स्त्रियां सिर्फ रसोई और खेत पर काम करने के लिए नहीं बनी है, वह पुरुषों से बेहतर कार्य कर सकती हैं।-सावित्रीबाई फुलेकुली नंबर 36 हूँ... इज्जत का खाती हूं।45 मर्दों के बीच अकेली कुली संध्या

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कुली नंबर 36 हूँ... इज्जत का खाती हूं।
45 मर्दों के बीच अकेली कुली संध्या 
आज तक रेल की जब भी यात्रा की तो रेल स्टेशन पर कुली सिर्फ मर्दों को ही देखा है. भारी काम सिर्फ पुरुष का ही अधिकार है.औरत को हमेशा नाजुक समझा गया है.लेकिन जब संघर्ष का मामला हो तो पुरुषो से ज्यादा महिला को कोसा जाता है.कई महिला भी दम तोड़ती नजर आती है आज कल की महिला किसी भी पुरुष के साथ हम बिस्तर हो जाती है थोड़े से पैसों में अपना जिस्म बेच देती है.अपने शोख को पूरा करने के लिए गिरना पसंद करती है लेकिन काम करना पसंद नहीं करती.संध्या ऐसी महिलाओ के मुंह पर तमाचा है.जो हार मान कर देह व्यापार करती है.जो पुरुष कर सकता है वो महिला भी कर सकती है.
संध्या अपने बच्चों को फौज में अफसर बनाने का  सपना देखा है और वो जरूर पूरा होगा.
#मध्यप्रदेश के कटनी रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन बूढ़ी सास और तीन बच्चों की परवरिश का जिम्मा लिए यात्रियों का बोझ ढो रही है.
आपके जज्बे को सलाम 🙏
जय मूलनिवासी 

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