर किया| तबसे लेकर अबतक पता नहीं चल रहा हैं कि , भारत के एससी , एसटी , ओबीसी के लोगों की मूल संख्या कितनी हैं ? ब्राह्मण लोगों ने ब्रिटिशों के विरोध में आज़ादी का आन्दोलन क्यों चलाया ? इस विषय पर अब तक बहुत सारे इतिहासकारों ने लिख रखा हैं| किन्तु बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क के हम जैसे इतिहासकारों का ऐसा मानना हैं कि , “तथागत बुद्ध का वास्तविक इतिहास दुनिया के सामने लाने की वज़ह से ब्राह्मण लोगों ने ब्रिटिशों के विरोध में आज़ादी का आन्दोलन चलाया”. भारत देश में बुद्ध गया , सारनाथ , काशी , मथुरा से लेकर महाराष्ट्र के अंजता , एलिफेंटा तक जितने भी प्राचीन बौद्ध स्थलों का पता चला हैं| उसे ढूंढने तथा उसका वास्तविक इतिहास सामने लाने के लिए जेम्स प्रिसेंप तथा सर अलेक्जेंडर कनिंघम जैसे लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं| आज उनकी वजह से हम तथागत बुद्ध का खोया हुआ इतिहास फ़िर से पढ़ रहें हैं| तथा वह इतिहास जान पा रहें हैं|

तथागत बुद्ध का इतिहास सामने लाने व्यक्तियों में अलेक्जेंडर कनिंघम इनका नाम सर्वश्रेष्ठ इतिहासकारों में आता हैं| अलेक्जेंडर कनिंघम इनका जन्म 23 जनवरी 1814 में हुआ था| उन्होंने 19 साल की उम्र में ब्रिटिश सरकार में कार्य करना शुरू किया , जब वह भारत आएं , तब वह सर जेम्स प्रिंसेप की तरहां बिल्कुल एक छोटे लड़के थें| उन्होंने 21 साल की उम्र में सारनाथ की खुदाई शुरू की थीं| कहां जाता हैं कि , सारनाथ की खुदाई अलेक्जेंडर कनिंघम इन्होंने ख़ुद के खर्च से करवाई थीं| इससे उनकी महानता स्पष्ट होती हैं| आज भारत में जो भारतीय पुरातत्व विभाग हैं , इस विभाग की स्थापना करनेवाले मूल संस्थापक एवं उसके जनक सर अलेक्जेंडर कनिंघम हैं| प्राचीन स्थलों की निष्पक्ष होकर जांच करनी चाहिए और वास्तविक इतिहास दुनिया के सामने लाना चाहिए , यह बात पुरातत्व विभाग के लोगों ने उनसे सिखनी चाहिए| अलेक्जेंडर कनिंघम इन्होंने काशी , मथुरा , बोधगया , संकिसा , सांची और कई सारे प्राचीन स्थलों पर खुदाई की थीं| तब उन्हें एक बात पता चलीं कि , इन सभी प्राचीन स्थलों का संबंध सिर्फ़ एक व्यक्ति से हैं| और वह हैं , तथागत बुद्ध..! सर अलेक्जेंडर कनिंघम इन्होंने जहां पर भी भेंट दीं , जहां पर भी कदम रखें , उन्हें सिर्फ़ तथागत बुद्ध ही मिलें , 23 जनवरी यह सर अलेक्जेंडर कनिंघम इनकी जन्म जयंती दिवस हैं| इस उपलक्ष्य पर हम तमाम भारतीय लोगों को उनके जयंती की हार्दिक बधाईयां एवं ढेरों मंगलकामनाएं व्यक्त करतें हैं| और आख़िर में सिर्फ़ इतना ही कहना चाहतें हैं कि , तथागत बुद्धा का मूल इतिहास दुनिया की सामने लाने के कारण ही ब्राह्मण लोगों ने ब्रिटिशों के विरोध में आज़ादी का आन्दोलन शुरू किया था| यहीं भारत का वास्तविक इतिहास हैं”. _
बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क.
जय मूलनिवासी 
नमो बुद्धाय...

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